सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ याचिका दायर करने के बाद हमें सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद है कि मुसलमान के हक में बेहतर फैसला करेगी :नफीसुल हक रिंकू
मधुबनी संवाददाता मो सालिम आजाद
संविधान बचाओ अभियान के सह संयोजक रियाज खान कादरी द्वारा बुलाई गई प्रेस वार्ता मे वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय तक लड़ाई जारी रखने की घोषणा दिनांक 12 अप्रैल को दरभंगा में संविधान बचाओ, देश बचाओ, लोकतंत्र बचाओ अभियान के बैनर तले हजारों अमनपसंद लोगों ने चिलचिलाती धूप में वक्फ संशोधन कानून के विरोध में ज़ोरदार प्रदर्शन किया विरोध प्रदर्शन के बाद संविधान बचाओ लोकतंत्र बचाओ देश बचाओ अभियान के संयोजक नफीसुल हक रिंकू सुप्रीम कोर्ट मे संशोधन बिल के खिलाफ याचिका दायर करने के बाद आज दरभंगा लौटने पर प्रेस वार्ता से बात करते हुए कहा यह कानून न केवल मुस्लिम समाज की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाता है, बल्कि संविधान के मूल सिद्धांतों का भी उल्लंघन करता है। यह सरकार आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। नफीस उल हक रिंकू, जिन्होंने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, ने प्रेस वार्ता में कहा: हमारी आवाज़ संसद में भले ही दब गई हो, लेकिन न्यायालय में हमारी लड़ाई ज़ोर-शोर से जारी रहेगी। हमें JDU और TDP जैसे दलों से उम्मीद थी, पर उन्होंने सत्ता के लिए अन्याय का साथ दिया। कभी NRC, कभी तीन तलाक, और अब वक्फ कानून—सरकार लगातार मुसलमानों को निशाना बना रही है। उन्होंने आगे बताया कि 17 अप्रैल को केंद्र सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में समय माँगा, जो इस बात का संकेत है कि सरकार भी इस कानून की संवैधानिक वैधता को लेकर आश्वस्त नहीं है। 5 मई को इस याचिका की अगली सुनवाई होगी, जिसमें नफीस उल हक रिंकू दरभंगा के अमनपसंद नागरिकों की आवाज बनकर सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित रहेंगे। एडवोकेट मुमताज़ आलम ने भी केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा: सरकार को वक्फ की धार्मिक और सामाजिक उपयोगिता की कोई समझ नहीं है। यह कदम सिर्फ मुसलमानों को परेशान करने की साज़िश है। समाजसेवी रुस्तम कुरैशी ने कहा: यह लड़ाई सिर्फ मुसलमानों की नहीं, बल्कि दलितों, पिछड़ों और तमाम अल्पसंख्यकों की भी है। आज मुसलमानों की संपत्तियों पर नज़र है, कल किसी और की बारी आएगी। रियाज खान कादरी ने अंत में कहा हम सड़क से संसद और न्यायालय तक इस अन्यायपूर्ण कानून के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे इस देश के हर मुसलमान को या जो संविधान को मानते हैं उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से उम्मीद है कि वह जो भी फैसला करेंगे बेहतर से बेहतर फैसला मुसलमानो के हक में करेंगे—और जीतकर दिखाएँगे। इस प्रेस वार्ता मेंमें कई सामाजिक कार्यकर्ता और संगठन के प्रतिनिधि भी बड़ी संख्या में शामिल हुए जिन मे शरफे आलम तमन्ना, मोहम्मद उमर, अफताब अशरफ, मोहम्मद मुर्तजा राईन (इंसाफ मंच), रुस्तम अंसारी, आस मोहम्मद समेत अनेक अमनपसंद नागरिक मौके पर उपस्थित रहे और अपने-अपने विचारों के माध्यम से इस आंदोलन को मज़बूती प्रदान की।