अली बहादुर शाह नौज़वान कमेटी ने लंगर-ए-हुसैनी बांटा।/रिपोर्ट नसीम रब्बानी
1 min readअली बहादुर शाह नौज़वान कमेटी ने लंगर-ए-हुसैनी बांटा।/रिपोर्ट नसीम रब्बानी
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
अली बहादुर शाह नौज़वान कमेटी ने सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर पर अकीदतमंदों में लंगर-ए-हुसैनी बांटा।
मस्जिद के इमाम मौलाना अली अहमद ने कहा कि हज़रत इमाम हुसैन ने मुल्क या हुकूमत के लिए जंग नहीं की, बल्कि वह इंसानों के सोये हुए जेहन को जगाने आये थे। उनके कुनबे में शामिल बूढ़े, जवान, बच्चे और महिलाओं ने खुद पर जुल्म सहन कर लिया लेकिन पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के दीन-ए-इस्लाम को ज़ालिम यजीद से बचा लिया। आलम-ए-इस्लाम को यह मानने पर मजबूर होना पड़ा कि हक और बातिल के बीच हुई जंग में कर्बला के शहीदों ने जो जीत हासिल की वह कयामत तक कायम रहेगी।
लंगर बांटने में अली गज़नफर शाह अज़हरी, आसिफ कुरैशी ‘बब्लू’, मो. ज़ैद, मो. फैज़, मो. आसिफ, मो. अरशद, मो. तैयब, तौसीफ खान, मोहम्मद लवी, अली कुरैशी, मो. रफीज़, सैयद मारूफ ने महती भूमिका निभाई।
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