नीतीश सरकार के कार्यकाल में इरशादुल्लाह लगातार चाैथी बार सुन्नी वक्फ बाेर्ड के निर्विराेध चेयरमैन बने।
1 min readनीतीश सरकार के कार्यकाल में इरशादुल्लाह लगातार चाैथी बार सुन्नी वक्फ बाेर्ड के निर्विराेध चेयरमैन बने।
आखिर ऐसा क्या इससे आम जन क्या सोच सकते है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जो मर्जी हो वो करेंगे।नीतीश सरकार के कार्यकाल में इरशादुल्लाह लगातार चाैथी बार सुन्नी वक्फ बाेर्ड के निर्विराेध चेयरमैन बने।
इरशादुल्लाह को लगातार चाैथी बार सुन्नी वक्फ बाेर्ड के अध्यश बनाये जाने से अब तक बिहार सरकार को घोषणा के अलावा सुन्नी वक्फ बोर्ड वको क्या मिला। गरीब जहाँ है वही पड़े है। इनको न कोई पूछने वाला और न कोई बोलने वाला। इससे साफ साबित होता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता के लिए अपनी लिए सरकार चला रही है।
बिहार राज्य सुन्नी वक़्फ बोर्ड का स्थापन कब हुआ।
किस उद्देश्य से हुआ था अबतक क्या कार्य किया गया।
राज्य सरकार को बेनिफिट छुड़ाकर क्या किसी भी गरीबी को बोर्ड के तहत फायदा मिला क्या।
केन्द्र सरकार ने इसकी स्थापना दिसम्बर, 1964 में वक्फ अधिनियम 1995 के अन्तर्गत की वक्फ के प्रभारी केन्द्रीय मन्त्री, केन्द्रीय वक्फ परिषद् के 20 अन्य सदस्य होते हैं केन्द्रीय वक्फ परिषद् इन समुदायों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है इसके द्वारा लागू की जाने वाली योजनाएँ हैं।
बिहार सरकार के अंतर्गत
इरशादुल्लाह लगातार चाैथी बार सुन्नी वक्फ बाेर्ड के निर्विराेध चेयरमैन बने।
पटनाएक वर्ष पहले
कहा-सभी जिलाें में बनेगा वक्फ भवन और अल्पसंख्यक आवासीय स्कूल
माे. इरशादुल्लाह लगातार चाैथी बार बिहार स्टेट सुन्नी वक्फ बाेर्ड के चेयरमैन बने। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने इसकी घाेषणा की थी। बाढ़ के बाजिदपुर के रहने वाले इरशादुल्लाह 20 अक्टूबर 2008 से इस पद पर हैं।
वे अब 2025 तक चेयरमैन रहेंगे। मीडिया से बातचीत में उन्हाेंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हमें फिर यह जिम्मेदारी दी है, जिसपर खरा उतरने की पूरी काेशिश करूंगा। बल्कि जिम्मेदारी पूरी करने के लिए नही मुख्यमंत्री ने ये जिम्मेदारी बिहार को लूटने के लिए दिया गया है बल्कि बिहार को चलाने के लिये नही मिला है। मुख्यमंत्री ने तारीफ करते हुए कहा कि जितना काम पिछले 15 साल में अल्पसंख्यकाें खासकर मुस्लिमाें के लिए बिहार में हुआ है, उतना देश के किसी सीएम ने अपने राज्य में नहीं किया।क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बता सकते है कि मुस्लिम अल्पसंख्यकाें खासकर मुस्लिमाें के लिए बिहार में कौन कौन काम हुआ है। सिर्फ उगाही और पुल निर्माण ,दिखावा के अलावा कोई भी कार्य नही किया गया है
अगर अल्पसंख्यक मुस्लिम के लिए कार्य किया जाता तो जितना भी बेरोजगार अल्पसंख्यक मुस्लिम है कोई भी बेरोजगार नही रहता। बिहार के मुख्यमंत्री विकाश की बात करते है विकाश के नाम पर मुख्यमंत्री ने अब तक सिर्फ जनता को दिखाने और ठगने का कार्य किया है। बिहार के बेरोजगारों को दूर करे अपने सपनो का साकार करे।
सीएम की वजह से ही हरेक जिले में जी प्लस फाेर वक्फ भवन बनेगा। पटना, दरभंगा, पूर्णिया समेत कई जिलाें में काम चल रहा है। वो सिर्फ एक दिखावा हसि और दिखावा बन कर रह गया है। हरेक वक्फ भवन पर 10-12 कराेड़ खर्च हाेंगे। पटना में अंजुमन इस्लामिया हाॅल का काम अगले साल मार्च तक पूरा हाे जाएगा। यह 42 कराेड़ की लागत से बन रहा है। हाईकाेर्ट मजार परिसर में भी एक भवन और बेली राेड की मजार गली में भवन बनेगा। हर जिले में एक अल्पसंख्यक आवासीय स्कूल बनाने का काम शुरू हाे गया है। हर स्कूल पर 55 से 57 कराेड़ रुपए खर्च हाेंगे।
