श्रीमद्भागवत कथा के पहले दिन पूज्या श्री जाया किशोरी की मधुर भक्तिमय कथा सुनकर हजारों भक्तों भक्ति में सराबोर हुए
श्रीमद्भागवत कथा के पहले दिन पूज्या श्री जाया किशोरी की मधुर भक्तिमय कथा सुनकर हजारों भक्तों भक्ति में सराबोर हुए
विभूतिपुर/समस्तीपुर
विभूतिपुर के कामराईन गाँव में सात दिवशीय श्रीमद्भागवत कथा के पहले दिन शनिवार को उदघाटन समारोह के बाद देर शाम तक पूज्या श्री जाया किशोरी की मधुर भक्ति मय पावन श्रीमद्भागवत कथा सुनकर हजारों भक्तों ने भक्ति मि गंगाजल सर सराबोर होकर डुबकी लगा रहे थे। कथा के बीच बीच मे तालियों बजा बजा कर नाचते गाते झूम रहे थे। पूज्या श्री जाया किशोरी जी ने कथा के पहले दिन कथा के महत्व पर विस्तार से चर्चा करते हुए कही की श्रीमद्भागवत कथा में सातों दिन का सार पहले दिल के कथा में बताया जाता है। कथा का तीन स्वरूप होता है पहला सत्य, चित, आनन्द, अर्थात सचिदानन्द। सत्य क्या है इसकी विस्तार से चर्चा करते हुए कही जो बदलता नही आ सच है। सांसारिक जीवन मे अपनी सारी इक्षाओ को करते हुए भगवान का साथ नहीं छोड़ना चाहिए । भगवान वो है जो कभी बदलता नहीं है । अर्थात सत्य कभी बदलता नहीं है। सांसारिक जीवन में आश्रय तीन बार बदलता है। बच्चे,जवान एवं बूढ़े में जो कभी बदलता नहीं है। वहीं भगवान है। उनको प्राप्त करने के लिए स्वयं को खुश रहना सीखे जो व्यक्ति अपने आप मे खुश रहता है वहीं भगवान को प्राप्त कर सकता है। भगवत प्राप्ति से तीन ताप दैहिक दैविक भौतिक टप से मुक्ति मिलती हैं। जो मनुष्य प्रेम पुर्वक भक्ति भाव से सच्चे दिल से ईस्वर की याद करते हुए जो भक्त रो देता तो उसे भगवत की प्राप्ति होती है। महर्षि सुक जी के जन्म की कई तरह की कथा में दन्त कथा के अनुसार सुक के जन्म की कटा पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि ब्रम्हा जी ने देवताओं की सभा बुलाई गई जिसमे सबसे मूल्यवान चीज क्या है तो देबताओ ने चर्चा करते हैं प्रेम को सबसे मूल्यवान कहा यह सुन नारद जी ने भगवान भोले नाथ एवं माता पार्वती के बीच अमर कथा की बात बता कर कहा कि बाबा भोलेनाथ जिससे सच्ची प्रेम करते उनसे ही यह अमर कथा सुनाते है ।यह सुन माता पार्वती एवं भोले बाबा के प्रेम की चर्च करते हुए कही की इतना प्रेम के बाद भी भोलेनाथ ने अभी तक हमे अमर कथा नही सुनाई इस पर नाराज होकर माता ने नाराज होकर अमर कथा सुनने का जिद करने लगा।तब बाध्य होकर भोलेनाथ ने माता पार्वती को अमर कथा सुना रहे थे तो एक पेड़ पर तोता में अंडा में छिपा जीव उसपुरी कथा को सुन लिया। उन्होंने कथा में ताली बजाने के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि कथा में भक्त एवं भगवान का मिलन होता है। ताली बजाने से ताजगी,एकाग्रता, भगवत में नींद बाधा नहीं हो उससे मुक्ति मिलती हैं। इसलिए कथा में निःसंकोच भाव से ताली बजाना चाहिए। इसी बीच तोते का बच्चा पूरी कथा सुन लिया। यह जानकर भोलेनाथ गुस्सा में उसके हत्या के लिए खदेड़ने लगे । सुक बालक भागकर पृथ्वी पर आकर वेदव्यास के घर पहुचकर अपनी जान बचाने के लिए मुह के रास्ते ब्राह्मणी के गर्भ में चला गया। बाबा को क्रोध में देख व्याश जी ने गुस्सा सांत करने के लिए आग्रह कर उनके कथा के महत्व पर चर्चा कर सांत कराया। कथा के क्रम में किशोरी जी ने कही की गुस्सा को शांत करने मूल मंत्र है भगवान का नाम अगर क्रोध आये तो राधे राधे का जाप कर लेना चाहिए।