अगर इतिहास ने न्याय नहीं किया होता ,तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री होते: अजीत । रिपोर्ट सुधीर मालाकार
1 min readअगर इतिहास ने न्याय नहीं किया होता ,तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री होते: अजीत । रिपोर्ट सुधीर मालाकार । महुआ (वैशाली) स्वतंत्रता आंदोलन की महान क्रांतिकारी वीर योद्धा, आजाद हिंद फौज के संस्थापक ,नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती पर समाजसेवियों एवं राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने श्रद्धांजलि दी ।
आजाद हिंद सरकार (भारत) के प्रथम प्रधानमंत्री नेताजी सुभाष चंद्र या कालजयी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में पूरे भारत में मनाया गया। ज्ञान ज्योति गुरुकुलम परिसर, सिंघाड़ा में भारतीय शिक्षण मंडल वैशाली जिला इकाई के युवा विंग के द्वारा नेताजी की जयंती मनाई गई । जिसमें नेता जी के जीवन के उन सभी अनछुए पहलू जिनकी जानकारी पिछले इतिहासकारों ने भावी पीढ़ी को नहीं दी, उन सभी विषयों को समारोह के मुख्य वक्ता भारतीय शिक्षण मंडल उत्तर बिहार के उपाध्यक्ष अजीत कुमार ने विस्तार से रखा । जयंती समारोह की अध्यक्षता व संचालन वैशाली जिला संयोजक (भारतीय शिक्षण मंडल) प्रहलाद कुमार ने की । परम पूज्य ब्रह्मानंद स्वामी जी के साथ- साथ प्रयाग राय , विपिन कुमार, इंद्रजीत कुमार ,विनय विमल ,विमल राय ,नंदन कुमार ,राम कुमार ,चंदन कुमार ,जिगर सिंह, शिवचंद्र भारती सहित कई युवाओं ने भाग लिया ।
नेताजी ने जिस प्रकार ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध दुनिया के कई देशों को अपने पक्ष में लाकर आजाद हिंद फौज की स्थापना कर 30 दिसंबर 1943 को अंडमान निकोबार द्वीप के पोर्ट ब्लेयर के जिमखाना ग्राउंड पर स्वतंत्र भारत का प्रथम झंडा तिरंगा लहराया था । तत्पश्चात अप्रैल 1944 में मणिपुर के मोईरंग में झंडा फहराते हुए उन्होंने स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में अपने को स्थापित कर पूरे मंत्रिमंडल का गठन किया था ।इस पूरे क्रम को विश्व के 16 देशों ने रिकॉग्नाइज किया था वह अपने आप में नेताजी के साहस ,शौर्य और पराक्रम को दर्शाता है । नेता जी ने देश में सांप्रदायिकता के खिलाफ आवाज उठाई थी ।उन्होंने कहा था जब तक देश में अशिक्षा, निर्धनता ,बेरोजगारी रहेगी ,तब तक देश का विकास संभव नहीं हो सकता ।जिन्होंने क्रांतिकारी बिगुल फुक अपने प्राणों की बलिदान दे दिया ,वैसे महान योद्धा को कोटि-कोटि नमन।