अल्पसंख्यक छात्राें काे 10-10 हजार का वजीफा
उन्हाेंने कहा कि सबसे पहले बिहार में अल्पसंख्यक छात्राें काे 10-10 हजार का वजीफा दिया गया। तलाकशुदा मुस्लिम महिलाअाें काे 25 हजार की अार्थिक मदद दी जाती है। गरीब-यतीम बच्चियाें की शादी के लिए 25 हजार रुपए दिए जाते हैं। मुस्लिम बच्चाें के लिए तालीमी मरकज खाेले गए। हरेक स्कूल में एक-एक उर्दू टीचर की बहाली की जा रही है। सरकार के पास वक्फ की संपत्ति के संरक्षण, सुरक्षा अाैर इसके विकास के लिए पूरा राेडमैप है।
बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पटना में वक्फ इमारत ढहाए जाने संबंधी फैसले को शीर्ष अदालत में दी चुनौती थी।
नयी दिल्ली, 31 अगस्त (भाषा) बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड ने उच्च न्यायालय के शताब्दी भवन से सटे वक्फ भवन को गिराने के पटना उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। बोर्ड ने अपनी याचिका में कहा है कि अदालत ने यह निर्णय देते समय न केवल अपने द्वारा तय किए गए मुद्दों से परे बात की, बल्कि प्रस्तावित वक्फ भवन के पूरे ढांचे को सीधे ध्वस्त करने का केवल इसलिए निर्देश दिया, क्योंकि इमारत की ऊंचाई 10 मीटर से अधिक थी जो बिहार भवन उप-नियम, 2014 की उप-नियम संख्या 21 का उल्लंघन है। याचिका में
नयी दिल्ली, 31 अगस्त (भाषा) बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड ने उच्च न्यायालय के शताब्दी भवन से सटे वक्फ भवन को गिराने के पटना उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।
बोर्ड ने अपनी याचिका में कहा है कि अदालत ने यह निर्णय देते समय न केवल अपने द्वारा तय किए गए मुद्दों से परे बात की, बल्कि प्रस्तावित वक्फ भवन के पूरे ढांचे को सीधे ध्वस्त करने का केवल इसलिए निर्देश दिया, क्योंकि इमारत की ऊंचाई 10 मीटर से अधिक थी जो बिहार भवन उप-नियम, 2014 की उप-नियम संख्या 21 का उल्लंघन है।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता वक्फ बोर्ड के साथ-साथ सभी राज्य प्राधिकारियों ने कानून का उल्लंघन करने वाले इमारत के हिस्से को ध्वस्त करने (यानी इमारत को 10 मीटर की ऊंचाई के भीतर लाने) के लिए खुद ही सहमति व्यक्त की थी, लेकिन इसके बावजूद पूरी इमारत गिराने का फैसला सुनाया गया।
अधिवक्ता एजाज मकबूल के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि यह पूरी परियोजना वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 32 के अनुरूप और एक सरकारी वास्तुकार द्वारा मानचित्र / योजना की उचित मंजूरी के साथ शुरू की गई थी। याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने इस आधार पर कार्यवाही करके गलती की कि भवन का निर्माण बिना किसी वैध मंजूरी के किया जा रहा है।
याचिका में कहा गया है, ‘‘बिहार भवन उप-नियमों की उप-नियम संख्या आठ (एक) (ए) के अनुसार, यदि योजनाओं पर सरकारी वास्तुकार के हस्ताक्षर हैं, तो राज्य सरकार विभाग/बिहार राज्य आवास बोर्ड द्वारा किए गए कार्यों के लिए कोई अलग अनुमति आवश्यक नहीं है।’’
याचिका में कहा गया है कि निर्माण योजनाओं को बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा अनुमोदित किया गया था और निर्माण के मानचित्र एवं योजना को बिहार राज्य भवन निर्माण निगम के वरिष्ठ वास्तुकार ने मंजूरी दी थी। बिहार राज्य भवन निर्माण निगम एक सरकारी कंपनी है।
