वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ दरभंगा में निकला विशाल मौन जूलूस संविधान विरोधी वक्फ संशोधन विधेयक को हर हालत में वापस लें सरकार रियाज़ ख़ान कादिर साहब
वक्फ की संपत्तियों को कारपोरेट के हवाले करने की साजिश हैं वक्फ बिल : रियाज़ ख़ान क़ादरी साहब
मधुबनी संवाददाता मो सालिम आजाद
वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ, देश बचाओ अभियान के बैनर तले दरभंगा के हमीदिया मदरसा किलाघाट से विशाल मौन जूलूस हजारों की संख्या में निकाला गया। जुलूस के जरिए साम्प्रदायिक व संविधान विरोधी वक्फ संशोधन कानून वापस लेने,संविधान पर भाजपा सरकार के खुल्लम – खुला हमला बंद करने तथा मुस्लिम समुदाय की धार्मिक आजादी पर हमला बंद करने का आवाज़ बुलन्द किया गया। मौन जूलूस का नेतृत्व नफीसुल हक रिंकू, डब्बू खान, इंसाफ मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष नेयाज अहमद, मकसूद आलम पप्पू खां, रुस्तम कुरैशी,मुमताज आलम अधिवक्ता, अम्बर इमाम हाशमी छोटे मियां, रियाज खान कादरी अध्यक्ष अंजुमन करवाने मिल्लत वेलफेयर ट्रस्ट, मो उमर, आश मोहम्मद, सचिन राम, जिला परिषद सदस्य हरि पासवान, भीम आर्मी के राजू पासवान, शनिचरी देवी,मो जमाल हसन, साबिर हुसैन लड्डू, मुन्ना खान, अफताब अशरफ,अकरम सिद्दकी, जावेद इकबाल, तारिक रजा, राजा अंसारी, फिरोज आलम, मो आरजू अरुफ, मो रियासत अली आदि ने किया। जुलूस हमीदिया मदरसा से निकलकर नाका 5 होते हुए लहेरियासराय धरना स्थल पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया। धरना स्थल पर आयोजित सभा का अध्यक्षता संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ, देश बचाओ अभियान के संयोजक सह अध्यक्ष नफीसुल हक “रिंकू ने किया. संचालन मो मुफ्ती शुभानी व रियाज खान कादरी ने किया। सभा को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने दृढ़ता पूर्वक वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ आवाज़ बुलन्द किया और मोदी सरकार के इस सांप्रदायिक और संविधान विरोधी दांव का विरोध किया। वक्ताओं ने कहा कि यह कानून एक समुदाय के प्रति दुराग्रहपूर्ण है और मुस्लिम समुदाय को संविधान में प्राप्त धार्मिक स्वतंत्रता के आधिकार पर प्रत्यक्ष हमला है. यह विधेयक धर्मांध कानून निर्माण का खुल्लम खुल्ला कृत्य है। वक्ताओं ने कहा कि 2006 की न्यायमूर्ति राजिंदर सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में यह बात आई थी कि वक़्फ़ सामाजिक धार्मिक संस्थान हैं जो कल्याणकारी गतिविधियों में लगे हैं. रिपोर्ट ने वक़्फ़ बोर्डों को पर्याप्त आर्थिक और कानूनी सहयोग के जरिये इन्हें प्रशासनिक तौर पर मज़बूत किये जाने की जरूरत पर बल दिया. इसके ठीक विपरीत प्रस्तावित विधेयक कानून में हिंदुत्व की राजनीतिक विचारधारा की कूटरचना कर देना चाहता है. वक़्फ़ बोर्डों, वक़्फ़ परिषद और अन्य हित धारकों से किसी भी तरह के अर्थपूर्ण विचार विमर्श का सचेत अभाव विधेयक में रेखांकित किया जा सकता है. इसके अलावा विधेयक गैर मुस्लिम सदस्यों को वक़्फ़ बोर्डों में शामिल करने का प्रावधान करता है, यह किसी भी कानून के तहत अप्रत्याशित कदम है, जो जानबूझ कर मुस्लिमों को उनके संस्थानों के नियंत्रण से वंचित करता है.
वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार के संविधान विरोधी कानून को पास कराने में तथाकथित सेकुलर पार्टी जदयू समेत उनके सहयोगियों के सहारे इस विधेयक को संसद से पास करा लिया हैं लेकिन जदयू के इस विश्वासघात को जनता नहीं भूलेंगी जिसने एक बार फिर वक़्फ़ बोर्ड पर भाजपा के असंवैधानिक हमले के साथ स्वयं को संबद्ध कर लिया. जनता आने वाले चुनाव में करारा जवाब देगी. मोदी सरकार मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने, संविधान को तोड़ने- मरोड़ने और सभी नागरिकों के अधिकारों व स्वतंत्रताओं का क्षरण करने के नित नए रास्ते ढूंढने का अभियान जारी रखे हुए है. नागरिकता संशोधन अधिनियम (सी ए ए) ने मुस्लिमों को नागरिकता के मामले में निशाना बनाया, जो कि धर्म के आधार पर भेदभाव न करने के मूलभूत संवैधानिक सिद्धांत के विपरीत था. एकरूपता के आवरण में समान नागरिक संहिता (यू सी सी) मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाती है और अब उत्तराखंड के यू सी सी ने अंतर धार्मिक व अंतर जातीय विवाहों के साथ ही सहमति से वयस्कों के लिव इन संबंधों पर भी तीखा प्रहार कर दिया है.
अल्पसंख्यक अधिकार, लोकतांत्रिक गणराज्य की अंबेडकर की परिकल्पना का केंद्रीय तत्व हैं. इस विधेयक ने एक बार फिर – राज्य मशीनरी का प्रयोग अल्पसंख्यक अधिकारों को ध्वस्त करने तथा संवैधानिक गारंटियों को समाप्त करते हुए अपने सांप्रदायिक फासीवादी हमले को बढ़ाने- के भाजपा के वास्तविक एजेंडे का पर्दाफ़ाश कर दिया है. वक्ताओं ने इस विधेयक को खारिज करने व पूरे देश की जनता का आह्वान करती है कि इस असंवैधानिक कदम के विरुद्ध सभी मिलकर आंदोलन को तेज़ करें. सभा को संबोधित करते वक्फ संशोधन कानून साम्प्रदायिक व संविधान विरोधी कानून है. भाजपा सरकार लगातार संविधान और लोकतांत्रिक संस्थाओ को कमजोर करने मे जुटी है.भाजपा के तीसरी बार सत्ता मे आते ही दलितों, महिलाओं और मुस्लिमो पर हमले तेज हो गये है.अब तो हर मस्जिद मे मंदिर खोजना आम बात हो गयी हैं। वक्फ संशोधन कानून काला कानून साबित होगा संघ भाजपा सरकार अल्पसंख्यकों के धार्मिक आजादी को कुचलने पर आमादा है हम सभी सेकुलर और लोकतंत्र पसंद लोगों को इसका डटकर विरोध करना होगा. आज मोदी सरकार देश के दलितों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर चौतरफा हमला कर रही है.बाबा साहब के संविधान पर हमला देश के आम आवाम बर्दाश्त नहीं करेगा. मोदी सरकार को हम अपने आंदोलन के बल पर वक्फ संशोधन कानून वापस लेने के लिए बाध्य करेंगे. इस सभा और जूलूस को 34 संगठनो व धर्मनिरपेक्ष पार्टियों ने समर्थन व सहयोग करके इस आंदोलन को सफल बनाया। सभा को इमारते शरिया के अरशद रहमानी, भाकपा (माले) के अभिषेक कुमार, बैद्यनाथ यादव, भाकपा के राजीव चौधरी, अहमद अली, मो तमन्ने, राजद के जिलाध्यक्ष उदय शंकर यादव, मिठ्ठू खेड़िया, पूर्व विधायक फराज फातमी, नाजिया हसन उप महापौर, सरवर कमाल, अताउल्लाह खां पुत्तू, लड्डन खान, सोनू खान, रजनीश चौबे,कांग्रेस के जिलाध्यक्ष दयानंद पासवान, मसकुर उस्मानी, मुहर्रम कमिटी सचिव तनवीर आलम, गंगा मण्डल, मो रिशु , समीर अल्फ़ाज़, देवेन्द्र कुमार, प्रिंस कुमार आदि ने सम्बोधित किया. सभा का समापन वक्तव्य पूर्व केंद्रीय मंत्री अली अशरफ फातमी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन अभियान समिति के संयोजक नफीसूल हक रिंकू ने किया आखिर में संविधान बचाओ लोकतंत्र बचाओ देश बचाओ अभियान की पूरी टीम ने जिला अधिकारी के प्रतिनिधि के हाथों में मेमोरेंडम सौपा.