टीबी को हराने के लिए नियमित रूप से दवा लें: सिविल सर्जन
टीबी को हराने के लिए नियमित रूप से दवा लें: सिविल सर्जन
– 2021 में की गयी 843 मरीजों की खोज
– केयर भी देगा तकनीकी सहयोग
वैशाली, 20 मार्च ।
जिला स्वास्थ्य समिति और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से सिविल सर्जन सभागार में शनिवार को टीबी पर मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसका विधिवत उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ इंद्रदेव रंजन ने किया। कार्यशाला में टीबी के बारे में सीएस ने कहा कि सरकार हर स्तर से टीबी रोगियों की सुविधा के लिए तत्पर है। मुफ्त में जांच उपचार तथा पोषण की व्यवस्था करती है। बस आपको उसका अधिक से अधिक लाभ लेकर 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाना है। इन सबके अलावा एक बात और याद रखनी है कि टीबी की दवा अगर आप खा रहे हैं तो उसे कृपया नियमित खाएं। टीबी की नियमित दवाओं का सेवन नहीं करने से ही टीबी अपने दूसरे स्टेज एमडीआर में पहुंच जाती है। वहीं कार्यशाला के दौरान जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ शिव कुमार रावत ने कहा कि जब पोलियो को हम जड़ से समाप्त कर सकते हैं तो टीबी को क्यों नहीं। टीबी साधारण सी बीमारी है, आपकी लापरवाही के कारण यह खतरनाक हो जाती है। इसका पूरा और मुफ्त इलाज सरकारी अस्पताल में ही उपलब्ध है। अब प्राइवेट डॉक्टर भी टीबी रोगियों की खोज में सहायता कर रहे हैं है। अगर कोई भी टीबी रोगियों की पहचान करता है तो उसे उसी वक्त 500 रुपए दिए जायेंगे । वहीं एनसीडी डॉ आरके साहू ने कहा टीबी रोगियों को एचआईवी और शुगर की जांच अवश्य करानी चाहिए। टीबी रोगियों में प्रतिरोध क्षमता की कमी के कारण कोई भी रोग जल्दी अपनी जद में ले लेता है। इसलिए टीबी को जन अभियान बना कर इसे सफल बनाना होगा। डीएमओ डॉ एसपी सिंह ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में टीबी की जांच से मरीजों का उपचार संभव हो पाएगा।
जिले में यह है स्थिति
जिले में 2020 में कुल 3519 टीबी के नए रोगियों की खोज हुई जिसमें से 3117 लोगों का एचआईवी टेस्ट किया गया। वहीं इस वर्ष 86 प्रतिशत मरीज स्वस्थ्य हो गए। दूसरी ओर निश्चय पोषण योजना के तहत 2664 लोगों को पोषण योजना का लाभ मिला। वर्ष जनवरी 2021 से अभी तक कुल 843 टीबी मरीजों की खोज हुई। जिसमें सरकारी स्तर से 373 और प्राइवेट स्तर से 494 मरीजों की खोज हुई। जिसमें से 834 लोगों की एचआईवी जांच हुई है। वहीं निश्चय पोषण योजना से अभी तक 261 लोग लाभांवित हुए हैं।
हस्ताक्षर अभियान से लिया संकल्प
मीडिया वर्कशॉप के अवसर पर टीबी मिटाने के लिए हस्ताक्षर अभियान का आयोजन भी किया गया। जिसमें सबसे पहले सिविल सर्जन डॉ इंद्रदेव रंजन ने टीबी के स्लोगन लिखकर हस्ताक्षर किया। वहीं सीडीओ डॉ शिव कुमार रावत सहित अन्य मीडियाकर्मी के साथ स्वास्थ्यकर्मियों भी हस्ताक्षर अभियान का हिस्सा बने।
लक्षण के आधार पर कराएं टीबी की जांच और उपचार
सीडीओ डॉ शिव कुमार रावत ने कहा कि भूख कम लगना, बुखार रहना और लगातार वजन का कम होना, दो सप्ताह से ज्यादा खांसी रहना सामान्य तौर पर टीबी के लक्षण माने जाते हैं। इन लक्षणों के आधार पर अगर हम ससमय जांच करा लें तो टीबी का पता चल सकता है वहीं इसका उपचार भी हो सकेगा। सारे अस्पतालों में बलगम जांच, एक्स रे ,सीबी नेट, ट्रू नेट से जांच मुफ्त उपलब्ध है। ग्रामीण चिकित्सक के प्रदेश सचिव सुरेन्द्र पासवान ने कहा कि ग्रामीण चिकित्सक टीबी रोगियों की खोज में सहायता करेंगे । जिससे टीबी मुक्त भारत का सपना साकार होगा।
केयर भी करेगा सहयोग
कार्यशाला के दौरान केयर के डीटीएल सुमित कुमार ने कहा कि अभी तक केयर मातृ एवं शिशु , कालाजार और परिवार नियोजन पर तकनीकी सहयोग दे रहा था । अब केयर टीबी के उन्मूलन में भी तकनीकी सहयोग देगा । आशा है कि स्वास्थ्य विभाग, केयर और आम जन के सहयोग से 2025 तक टीबी मुक्त भारत की संकल्पना फलीभूत होगी। मौके पर सिविल सर्जन डॉ इंद्रदेव रंजन, एनसीडी डॉ आरके साहू, सीडीओ डॉ एसके रावत, डीएमओ डॉ एसपी सिंह, डीआइओ डॉ ललन राय, सीनियर डीपीएस राजीव रंजन, केयर डीटीएल सुमित कुमार, डीपीओ सोमनाथ ओझा, डॉक्टर फॉर यू से मुकेश, सीफार से श्रीकांत, अमित सिंह सहित यूनिसेफ की मधुमिता, डब्ल्यूएचओ की डॉ श्वेता राय और अन्य स्वास्थ्यकर्मी शामिल थे।