पोषण का अलख जगा रही हैं सेविका इंदू देवी – कुपोषण के खिलाफ पोषण पर जन-भागीदारी को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं इंदू देवी।
1 min readपोषण का अलख जगा रही हैं सेविका इंदू देवी
– कुपोषण के खिलाफ पोषण पर जन-भागीदारी को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं इंदू देवी।
शिवहर, 20 मार्च| कोई भी बदलाव एक दिन में संभव नहीं होता है। इसके लिए सकारात्मक सोच एवं सुनियोजित तरीके से निरंतर प्रयास करने की जरूरत होती है। कुछ ऐसी ही सोच रखने वाली फुलकाहां गांव की आंगनबाड़ी कोड संख्या 68 की सेविका इंदू देवी अपने पोषण क्षेत्र में बदलाव लाकर पोषण सेवाओं को सुचारू रखने में सफल हुई हैं। अपने क्षेत्र में पोषण की अलख जगाने के कारण उनकी एक अलग पहचान बनी है। कोरोना महामारी के कारण आंगनबाड़ी केन्द्र बंद थे, उसके बाद भी उन्होंने अपने पोषक क्षेत्र में पोषण गतिविधियों को सुचारू रखा। गृह भ्रमण के दौरान लाभार्थी महिलाओं, किशोरियों व बच्चों के संपूरक आहार, स्तनपान एवं अन्य महत्वपूर्ण पोषण गतिविधियों पर समुदाय को जागरूक करने में उनकी भूमिका सराहनीय रही है। सरकार द्वारा शुरू किये गये पोषण अभियान का मुख्य लक्ष्य पोषण पर जन-भागीदारी बढ़ा कर इसे जनांदोलन में तब्दील करना है। इंदू देवी का प्रयास भी पोषण पर जन-भागीदारी को सुनिश्चित करने के साथ कुपोषण स्तर में कमी लाना है। इनके प्रयास का सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। घर-घर जाकर पोषण की अलख जगाना इंदू को अन्य से अलग करता है।
निरंतर सामुदाय से संपर्क स्थापित करती हैं
सेविका इंदू देवी पोषण अभियान को जन आंदोलन के रूप में बदलने की दिशा में निरंतर अपनी सेवा दे रही हैं। कुपोषण को कम करने के लिए स्तनपान, संपूरक आहार, मातृ पोषण और किशोरी पोषण आवश्यक है। इसे सुनिश्चित करने के लिए वह अपने पोषक क्षेत्र में गृह भ्रमण एवं सामुदायिक बैठकों का सहारा लेती हैं। निरंतर सामुदाय से संपर्क स्थापित करते रहना एवं अपनी जिम्मेदारियों के प्रति गंभीर रहना वह अपनी जिम्मेदारी समझती हैं।
पोषण के लिये देती हैं उपयोगी संदेश
सेविका इंदू देवी कहती हैं कि समुदाय में पोषण को लेकर जागरूकता बढ़ी है। पहले महिलाएं स्तनपान एवं संपूरक आहार की उपयोगिता से परिचित नहीं थी। लेकिन आंगनबाड़ी केन्द्रों को सरकार द्वारा दिए गए आहार निर्देशिका काफी कारगर साबित हो रहे हैं। आहार पुस्तिका में आवश्यक जानकारी कहानी के साथ दी गयी है, जो काफी असरदार साबित हुयी है। बच्चों के पोषण के लिए अब कहानी के सहारे उपयोगी संदेश दिए जा रहे हैं । इससे बच्चों में कहानी के प्रति आकर्षण बना रहता है एवं साथ ही उन्हें पोषण व्यवहार की भी जानकारी मिलती रहती है।
बदल चुकी है क्षेत्र की तस्वीर
इंदू देवी ने बताया कि उनके पोषक क्षेत्र (फुलकाहां) में शायद ही कोई ऐसा घर होगा जिस घर में कोई बच्चा आज कुपोषण का शिकार हो। गांव के सभी बच्चे कुपोषण मुक्त हैं। सेविका इंदू बताती हैं जब गांव के बच्चों को स्वस्थ देखती हैं तो वह उत्साहित होकर अपने कार्य में पूरे लगन के साथ जुट जाती हैं । उनका मानना है कि कुपोषण को खत्म करने के लिए लोगों की इसमें भागीदारी बहुत जरूरी री है। जितने अधिक लोग इस मुहिम में शामिल होंगे, कुपोषण को खत्म करना उतना आसान हो सकेगा।
स्वच्छता के लिए भी किया जागरूक
इंदू देवी के अनुसार उन्होंने लोगों को न केवल पोषण के लिए जागरूक किया, बल्कि महिलाओं, किशोरियों व बच्चों को स्वच्छता के प्रति भी जागरूक किया। वह गर्भवती एवं महिलाओं को समझाती हैं कि खाने से पहले और शौच के बाद हाथ धोते रहें। पोषण पर सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने के क्रम में वह साफ-सफाई पर विशेष जोर देती हैं । साफ़-सफाई पोषण व्यवहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो कुपोषण से सुपोषण की तरफ बढ़ने में सहयोग करता है।
कोरोना से बचाव की भी जानकारी
आशा इंदू देवी नियमित क्षेत्र भ्रमण कर लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए भी जागरूक कर रही हैं। लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क का उपयोग, नियमित हाथों की धुलाई, आस-पास सफाई करने के लिए प्रेरित कर रही हैं। साथ ही साथ कुपोषित बच्चों का भी विशेष देखभाल कर रही हैं।