कालाजार से बचाव को सिंथेटिक पायरोथायराइड का हो रहा है छिड़काव /रिपोर्ट नसीम रब्बानी
1 min readकालाजार से बचाव को सिंथेटिक पायरोथायराइड का हो रहा है छिड़काव /रिपोर्ट नसीम रब्बानी
– 66 दिनों तक होगा कीटनाशक दवाओं का छिड़काव
– गंदे व जमे हुए पानी से कालाजार रोग फैलने की रहती है संभावना
मोतिहारी, 12 अगस्त 21
जिले में कालाजार से प्रभावित विभिन्न प्रखंडों के गांवों में कालाजार उन्मूलन के लिए सिंथेटिक पायरोथायराइड कीटनाशक का छिडकाव शुरू किया गया है। हरसिद्धि प्रखण्ड के गायघाट, वार्ड नं 10, में कालाजार से बचाव को सिंथेटिक पायरोथायराइड का छिड़काव हो रहा है। केयर इंडिया के हेल्थ मैनेजर विक्रान्त कुमार ने बताया कि 3 दल के द्वारा छिड़काव का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि केयर कालाजार समन्वयक धनंजय चौबे के देखरेख में 66 दिनों तक छिडकाव किया जाना है।
जिला भिबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरद चन्द्र शर्मा ने बताया कि ग्रामीणों को कालाजार से बचाव की जानकारी देकर उन्हें घरों, व आसपास के क्षेत्रों में दवा का छिड़काव कराने के लिए जागरूक किया जा रहा है। साथ ही लोगों को बताया जा रहा है कि बरसात एवं बाढ़ से ग्रसित क्षेत्रों में मलेरिया, कालाजार रोगों के तीव्र गति से बढ़ने की काफी संभावना रहती है । इसका प्रमुख कारण है घरों के अस्वच्छ स्थानों, गन्दगी, कूड़े कर्कट वाले क्षेत्रों, खुले मैदानों, नालियों एवं बाढ़ ग्रसित क्षेत्रों में पानी का जमाव होना ।
पानी जमा हुए स्थानों पर मलेरिया, कालाजार के मच्छरों की पैदाइश को रोकने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव बेहद जरूरी होता है। इन सभी प्रकार के रोगों से बचाव के लिए मच्छड़दानी का प्रयोग जरूरी है। जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शर्मा ने बताया की पूर्वी चम्पारण में 15 जुलाई से 26 प्रखंड क्षेत्रों में कीटनाशकों का छिड़काव शुरु किया गया है। साथ ही जिले में कालाजार के खात्मे के लिए जिला स्तर पर लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है । जिससे कालाजार के मामलों में कमी आएगी। डॉ शर्मा ने बताया की पूर्वी चम्पारण को कालाजार से मुक्त करने के विभिन्न प्रखंडो में समय समय पर कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसके लिये महादलित बस्तियों, झुग्गी-झोपडी में कालाजार से बचाव के लिये लोगों को जागरूक करने के साथ साथ सिंथेटिक पायरोथायराइड कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता है। लोगों को कालाजार से बचाव के लिए जरूरी सुझाव, व परामर्श दिए जा रहे हैं । कालाजार रोग को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार काफी गम्भीर है। इसके उन्मूलन के लिये सभी को आस पड़ोस के वातावरण को साफ सुथरा रखने, शौचालय की सफ़ाई करने एवं मछड़दानी का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।
कालाजार के प्रमुख लक्षण
प्रखण्ड केयर स्वास्थ्य प्रबंधक विक्रान्त कुमार ने बताया कालाजार में व्यक्ति को बुखार अक्सर रुक-रुक कर या तेजी से तथा दोहरी गति से आना, भूख नहीं लगना, वजन में कमी, कमजोरी, त्वचा सूखी, पतली और शुष्क हो जाना तथा बाल झड़ने लगते हैं। इस बीमारी में खून की कमी बड़ी तेजी से होने लगती है। गोरे व्यक्तियों के हाथ, पैर, पेट और चेहरे का रंग भूरा हो जाता है। इसी से इसका नाम कालाजार पड़ा अर्थात काला बुखार पड़ा है।
सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार ने बताया पहले कीटनाशक दवा का छिड़काव दीवार पर छह फुट तक होता था, अब वह पूरी दीवार पर हो रहा है। वहीं इसके चक्र की अवधि को भी 60 से 66 दिनों तक किया गया है।
छिड़काव के वक्त ध्यान में रखने वाली बातें
– घर की दीवारों में पड़ी दरारों को भर दें
– अच्छी तरह से घर की सफाई करें। खाने-पीने का सामान, बर्तन, दीवारों पर टंगे कैलेंडर आदि को बाहर निकाल दें।
– भारी सामानों को कमरे के मध्य भाग में एकत्रित कर दें और उसे ढक दें।
– रसोईघर, गौशाला सहित पूरे घर में पूरी दीवार पर दवा का छिड़काव कराएं।
मौके पर प्रखंड केयर स्वाथ्य प्रबंधक विक्रान्त कुमार प्रखंड कालाजार समन्वयक धनंजय चौबे , सहित छिड़काव दल के कर्मी एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित थे।