बदलते मौसम में बच्चों की माताएं रखें खास ध्यान: डॉ बीरेंद्र चौधरी / रिपोर्ट नसीम रब्बानी
1 min readबदलते मौसम में बच्चों की माताएं रखें खास ध्यान: डॉ बीरेंद्र चौधरी / रिपोर्ट नसीम रब्बानी
– कुपोषण से बचाव के लिए संतुलित आहार जरूरी
– बीमारियों से बचाव को जरूरी है टीकाकरण
बेतिया, 21 अगस्त।
पश्चिमी चम्पारण के सिविल सर्जन डॉ बीरेंद्र चौधरी का कहना कि बरसात के मौसम में छोटे व नवजात बच्चों का उनकी माताओं द्वारा विशेष ध्यान रखना चाहिए। बरसात के मौसम में कई प्रकार के वायरस रोगों का खतरा बच्चों पर मंडराता है| जिनसे बचाव के लिए सन्तुलित भोजन के सेवन के साथ ही बाहरी मौसम से सुरक्षा के लिए, समय समय पर आयरन, कैल्शियम, व पेट के कीड़ों से सुरक्षा के लिए एल्बेंडाजोल की दवाओं का सेवन जरूरी होता है। उन्होंने छोटे बच्चों की सेहत के बारे में कहा कि भोजन की सही मात्रा में सेवन नहीं करने से बच्चों के शारीरिक, मानसिक विकास पर बुरा असर पड़ता है। जिससे कुपोषण की समस्या बनी रहती है।उन्होंने बताया कि हालांकि कुपोषण बीमारी नहीं है, लेकिन यह उससे भी खतरनाक है। लगभग 47 प्रतिशत बच्चे कम पोषण पा रहे और कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। कुपोषण का अर्थ है भोजन में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी, या गलत आहार, इसकी वजह से जो स्थिति बनती है, उसे कुपोषण कहते हैं। शरीर को रोज के काम के लिए कई पौष्टिक तत्वों की जरूरत होती, उस तत्व की कमी शरीर में कई दुष्प्रभाव डालती है। देश में 47 प्रतिशत बच्चे कम व गलत आहार पा रहे हैं। कुपोषण का एक और प्रमुख कारण है उच्च जन्मदर, जिसकी वजह से सभी बच्चों को ठीक से आहार नहीं मिल पाता और माता-पिता भी उन पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते।
कुपोषण से होने वाले दुष्प्रभाव :
डॉ बीरेंद्र चौधरी ने बताया कि कुपोषण के शिकार बच्चों का वजन नहीं बढ़ता, उनकी ऊँचाई और वजन दोनों आयु के हिसाब से कम होते हैं। साथ ही वे सुस्त व चिड़चिड़े होते हैं। अधिक कुपोषित होने पर बच्चे सुस्त पड़े रहते हैं। उनकी रुचि खेल-कूद में नहीं रहती। वे एक ही जगह पड़े रहना पसंद करते हैं। कुपोषण प्राथमिक स्तर पर है तो इसकी रोकथाम की जा सकती है। कुपोषण की स्थिति ज्यादा गड़बड़ हो तो इसका इलाज घर पर नहीं हो सकता। अस्पताल में भरती कराना पड़ता है।
कुपोषण से बचाव को ये आहार जरूरी:
सही आहार बच्चे को सेहतमंद व निरोग बनाती है। तीन साल के बच्चे को दिनभर में 2 कप दूध, डेढ़ से दो कटोरी दाल, 3-4 कटोरी मिला-जुला अनाज 6 से 8 बार खिलाना ठीक रहता है। पानी भी बच्चे को साफ ही देना चाहिए, थोड़ भी शंका होने या कोई संक्रमण होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। छह या सात माह के बच्चे को माँ के दूध के अलावा दो कटोरी मसला हुआ खाना दिनभर में -थोड़ा थोड़ा कर के खिलाना चाहिए। आठ से दस माह के बच्चे को माँ के दूध के अलावा 3 कटोरी खाना दिनभर में खिला देना चाहिए।
मौसमी फलों का सेवन जरूरी है:
हर मौसम में आने वाले विभिन्न फल या उनका रस बच्चों को दें। ये फल प्रकृतिक ग्लूकोज, विटामिन तथा पौष्टिकता प्रदान करते हैं बच्चों को समय समय पर आयरन, कैल्शियम व एल्बेंडाजोल की दवा भी देना आवश्यक है। साफ पानी पिलाना चाहिये।