थैलेसीमिया व हीमोफीलिया पीड़ित अब राज्य के चार अतिरिक्त ‘डे केयर सेंटर’ में ले सकेंगे लाभः मंगल पांडेय/रिपोर्ट नसीम रब्बानी
1 min readथैलेसीमिया व हीमोफीलिया पीड़ित अब राज्य के चार
अतिरिक्त ‘डे केयर सेंटर’ में ले सकेंगे लाभः मंगल पांडेय/रिपोर्ट नसीम रब्बानी
-पीएमसीएच के अलावे मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया एवं पूर्णिया मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में भी खुलेंगे डे केयर सेंटर
-150 थैलेसीमिया एवं 50 हीमोफीलिया पीड़ित प्रति माह करा रहे ब्लड ट्रांसफ्यूजन
मुज़फ़्फ़रपुर, 17 अगस्त। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि थैलेसीमिया एवं हीमोफीलिया पीड़ितों को निःशुल्क ब्लड ट्रांसफ्यूजन सहित इलाज एवं जांच सुविधा मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग निरंतर प्रयास कर रहा है। थैलेसीमिया एवं हीमोफीलिया पीड़ितों के लिए पीएमसीएच में डे केयर सेंटर क्रियाशील है, वहीं अब मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया एवं पूर्णिया मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में एक-एक नए ‘डे केयर सेंटर’ क्रियाशील हो जाएंगे। इसको लेकर विभाग ने केयर इंडिया के साथ हाल ही में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। करार के मुताबिक भागलपुर एवं गया में इंटीग्रेटेड सेंटर फॉर हेमोग्लोबिनोपेथिस एंड हीमोफिलिया ंस्थापित की जाएगी। इन केंद्रों पर थैलेसीमिया एवं हीमोफिलिया मरीजों के अलावे जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर मरीजों के इलाज की व्यवस्था होगी।
श्री पांडेय ने बताया कि मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में प्रथमा संस्था के सहयोग से एवं पूर्णिया मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग ख़ुद ‘डे केयर सेंटर’ स्थापित करेगा। पीएमसीएच स्थित डे केयर सेंटर में आयरन कीलेटिंग एजेंट भी उपलब्ध है, जो थैलेसेमिया के मरीजों में लगातार ब्लड ट्रांसफ्यूजन के कारण बढ़ी आयरन की मात्रा के दुष्प्रभाव को कम करता है। इस केंद्र पर प्रति माह लगभग 150 थैलेसीमिया एवं 50 हीमोफीलिया पीड़ितों को लाभ मिलता है। जिसमें निःशुल्क ब्लड ट्रांसफ्यूजन, खून की नियमित जांच एवं दवा वितरण जैसी सुविधा पीड़ितों को दी जाती है। इस साल के जून महीने तक 1904 थैलेसीमिया पीड़ितों ने ‘डे केयर सेंटर’ से ब्लड ट्रांसफ्यूजन कराया, वहीं 613 हीमोफीलिया पीड़ितों ने भी लाभ उठाया है। ‘डे केयर सेंटर’ में शिशु रोग विशेषज्ञ, पैथोलोजिस्ट, विशेषज्ञ चिकित्सक (14 वर्ष से ऊपर के मरीजों के लिए) परामर्श के लिए उपलब्ध हैं। थैलेसीमिया में मरीजों को खून चढ़ाने की जरूरत होती है। जबकि हीमोफीलिया में फैक्टर 8 एवं 9 की जरूरत मरीजों को होती है।
श्री पांडेय ने बताया कि बिहार में काफ़ी संख्या में लोग थैलिसीमिया मेजर से ग्रस्त मरीज हैं जो नियमित ब्लड ट्रांसफ्यूजन पर है। थैलेसीमिया एवं हीमोफीलिया से पीड़ितों को सामान्य लोगों की तुलना में अधिक देखभाल की जरूरत होती है। जिसके लिए सरकारी अस्पतालों में इसका प्रबन्धन होना जरुरी हो जाता है, क्योंकि निजी अस्पतालों में ऐसे रोगों के ईलाज पर काफ़ी रूपये का खर्च आता है। इसको ध्यान में रखते हुए 14 जून, 2020 को पीएमसीएच, पटना में इंटीग्रेटेड सेंटर फॉर हेमोग्लोबिनोपेथिस एंड हीमोफिलिया की शुरुआत की गयी थी। थैलेसीमिया पीड़ितों के पंजीकरण के लिए सॉफ्टवेर डेवलप किया गया है। सॉफ्टवेर पर पीड़ितों के पंजीकरण के बाद उन्हें एक यूनिक आईडी एवं स्मार्ट कार्ड भी दिया जाता है। स्मार्ट कार्ड मिलने से थैलेसीमिया मरीज किसी भी सरकारी अस्पताल में जाकर निःशुल्क ब्लड ट्रांसफ्यूजन का लाभ उठा सकते हैं। राज्य के सभी सरकारी एवं प्राइवेट ब्लड बैंक को थैलेसेमिया के मरीजों को बिना रिप्लेसमेंट एवं बिना प्रोसेसिंग चार्ज लिए ब्लड आपूर्ति करने के लिए निर्देशित किया गया है।