March 5, 2025

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श्रद्धांजलि समारोह में गण्यमान लोगों ने दी हरिहर बाबू को विनम्र श्रद्धांजलि ।

रिपोर्ट सुधीर मालाकार ।

महुआ (वैशाली) संसार से सबको एक दिन जाना है लेकिन अपनी अमिट छाप छोड़कर कोई कोई इंसान धरती से विदा होता है। वैसे शख्सियत थे, सिंघाड़ा, महुआ, वैशाली के हरिहर सिंह, जिन्होंने इस नश्वर शरीर को त्याग कर अपने को ब्रह्म लोक में विलीन कर लिया। बताते चले कि पिछले दिनों ज्ञान ज्योति गुरुकुलम के निदेशक अजीत कुमार आर्य के ज्येष्ठ पिता हरिहर सिंह का निधन हो गया था। उनके श्रद्धांजलि समारोह में बड़ी संख्या में समाज के हर वर्ग के लोग उपस्थित हुए और उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए भावपूर्ण विनम्र श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि देने वालों में सामाजिक, राजनीतिक, साहित्यिक, धार्मिक क्षेत्र के गण्यमान लोग उपस्थित थे। जिसमें महुआ विधानसभा क्षेत्र से एनडीए के पूर्व प्रत्याशी डॉक्टर आसमा परवीन, महुआ नगर परिषद उपसभापति रोमी यादव ,भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष संजय सिंह ,समाज सेवी जगन्नाथ चौधरी, पूर्व मुखिया विजय राय, पूर्व पंचायत समिति सदस्य राजकुमार राय, पूर्व मुखिया प्रतिनिधि प्रोफेसर सरोज कुमार उर्फ लाल सिंह , गोविंदपुर पंचायत के मुखिया मिंटू राय ,मनीष कुमार यादव, प्रोफेसर रामानंद यादव, चंदेश्वर सिंह ,चंदेश्वर राय ,प्रमोद कुमार सिंह, प्रोफेसर इंद्रजीत कुमार, प्रहलाद कुमार, सुधीर मालाकार, राजेश मिश्रा, मुरार चौधरी सहित गण्यमान व्यक्ति शामिल थे ।इस मौके पर उनके पुत्र तेज नारायण सिंह, भतीजे अजीत कुमार आर्य, अभय कुमार आर्य, हरि ओम सिंह ,अवधेश सिंह, मिथलेश सिंह, रमेश सिंह सहित परिवार के अन्य सम्मानित सदस्य उपस्थित थे। हरिहर बाबू के बारे में बताया गया कि वह अपने जीवन में कभी भी विद्यालय में कदम नहीं रखा फिर भी उन्होंने संतों की संगत में आध्यात्मिक उन्नति की, जिसके फलस्वरुप धार्मिक ग्रंथ रामायण ,महाभारत जुवानी कंठस्थ थी। यह सब भगवत कृपा से ही प्राप्त होती है ,ऐसे महान आत्मा जो संसार से विदा हो गए ,उन्होंने वृद्धावस्था आने से पूर्व लोगों को कुछ निहायत सलाह भी दिए, जिसमें उन्होंने कहा था कि जब वृद्धवस्था आ जाए तो इंसान को परिवार के हर बातों में दखल नहीं करना चाहिए, जहां उचित मार्गदर्शन हो वहीं पर देना चाहिए। अपने को अधिकांश धार्मिक कार्यों में व्यतीत करना चाहिए ताकि सांसारिक वस्तुओं का मोह अधिक नहीं सतावे।प्रत्येक मनुष्य के जीवन में बुढ़ापा अवश्य ही आता है ,इससे कोई मनुष्य बच नहीं सकता ,बुढ़ापा आने पर दुखी नहीं होना चाहिए बल्कि खुशी से उसका स्वागत करना चाहिए ,इसी में ही बुजुर्गों की भलाई है ।बुढ़ापा आने पर मनुष्य को ज्यादा नहीं बोलना चाहिए ,कौन क्या कर रहा है, इस बारे में वास्ता कम रखें ।ऊंची आवाज में बोलना खतरे से खाली नहीं बताई गई है ।इन सभी बातों का ध्यान आने वाले समय में लोगों को रखकर चलना चाहिए । इस अवसर पर आर्य समाजी स्वामी ब्रह्मानंद स्वामी एवं स्वामी जितेंद्र जी द्वारा भजन कीर्तन प्रस्तुत किए गए।

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