हिंदू हित रक्षक गुरु गोविंद सिंह शौर्य साहस के प्रतीक रहे: प्रो .(डॉ)अजीत कुमार
1 min readहिंदू हित रक्षक गुरु गोविंद सिंह शौर्य साहस के प्रतीक रहे: प्रो .(डॉ)अजीत कुमार
रिपोर्ट सुधीर मालाकार। हाजीपुर (वैशाली)हिंदू हित रक्षक गुरु गोविंद सिंह शौर्य और साहस के प्रतीक रहे हैं। गुरु गोविंद सिंह की त्याग और बलिदान को राष्ट्र हमेशा ऋणी रहेगा क्योंकि उन्होंने अपना खून का एक-एक कतरा राष्ट्र समाज और के रक्षा में लगा दिए । गुरु गोविंद सिंह सिख धर्म के दशमी गुरु और महान योद्धा थे। उन्होंने पंच प्यारों को धर्म और हिंदुओं की रक्षा के लिए नियुक्त किया था। उनका जीवन हमेशा सामान्य भाईचारा और न्याय के प्रति जिस निष्ठा की प्रेरणा देता रहा।उक्त बातें आज गुरु गोविंद सिंह की 398 वीं जयंती समारोह में प्रो.( डॉ) अजीत कुमार ने कहा ।
हाजीपुर नगर के गणेश सिनेमा रोड स्थित पतंजलि चिकित्सालय एवं योग सेवा केंद्र में स्वामी विवेकानंद सामाजिक सोच संस्थान के तत्वाधान में सिख धर्म के दसवें एवं अंतिम गुरु गोविंद सिंह की जन्मदिवस धूमधाम से मनाया गया।
सर्वप्रथम गुरु गोविंद सिंह के तैलिय चित्र पर समारोह के मुख्य अतिथि दीनानाथ राय ,कांत लाल पासवान, आयुष राज चौहान ने दीप प्रज्वलित व माल्यार्पण कर समारोह का विधिवत उद्घाटन किया।
गुरु गोविंद सिंह जयंती समारोह स्वामी विवेकानंद सामाजिक शोध संस्थान बिहार के तत्वावधान में आयोजित किया गया।
समारोह की अध्यक्षता प्रोफेसर (डॉ) अजीत कुमार ने की जबकि संचालन अनुज कुमार पांडे ने किया।
मुख्य अतिथि दीनानाथ राय योग गुरु ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा की गुरु गोविंद सिंह एक महान योद्धा चिंतक कवी एवं आध्यात्मिक गुरु थे ।जिन्होंने राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
वही श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए आयुष राज चौहान ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। गुरु गोविंद सिंह जी ने ही गुरु ग्रंथ साहिब को पूर्ण किया था। आयुष राज चौहान ने कहा कि 10 वर्ष की उम्र में 29 मार्च 1699 को सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की। जो सिखों की इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण दिन है।
समारोह का संचालक करते हुए अनुज कुमार पांडे ने गुरु गोविंद सिंह के चित्र पर माल्यार्पण करने के पश्चात संबोधित करते हुए कहा कि गुरु गोविंद सिंह बाल अवस्था से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। जिन्होंने 10 वर्ष की उम्र में 29 मार्च 1699 को सिखों के दसवें गुरु बने। उनका जन्म पटना बिहार में हुआ और यह बिहार वासियों के लिए गौरव का विषय है ।
कांत लाल पासवान ने समारोह में संबोधित करते हुए युवाओं से कहा कि गुरु गोविंद सिंह से प्रेरणा लेना चाहिए ।उनका यह वाक्य
” सवा लाख से एक लड़ाऊं , चिड़ियों सो मैं बज लड़ाऊं, तभी गुरु गोविंद सिंह नाम कहांऊ ।”
यह वाक्य युवा पीढ़ीयों के लिए पथ प्रदर्शक है।
गुरु गोविंद सिंह जयंती का ऑफर पर अवसर पर डॉक्टर अजीत कुमार ,दीनानाथ राय, संतलाल पासवान ,अनुज पांडे, आयुष राज चौहान ,सनी कुमार, नरेश चौरसिया ,अमन कुमार, सलामत गौतम कुमार ,अभिषेक कुमार सिंह, अमित कुमार कुशवाहा एवं रितिक कुमार राय ने अपने-अपने विचार व्यक्त किया।
समारोह के अंत मे सनी कुमार गौतम कुमार एवं अभिषेक कुमार सिंह ने आगत अतिथियों का संयुक्त रूप से आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।