मदन मोहन मालवीय 163 वीं जयंती श्रद्धापूर्वक मनाई गई ।
1 min readमदन मोहन मालवीय 163 वीं जयंती श्रद्धापूर्वक मनाई गई । रिपोर्ट सुधीर मालाकार।
हाजीपुर (वैशाली)नगर के सिनेमा रोड स्थित पतंजलि चिकित्सालय एवं योग सेवा केंद्र में स्वतंत्रता सेनानी भारत रत्न काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना मदन मोहन मालवीय की 163 वीं जयंती समारोह बड़ी श्रद्धा पूर्वक मनाया गया।
जयंती समारोह की अध्यक्षता प्रोफेसर डॉ अजीत कुमार ने किया जबकि संचालन उमेश तिवारी ने की ।
समारोह स्वामी विवेकानंद सामाजिक शोध संस्थान हाजीपुर बिहार के तत्वाधान में आयोजित किया गया ।जहां सर्वप्रथम डॉ अजीत कुमार एस एस मेहता अनुज पांडे उमेश तिवारी राजा कुमार कुशवाहा ने मालवीय जी के तैलिये चित्र पर पुष्पांजलि व दीप प्रज्वलित कर समारोह का विधिवत उद्घाटन किया । समारोह में अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए डॉ अजीत कुमार विभागाध्यक्ष रसायन विज्ञान विभाग देवचंद महाविद्यालय हाजीपुर ने कहा कि यदि गंगा को पृथ्वी पर लाने का श्रेय महर्षि भागीरथ को है, तो भारतवर्ष में शिक्षा का ज्योति जलाने का सार्थक व फलदायक प्रयास महामना मदन मोहन मालवीय की है। डॉ कुमार ने बताया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक संस्थापक मालवीय जी शिक्षा का प्रचार प्रसार उसे समय की जिस समय भारत में मैकाले ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया था । एक वकील के रूप में उनकी सफलता चौरी चौरा कांड में अभियुक्त को फांसी से बचा लेने की थी ।यदि मालवीय जी नहीं होते तो कई हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानी चौरी -चौरा कांड में दोषी कारारदे कर फांसी के फंदे पर अंग्रेजों द्वारा लटका दिया जाता। डॉ कुमार ने यह भी बताया कि मालवीय जी एक तरफ देश की गुलामी किसी के शिकंजे में मालवी मालवीय जी के समय देश गुलामी के शिकंजे में झगड़ा था ऊपर से छोटा था भंवरी का आलम व्याप्त होने के बावजूद मालवीय जी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना कर साबित कर दिया कि यदि इरादे नेक हो तो लाख करोड़ होने के बावजूद लक्ष्य को पूरा करने से कोई नहीं रोक सकता।
आज के समारोह के मुख्य अतिथि एस एस मेहता ने संबोधित करते हुए बताया कि महामना मदन मोहन मालवीय काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रणेता तो थे ही ,वे इस युग के आदर्श पुरुष भी थे। वे भारत के पहले और अंतिम व्यक्ति थे ।जिन्हें महामना की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया।
सभा का संचालन करते हुए उमेश तिवारी ने बताया कि महामना बहुत तेजस्वी प्रकांड विद्वान ही नहीं पत्रकारिता, वकालत ,समाज सुधार के साथ-साथ भारत माता की सेवा में अपना सर्वश्रेष्ठ निछावर करने वाले महान व्यक्ति थे कर दिए। वे विद्यार्थियों को शिक्षित ऐसी शिक्षा देना चाहते थे जो वेद वेदांत भारतीय दर्शन संस्कार और देश सेवा के लिए तैयार हो साथ ही भारत माता का मस्तक ऊंचा कर सके।