2 सप्ताह से ज्यादा खांसी, बुखार होने पर टीबी की जाँच जरूरी- सीएस /रिपोर्ट नसीम रब्बानी
1 min read2 सप्ताह से ज्यादा खांसी, बुखार होने पर टीबी की जाँच जरूरी- सीएस /रिपोर्ट नसीम रब्बानी
– कोरोना काल में भी टीबी का इलाज सरकारी स्तर पर उपलब्ध
– जिला टीबी अस्पताल में हो रहा है टीबी रोगियों का इलाज
– मरीजों को दी जाती है सरकारी सहायता
मोतिहारी 06 नवम्बर 21
टीबी मुक्त जिला बनाने के उद्देश्य से पूर्वी चम्पारण जिले में कोरोना काल में भी टीबी के मरीजों के लिए इलाज की सुविधाएं लगातार उपलब्ध कराई गई है। सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि टीबी रोग के इलाज में सफलता हासिल करने के लिए समय -समय पर स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा प्रचार प्रसार के साथ लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसके तहत गांव-गांव तक टीबी रोगियों की खोज भी की जा रही है। उन्होंने बताया कि बदलते मौसम में टीबी के मरीजों को सावधान रहने की आवश्यकता है। साथ ही वैसे लोग जिन्हें 2 सप्ताह से ज्यादा समय से खांसी, बुखार हो जो जल्दी ठीक नहीं हो रही है, ऐसे लक्षण होने पर टीबी की जाँच जरूरी है। उन्होंने बताया कि पूर्वी चम्पारण जिले में कोरोना काल में भी टीबी का इलाज जिला टीबी अस्पताल में सरकारी स्तर पर हो रहा है। उन्होंने बताया कि टीबी के मरीजों को लगातार दवाओं का सेवन करना चाहिए। इसे बंद नहीं करना चाहिए। किसी भी तरह की परेशानी होने पर सदर अस्पताल से सम्पर्क करना चाहिए।
कई प्रखंडों में हो रहा है टीबी मरीजों का इलाज:
टीबी अस्पताल में टीबी से ग्रसित लोगों की रोग से संबंधित स्क्रीनिंग व जांच हो रही है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रंजीत राय ने बताया कि पूर्वी चम्पारण के 27 प्रखंडों में टीबी की जाँच व इलाज की सुविधाएं उपलब्ध हैं । उन्होंने बताया कि पहले से जिले में टीबी के मरीजों में कमी आई है। एक्स रे टेक्नीशियन ललित कुमार, सुपरवाइजर मुख्यालय नागेश्वर सिंह व अरविंद कुमार ने बताया कि जिले में टीबी मरीजों का अच्छे ढंग से इलाज किया जाता है। जब प्रखंडों के स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों को किसी भी प्रकार की परेशानी होती है तो उसे जिला अस्पताल में इलाज के लिए भेजा जाता है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी ने बताया कि कभी- कभी टीबी के 4 लक्षण प्राप्त होते हैं । जैसे कफ, फीवर, वजन घटना, रात में पसीने होना । इन सभी लक्षणों के होने पर मरीजों की टीबी की जाँच की जाती है । जो मरीज पहले से दवा खायें रहते हैं उनकी बलगम की सीबीनॉट से जांच की जाती है । इस जांच से एमडीआर-टीबी यानी मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट टीबी का पता चलता है जिससे मरीजों के इलाज में सहूलियत होती है । टीबी शरीर के कई हिस्सों में हो सकता है जैसे छाती, फेफड़ों, गर्दन, पेट, आदि । टीबी का सही समय पर जाँच होना बहुत ही आवश्यक होता है । तभी हम इस घातक बीमारी से बच सकते हैं । डॉ रंजीत रॉय ने बताया कि टीबी उन्मूलन में प्राइवेट डॉक्टर भी सहयोग कर रहे हैं। टीबी उन्मूलन में प्राइवेट डॉक्टर मरीजों को इलाज के साथ उनके कोर्स को पूर्ण करने के लिए भी मरीज को प्रेरित करें।
वहीं संचारी रोग पदाधिकारी (यक्ष्मा) डॉ रंजीत राय ने बताया कि दो हफ्तों से ज्यादा की खांसी, खांसी में खून का आना, सीने में दर्द, बुखार, वजन का कम होने की शिकायत हो तो वह तत्काल बलगम की जांच कराए। जांच व उपचार बिल्कुल मुफ्त है। समय समय पर ग्रामीण इलाकों में जागरूकता अभियान चला कर लोंगो में जागरूकता फैलायी जाती है ।
– पोषण योजना बनी मददगार :
टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण के लिए 500 रुपये प्रतिमाह दिए जाने वाली निक्षय पोषण योजना बड़ी मददगार साबित हुई है। नए मरीज मिलने के बाद उन्हें 500 रुपये प्रति माह सरकारी सहायता भी प्रदान की जा रही है। यह 500 रुपये पोषण युक्त भोजन के लिए दिया जा रहा है। टीबी मरीज को आठ महीने तक दवा चलती है। इस आठ महीने की अवधि तक प्रतिमाह पांच 500-500 रुपये दिए जाते हैं । योजना के तहत राशि सीधे बैंक खाते में भेजी जाती है।
– धूल गन्दगी से बचने के लिए मास्क का प्रयोग जरूरी:
टीबी के साथ एलर्जी के भी मरीज सड़कों, पर फ़ैले धूल, गंदगी, वाहनों के प्रदूषित धुंआ से बचने के लिए
कोरोना प्रोटोकॉल का पालन जरूर करें। टीबी के मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी हो सकती है। इसलिए कोविड 19 से बचने के लिए साफ स्वच्छ मास्क का उपयोग करें, सोशल डिस्टेनसिंग के पालन करने के साथ टीकाकरण भी कराएं ।