श्रीकृष्ण ने गायों की रक्षा कर गृहस्थ जीवन को दिया बढ़ावा, गाय गंगा और गीता की रक्षा के लिए हर व्यक्ति को सजग रहने की जरूरत, संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में श्रद्धालुओं को प्रवचन का रसपान कराते हुए छोटे बापूजी महाराज ने कही
महुआ। रेणु सिंह
इंद्र की कुपित से गायों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत धारण किया था। उन्होंने गायों की रक्षा कर गृहस्थ जीवन को बढ़ावा दिया। गाय, गंगा और गीता जीवन का मूल आधार है। इसकी रक्षा करना सारे सनातनियों का परम कर्तव्य है। यह बातें मंगलवार को महुआ के फुलवरिया पश्चिम काली स्थान पर चल रहे हैं संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए अयोध्या से आए छोटे बापूजी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि जब तक धरती पर गाय, गंगा और गीता है, तब तक मानव जीवन सुरक्षित है। यह तीनों जीवन का मूल आधार है। इंद्रदेव जब कुपित होकर जल प्रलय करने लगे तो भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर मानव के गृहस्थ जीवन का मूल आधार गाय की रक्षा की थी। उन्होंने गाय के गुणों की विस्तृत चर्चा की और उसमें समस्त देवों का बास होना बताया। यहां कथा ज्ञान यज्ञ में पांचवें दिन भगवान श्री कृष्णा के द्वारा उठाए गए गोवर्धन पर्वत को झांकी पूर्वक दिखाकर श्रद्धालुओं को भक्ति में लीन कर दिया। वही बीच-बीच में उनके संगीत से श्रद्धालु नाचते-गाते और झूमते रहे। यहां गोवर्धन पर्वत धारण की झांकी पर बहुत ही विहंगम दृश्य उभरा। महिलाएं, युवतियां और युवक तो इस संगीयमय कथा पर भक्ति में लीन होकर झूमते रहे। यहां भगवान का छप्पन भोग लगाया गया। वैदिक मंत्रों से गूंज रहा महुआ का फुलवरिया गांव: यज्ञ में पश्चिम चंपारण से आए यज्ञाचार्य आचार्य संतोष मिश्रा, नीरज मिश्रा, धनंजय पाठक, पुष्पम दुबे, राजीव मिश्रा, रितु रंजन पांडे, रिशु मिश्रा के वेद मंत्रों से इलाका गूंज रहा है। यज्ञ में यजमान विक्की कुमार सपत्नी के साथ पूजन में लगे हैं। यज्ञ में शाम होने के साथ कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। वही दिन भर यज्ञ मंडप की परिक्रमा करने के लिए श्रद्धालु पहुंचते रहते हैं। महिला श्रद्धालुओं में तो भक्ति सिर चढ़कर बोल रही है। कथा में श्रद्धालु मदमस्त हो जा रहे हैं।