बिहार में फिर से टल सकता है पंचायत चुनाव, बताई जा रही ये वजह।
बिहार में पंचायत चुनाव की तिथियों को लेकर संशय जारी है। राज्य चुनाव आयोग सितंबर से नवंबर तक चुनाव कराना चाहता है, लेकिन इस कार्य में सबसे बड़ी बाधा है 17 जिलों में बाढ़। जानकारी के अनुसार चुनाव की तिथियों का कोई फैसला लेने के पहले राज्य सरकार जिलों में बाढ़ की स्थिति को लेकर जिलाधिकारियों से फीड बैक लेने की तैयारी कर रही है। संभव है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में पंचायत चुनाव की तिथि आगे बढ़ा दी जाए। हालांकि इससे चुनाव के समेकित कार्यक्रम पर असर पड़ने की उम्मीद नहीं है। आपको बता दें कि राज्य निर्वाचन आयोग ने जिलो से आई रिपोर्ट के आधार पर 10 चरणों में पंचायत चुनाव कराने की तैयारी लगभग पूरी कर ली है। आयोग शुरुआती चरणों के चुनाव कार्यक्रम में भले ही फेरबदल कर दे, लेकिन प्रक्रिया को नवंबर तक खत्म करने की पूरी कोशिश रहेगी।
*20 सितंबर से 25 नवंबर तक है चुनाव कराने की तैयारी*
पिछले दिनों बिहार में 10 चरणों में होने वाले पंचायत चुनाव की तिथियों को लेकर एक गैरआधिकारिक सूचना भी सामने आई, जिसमें 20 सितंबर से 25 नवंबर तक मतदान कराने की बात सामने आई थी। हालांकि, चुनाव की आधिकारिक सूचना राज्य निर्वाचन आयोग ही जारी करता है। आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले चुनाव की तिथि लीक होने को लेकर तमाम चर्चाएं भी पिछले हफ्ते चली थीं। इसके बाद भी कयास लगाए जा रहे थे कि आयोग इन तिथियों को पुनर्व्यवस्थित कर सकता है।
*अनुमान से अधिक असर दिखा चुकी है बाढ़*
आयोग ने अब तक जो तैयारी की है, उसमें भी बाढ़ के संभावित असर वाले प्रखंडों में बाद के चरणों में चुनाव कराने की ही बात है। हालांकि आयाेग ने जिलों से रिपोर्ट के आधार पर जब यह कार्यक्रम तय किया, तब बाढ़ के इतने खतरनाक रूप अख्तियार करने का अंदाजा शायद नहीं था। इस बार कई इलाकों में बाढ़ अनुमान से कही अधिक असर दिखा रही है। करीब 14 साल बाद भागलपुर-किऊल रेलखंड पर बाढ़ के कारण यातायात बंद करना पड़ा है तो पटना के पास गंगा अपने रिकार्ड स्तर तक पहुंचने से कुछ ही सेंटीमीटर नीचे रह गई। हथीदह और कई इलाकों में गंगा ने पुराने रिकार्ड तोड़ दिए। गंगा के अलावा गंडक और कोसी जैसी नदियों में अब भी काफी पानी है।