छात्रों के जरिए उनके घर टीकाकरण का संदेश दे रहे राजीव रंजन/ रिपोर्ट नसीम रब्बानी
1 min readछात्रों के जरिए उनके घर टीकाकरण का संदेश दे रहे राजीव रंजन/ रिपोर्ट नसीम रब्बानी
– खुद 50 लोगों को ला चुके हैं टीकाकरण केंद्र
– पहले के साथ दूसरे डोज के टीकाकरण को मानते हैं अहम
बेतिया, 29 नवंबर ।
एक ऐसा स्कूल जहां मुख्य प्रार्थना के बाद प्राचार्य अपने छात्रों से विनती कर रहे हैं। यह विनती कोविड टीकाकरण के दोनों डोज को लेकर है। जिसके निहितार्थ भी प्राचार्य अपने छात्रों को बखूबी समझाते हैं। ऐसी अनोखी और संदेशात्मक पहल करने वाले बेतिया के बिपिन उच्च माध्यमिक उच्च विद्यालय के प्राचार्य राजीव रंजन हैं। जो छात्रों को अपने घरों में 18 वर्ष से ऊपर के लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित कर रहे हैं। राजीव रंजन कहते हैं कि एक शिक्षक का गुण होना चाहिए कि वह शिक्षा के साथ छात्रों को श्रेष्ठ नागरिक भी बनाए। उसे अपने कर्तव्यों का भान कराए। जिसके तहत मैं रोज प्रार्थना सभा के बाद छात्रों से अनुरोध करता हूं कि वे टीकाकरण की महत्ता को अपने घरों में बताएं, जिससे हमारा समाज कोविड संक्रमण से बच सके।
स्कूल के शिक्षक हो चुके हैं पूर्ण टीकाकृत
प्राचार्य राजीव रंजन बताते हैं मेरे स्कूल में कुल 43 कर्मचारी हैं। मुझे लेकर सभी कर्मचारियों ने कोविड की दोनों डोज की टीका ले ली है। मेरे स्कूल में कुछ महीने कोविड टीकाकरण केंद्र का संचालन हुआ। जिसमें मैंने आस -पास के करीब 50 लोगों को यहां लाकर उनका पूर्ण टीकाकरण कराया है। इसके अलावा भी मुझसे मिलने वाले अभिभावक और आगंतुकों से भी मैं हमेशा आश्वस्त होता था कि उन्होंने टीकाकरण कराया या नहीं, अगर उन्होंने एक डोज लिया होता तो मैं दोनों डोजों की महत्ता बता उनसे वह भी लेने का आग्रह करता। एक समय में मेरे स्कूल के अल्पसंख्यक समुदाय के शिक्षक भी टीका पर भ्रमित थे। जिसमें मैंने उनकी शंकाओं का सामाधान किया और वह अब दोनों डोज से सुरक्षित हैं।
जानकारी की शिथिलता दूसरे डोज में रोड़ा
राजीव रंजन कहते हैं जिन लोगों ने टीकाकरण का दूसरा डोज नहीं लिया है उनमें जानकारी की शिथिलता है। जैसे हम एक पैर से ठीक से चल नहीं सकते वैसे ही टीकाकरण के दोनों डोज हमें संक्रमण की भयावहता से बचाएगें। वहीं कोरोना के संक्रमण में जो कमी है वह भी लोगों को कुछ लापरवाह बना रही है। जबकि परिस्थिति ऐसी नहीं है। हमें टीकाकरण के साथ अभी भी कोविड के अनुरूप व्यवहार को अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा।