आक़ा, गुलाम,शाह,कलन्दर हर एक के, फैले हुए है हाथ तिरे दर के सामने। /रिपोर्ट नसीम रब्बानी। बरेली, उत्तर प्रदेश।
1 min readआक़ा, गुलाम,शाह,कलन्दर हर एक के, फैले हुए है हाथ तिरे दर के सामने। /रिपोर्ट नसीम रब्बानी
बरेली, उत्तर प्रदेश।
उर्स-ए-रज़वी के पहले दिन इस्लामिया मैदान में ऑल इण्डिया तरही नातिया मुशायरा दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मिया) की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी की सदारत में उलेमा मुफ्ती आकिल रज़वी, मुफ्ती सलीम नूरी,मुफ्ती सय्यद कफील हाशमी,मुफ्ती अनवर अली,मुफ्ती अफ़रोज़ आलम,कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी, मौलाना डॉक्टर एजाज़ अंजुम,मौलाना अख्तर की निगरानी नातिया मुशायरा का आगाज़ कारी नोमान रज़ा ने तिलावत- ए-कुरान पाक से किया। निज़ामत कारी नाज़िर रज़ा ने किया। इसके बाद एक-एक कर देश के मशहूर शोहरा-ए-इकराम ने मिसरा तरही “फैले हुए है हाथ तिरे दर के सामने” से अपने-अपने कलाम से महफ़िल में समा बाँधा।
मुफ्ती सगीर अख़्तर ने ये कलाम पेश किया “दिल की मुराद मिलने में बस कुछ ही देर है, दिल है बिछा हुआ दरे सरवर के सामने।
डॉक्टर अम्न तिलयापुरी ने पढ़ा “अहमद रज़ा ने दौलते मक़्क़ीया जब लिखी, सदिया खामोश हो गयी पल भर के सामने। आक़ा,गुलाम,शाह,कलन्दर हर एक के, फैले हुए है हाथ तिरे दर के सामने।।
नवाब अख़्तर ने पढ़ा “मैने कहा लम्बा है लंबा सफर पुल सिरात का, जिब्रील बोले क्या है मेरे पर के सामने।
बिलाल राज़ ने ये कलाम पेश किया “हाज़िर गदा है रौज़ा-ए-अनवर के सामने, प्यासे खड़े हुए है समन्दर के सामने, जो कुछ हुआ जहान में जो होगा हश्र तक, रौशन है सारा हाल पयम्बर के सामने।।
असरार नसीमी ने पढ़ा “शाहों के आज मखमली गद्दे भी हेच हैं, सरकार के चटाई से बिस्तर के सामने, मिधत सराई सरवरे आलम की और मैं, कतरे की क्या बिसात समन्दर के सामने।।
रईस अहमद बरेलवी ने पढ़ा “ऐ वक़्त के यज़ीद अगर मेरा बस चले, ले जाऊँ तुझको फतह ए ख़ैबर के समाने,मैदान ए जंग में हो अगर हौसला बुलंद, सत्तर हजार किया है बहत्तर के सामने।”
डॉक्टर अदनान काशिफ ने पढ़ा “दुनिया झुकी है जिनके गदागर के सामने, वह भीख मांगते है तिरे दर के सामने।। इसके अलावा मुफ्ती मोईनुद्दीन,मुफ्ती अनवर अली,कारी रिज़वान रज़ा, महशर बरेलवी आदि ने भी मुशायरा में हिस्सा लिया।