पंडित भृगुनाथ चतुर्वेदी कालेज आफ लां में प्रवासी भारतीय दिवस पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन।
1 min readपंडित भृगुनाथ चतुर्वेदी कालेज आफ लां में प्रवासी भारतीय दिवस पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन।
बड़हलगंज, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
पंडित भृगुनाथ चतुर्वेदी कालेज आफ लां बड़हलगंज गोरखपुर में प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अभिषेक पाण्डेय ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारतीय लोग विश्व के विभिन्न देशों में रहते हैं। जिन्हें प्रवासी भारतीय के नाम से जाना जाता है।
महात्मा गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से 09 जनवरी को ही भारत आये थे , तथा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में इस आंदोलन के मुख्य नेतृत्व कर्ता के रुप में अपनी भागीदारी सुनिश्चित किया। इसी के याद में 09 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के जो लोग विदेशों में रहते हैं उन्हें सम्मानित कर, पुरस्कृत कर, अपने पूर्वजों की मिट्टी से जुड़ने के अवसर प्रदान किया जाता है। भारत की अर्थव्यवस्था में प्रवासी भारतीयों की महत्वपूर्ण भूमिका होने के साथ- साथ जिस देश में वे प्रवास करते हैं, वहां के विकास में भी अपनी भागीदारी निभाते हैं। वर्तमान भारत सरकार व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विदेश दौरे के दौरान वहां रहने वाले भारतीयों से मिलकर,उनका हौसला अफजाई करते हैं। जिससे प्रवासी भारतीयों को बहुत सम्बल मिलता है।कालेज के मुख्य नियन्ता चन्द्र भूषण तिवारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रवासी भारतीय दिवस मनाने के पीछे उद्देश्य यह है कि हम उन भारतीयों को, जो देश से बाहर रहकर देश की आर्थिक प्रगति में सहायक होते हैं और साथ ही साथ भारत की सभ्यता और संस्कृति को पूरे विश्व में प्रचारित और प्रसारित करने के लिए उनके प्रति आभार व्यक्त करने का माध्यम है। भारत सरकार ने इस वर्ष का प्रवासी भारतीय सम्मेलन की थीम अमृतकाल में भारत की प्रगति के विश्वसनीय भागीदार के रूप में निर्धारित किया है। असिस्टेंट प्रोफेसर फकरुद्दीन ने कहा कि भारतीय प्रगति में प्रवासी भारतीयों का विशेष योगदान है। आशीष कुमार गुप्ता ने बताया प्रवासी भारतीयों ने भारत के स्वतंत्रता में भी अपना अमूल्य योगदान दिया है। प्रीतीश कुमार तिवारी ने बताया कि देश से सुदूर रहते हुए प्रवासी भारतीयों ने देश की तरक्की में अपना अमूल्य योगदान दिया है। अवनीश कुमार उपाध्याय ने कहा कि प्रवासी भारतीय भारतीय संस्कृति को पल्लवित और पुष्पित करने में सहायक हैं। उक्त कार्यक्रम में सूर्यांश कौशिक, हर्षित भारद्वाज, अंतिमा पाण्डेय, सिखा शर्मा, विशालधर द्विवेदी, आनन्द द्विवेदी, सोनाली, सलोनी आदि ने अपने विचार व्यक्त किये।