प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की स्थिति पूरे भारत में क्या है ? पटना से सनोवर खान के साथ मनोज सिंह की रिपोर्ट
1 min readप्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की स्थिति पूरे भारत में क्या है ?
पटना से सनोवर खान के साथ मनोज सिंह की रिपोर्ट
पटना:बिहार का स्वास्थ्य महकमा अनिवार्य रूप से क्यों नहीं जन औषधि केंद्र खोलने के लिए प्राइवेट अस्पतालों में जागरूकता ला रहा है?,
सरकारी अस्पताल के डॉक्टर जन औषधि दवाओं को अनिवार्य रूप से मरीजों को क्यों नहीं लिखते हैं ?
पटना के प्रमुख अस्पताल पीएमसीएच एवं एनएमसीएच के चिकित्सक जन औषधि के प्रयोग करने के लिए क्यों नहीं प्रेरित करते हैं, इन दवाइयों को क्यों लौटाया जाता है।
भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में गरीबों तक सस्ती दवाइयों को पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना की शुरुआत की। इस परियोजना के अंतर्गत सस्ती से सस्ती दवाइयां गरीबों तक पहुंच रही है। अभी तक पूरे भारत में लगभग 7500 जन औषधि केंद्र खुल चुके हैं। इन केंद्रों के माध्यम से गरीबों को लगातार दवाइयां मिल रही है। लेकिन सरकारी योजना होने के कारण इसका प्रचार प्रसार और उपयोग सरकारी महकमा द्वारा कम किया जा रहा है क्योंकि कुछ खास उद्योगपतियों का एलोपैथी दवा के व्यवसाय में एकाधिकार प्राप्त है यही कारण है कि जन औषधि केंद्र की दुकानों पर सभी तरह के दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही है हालाकी इसमें पारदर्शिता लाने के लिए केंद्र सरकार जी जान से लगा हुआ है लेकिन राज्य सरकार की उदासीनता के कारण बिहार के प्राइवेट अस्पताल मे दवा की दुकान नहीं खुल रही है ना ही इसको प्रोत्साहन दिया जा रहा है क्योंकि इसमें आमदनी कम है।
इस व्यवसाय में सेवा एवं रोजगार दोनों उपलब्ध है यही कारण है कि पटना के जाने-माने एक दवा व्यापारी जितेंद्र सिंह ने इसे चुनौती के रूप में लिया है और गरीबों को सस्ती दर पर दवा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की शुरुआत किए हैं। नाम नहीं छापने के शर्त पर एक दुकानदार ने बताया की थोड़ी बहुत कठिनाई के साथ इस काम को मे अंजाम दे रहा हूं। मेरा उद्देश्य सेवा के साथ जीविकोपार्जन है केवल धन कमाना मेरा उद्देश्य नहीं है।
सूत्रों से पता चला की जन औषधि केंद्र के मालिक द्वारा गरीबों की लगातार सेवा की जा रही है जो अपने आप में एक मिसाल है।