वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ हमारे बीच नहीं रहे! एक शानदार और जानदार पत्रकारिता का अंत…
1 min readवरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ हमारे बीच नहीं रहे!
एक शानदार और जानदार पत्रकारिता का अंत…
आदरणीय विनोद दुआ जी से मेरी मुलाकात एक खास प्रोग्राम दूरदर्शन के उनके जाने-माने कार्यक्रम “परख” में हुई थी। जहां लंबे समय तक उनके साथ पत्रकारिता सीखने का मौका मिला। उनका प्यार मुझे लगातार प्राप्त होता रहा! उनसे जब भी मुलाकात होती थी तो हमेशा प्यार करते थे और कहते थे चौधरी जी आप कैसे हैं?हमेशा अपने कार्य पे फ़ोकस रखे कामयाबी ऊपर वाले जरूर देगा।मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। सर का एक पंक्ति हमेशा याद रहेगा “जब तक मैं जिंदा हूँ पत्रकार एवं पत्रकारिता को झुकने नहीं दूँगा।वास्तव में व्यक्ति के भौतिक अस्तित्व का मूल तो वह आत्मा है जो अजन्मा है तथा अनंत है जिसके जन्म की वास्तविक तिथि का ज्ञान असंभव है।परंतु जब चिंतन और गतिमान होता तो हर भौतिक अस्तित्व की सार्थकता इस रूप में स्पष्ट होता कि उसके मूल में समाहित आत्मा पूर्ण होकर भी सदैव पूर्ण की ओर ही गतिमान है और जीवन रूपी यात्रा का लक्ष्य संभवतः उसी पूर्णता को पुनः प्राप्त करना है जहाँ से उसकी उत्पत्ति हुई है।
जो व्यक्ति जीवन के उस लक्ष्य को जान जाता है, उसकी यात्रा में उसी प्रकार की साथर्कता का प्रवाह होने लगता है।जन्मदिवस एक अवसर है समीक्षा का कि जीवन के वास्तविक वांछित लक्ष्यों तक यात्रा कहाँ तक पहुँची है और कहीं दिशाभ्रम तो नहीं हो रहा है और यदि हो भी रहा है तो भला उसमें सुधार कैसे किया जाय। विनोद दुआ जी सही पत्रकारिता का ज़िंदा मिशाल थे।
दुआ जी का दूरदर्शन यानि सरकारी चैनल पर कार्यक्रम प्रसारित होने के बावजूद तमाम नेताओं और मंत्रियों से कड़वे सवाल पूछने वाले तेवरों को उन्होंने कभी नहीं छोड़ा। भले ही उनको दूरदर्शन छोड़ना पड़ा हो। आज के तथाकथित पत्रकारों की भांति सत्ता की जी हुजूरी ना करके, सत्ताशीनों से सदैव कड़े सवाल पूछते रहे….
मेरा मानना है कि प्रतिष्ठान एवं नागरिको के अधिकारों और राष्ट्र के सरोकार का जीवंत उदाहरण थे। विनोद दुआ जी तमाम पत्रकार जगत के दिलोदिमाग में सदैव विराजमान रहेगें।
दुःखी मन और नम आंखों से आपको विनम्र श्रद्धांजलि!
चौधरी अफज़ल नदीम