आज की महिलाएं आज कड़ी से कड़ी चुनौती को स्वीकार करते हुए मै नाड़ी हुँ।
1 min readआज की महिलाएं आज कड़ी से कड़ी चुनौती को स्वीकार करते हुए मै नाड़ी हुँ।
कौशल किशोर सिंह की रिपोर्ट।
गोरौल ।संवाददाता। गणित में पटना से एम.एस.सी कर चुकी गोरौल राजकीय अस्पताल के डाँ. सारंगधर मिश्रा की पत्नी सुरुची राज बताती है कि उन्होने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को यादगार के रूप में मनाना चाहती है. उनका कहना है कि यह महिला दिवस महिलाओं का मान सम्मान को दर्शाता है. ऐसे तो भारत पहले से पुरुष प्रधान देश में आता है. जहां महिलाओं को अनदेखी की जाती थी. जबकि 8 मार्च को महिलाओं के उत्थान के लिए दर्शाता है. महिलाओं के लिए सशक्तिकरण सरकार की बड़ी उपलब्धि रही है. इसके लिए सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, आदि योजनाएं लाकर महिलाओं को काफी सम्मान प्रदान की है. जो कि महिलाओं को इस समृद्धि से देश में उन्नत होगा. अब महिलाओं पुरूषों से पीछे नही है. वे वायू सेना, जल सेना, थल सेना, अंतरीक्ष अनुसंधान, डॉ, इंजीनियर, पत्रकारिता, खेल कृषि, आदि हर क्षेत्र में उनका अनुकरणीय योगदान है. आज की महिलाएं कड़ी से कड़ी चुनौती को स्वीकार करते हुए नई इतिहास रचते जा रही है. भावना कंठ, किरण बेदी, कल्पना चावला, मदर टेरेसा, साइना नेहवाल, गीता फोगाट, अरुणिमा सिन्हा, लता मंगेशकर जैसे कई महिलाएं बड़ी से बड़ी चुनौती को स्वीकार करते हुए इतिहास पर रची है. इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मैं एक कविता लिख रही हूं.
कविता का सारांश:-
हां मैं नारी हूं, मैं शक्ति हूं, मैं भक्ति हूं, अग्नि में तपती नारी हूं, कलयुग हो या सतयुग हो, मैं हर रूप में दिखती हूं, हां मैं नारी हूं. नाजुक है मेरा तन बदन, भावुक है मेरा अंतर्मन, अभिलाषाए हैं मेरी छोटी सी, जिंदगी है मेरी अनोखी सी, हां मैं नारी हूं, लबों पे हंसी रहती है, हिम्मत की रानी बनी, संघर्ष में भी तेज रखी, समय का सदुपयोग कि, हां मैं नारी हूं, तु बलात्कार कर चाहे अत्याचार कर, हर शर्म हद को पार कर, बर्बरता का बर्ताव कर, कु प्रथाओं का प्रचार कर, फिर भी हर स्थिति में, उस में भारी हूं, हां हां मैं नारी हूं, रूडी की जंजीर तोड़कर, सर में कफन को बांधकर कर, डर डर क्रोध को त्याग कर, स्वर्णिम भविष्य का निर्माण कर, हर स्थिती में पुरूष पे भारी हुँ, हां मै नारी हुँ।