उच्च न्यायालय के शताब्दी भवन के पास में बन रहे ढांचे को देखते हुए अदालत ने एक मार्च, 2021 को मामले का स्वत: संज्ञान लिया था और विचार-विमर्श के लिए चार प्रश्न तैयार किए थे। उच्च न्यायालय ने तीन अगस्त को एक महीने के भीतर ‘शताब्दी भवन’ से सटे वक्फ भवन को गिराने का आदेश दिया था।
वक्फ बोर्ड के बारे में सुना होगा, लेकिन यहां जानिए इसके बारे में हर जानकारी
मद्रास हाई कोर्ट ने पिछले साल तमिलनाडु सरकार को आदेश दिया था कि वह 3 महीने में राज्य में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के कानूनी मसलों को सुलझाने के लिए 3 सदस्ययी वक्फ अधिकरण का गठन करे। इस संबंध में एक पीआईएल दाखिल की गई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के दिसंबर 2015 में दिए एक आदेश का हवाला दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि वह चार महीनों में 3 सदस्ययी वक्फ अधिकरण का गठन करें। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वक्फ बोर्ड क्या होता है और वह क्या करता है? साथ ही इसकी अहमियत और जिम्मेदारियां क्या होती हैं? प्रॉपटाइगर आपको वक्फ बोर्ड से जुड़ी वह सभी बातें बता रहा है तो आपके लिए बेहद जरूरी हैं।
वक्फ एक्ट 1954 के मुताबिक वक्फ का मतलब है कि इस्लाम मानने वाला कोई शख्स चल या अचल संपत्ति का किसी मकसद से इस्तेमाल कर रहा हो, जिसे मुस्लिम कानूनों के तहत धार्मिक, पवित्र या चैरिटेबल संस्थान की मान्यता मिली हुई हो। वक्फ के स्वामित्व में एक अहम बात यह भी है कि उससे होने वाले मुनाफे या अच्छी चीजों उत्पाद को गरीबों में दान करना होता है।
कब बना वक्फ बोर्ड:
वक्फ बोर्ड एक कानूनी निकाय है, जिसका गठन साल 1964 में भारत सरकार ने वक्फ कानून 1954 के तहत किया था। इसका मकसद भारत में इस्लामिक इमारतों, संस्थानों और जमीनों के सही रखरखाव और इस्तेमाल को देखना था। इस संस्था में एक अध्यक्ष और बतौर सदस्य 20 लोग होते हैं। इन लोगों की केंद्र सरकार नियुक्त करती है। इसके अलावा अलग-अलग राज्यों में अपने वक्फ बोर्ड भी होते हैं |
क्या होता है वक्फ
-वक्फ में चल और अचल दोनों ही संपत्तियां शामिल होती हैं। इसमें कंपनियों के शेयर, अचल संपत्तियों के सामान, किताबें और पैसा होता है।
-वक्फ का विषय इस्लाम को समर्पित शख्स के स्वामित्व में होना चाहिए। कोई किसी दूसरे की संपत्ति को समर्पित नहीं कर सकता।
-ऐसी व्यवस्था में समर्पण स्थायी है।
-वक्फ सिर्फ एक मुस्लिम शख्स द्वारा ही बनाया जा सकता है। वह व्यस्क होना चाहिए साथ ही दिमागी तौर पर स्वस्थ भी।
कैसे बनता है वक्फ
मुस्लिम कानूनों में वक्फ बनाने का कोई खास तरीका नहीं लिखा है, फिर भी इसे इस तरह बनाया जाता है।
-जब कोई शख्स अपनी प्रॉपर्टी के समर्पण की घोषणा करता है तो उसे वक्फ के बराबर माना जाता है। यह उस वक्त भी हो सकता है, जब कोई मृत्यु शैया पर हो। हालांकि एेसे मामलों में वह इंसान वक्फ के लिए अपनी संपत्ति का एक तिहाई से अधिक समर्पित नहीं कर सकता।
-कोई भी मुस्लिम शख्स वसीयत बनाकर भी अपनी संपत्ति को समर्पित कर सकता है।
-जब संपत्ति को किसी अनिश्चित अवधि के लिए चैरिटेबल या धार्मिक मकसद के लिए इस्तेमाल किया जाता है, तो इसे वक्फ से संबंधित माना जाता है। एेसी संपत्तियों को वक्फ को देने के लिए किसी तरह की घोषणा की जरूरत नहीं है।
इतने तरह के होते हैं वक्फ
वक्फ दो तरह के होते हैं-पब्लिक और प्राइवेट। पब्लिक वक्फ सामान्य चैरिटेबल कामों के लिए होता है। जबकि प्राइवेट वक्फ प्रॉपर्टी मालिक की संतानों के लिए होता है। वक्फ प्रमाणीकरण अधिनियम 1913 के मुताबिक कोई भी अपनी संतानों या वंश के लिए प्राइवेट वक्फ बना सकता है, बशर्ते इससे होने वाला फायदा चैरिटी के लिए जाएगा।