दस्त नियंत्रण पखवाड़े का हुआ शुभारंभ, शिशु मृत्यु दर को कम करने की होगी कोशिश/रिपोर्ट नसीम रब्बानी
1 min readदस्त नियंत्रण पखवाड़े का हुआ शुभारंभ, शिशु मृत्यु दर को कम करने की होगी कोशिश/रिपोर्ट नसीम रब्बानी
– 15 से 29 जुलाई तक होगा दस्त नियंत्रण पखवाड़े का आयोजन
– आशा और सेविका बांटेगी ओआरएस के दो पैकेट और जिंक की गोली
सीतामढ़ी, 15 जुलाई।
मौसम में होने वाले अचानक बदलाव के कारण डायरिया (दस्त) का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे मौसम में बच्चों पर ध्यान देना ज्यादा जरूरी है। दस्त से होने वाली शिशु मृत्यु को शून्य स्तर तक लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। इसके लिए राज्य में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का आयोजन किया जायेगा। ये बातें जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ एके झा ने प्राथमिक स्वास्थ्य डुमरा में गुरुवार को दस्त नियंत्रण पखवाड़े के मौके पर कही। उन्होंने कहा कि कोरोना काल की विषम परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए पखवाड़े का आयोजन 15 जुलाई से 29 जुलाई तक किया जायेगा। इस दौरान पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे एवं पांच वर्ष की उम्र तक के समस्त बच्चों को फोकस करना है। इसमें आशा एवं आंगनबाड़ी सेविका के द्वारा प्रत्येक घर में जहां 5 साल से छोटे बच्चे हैं उनको ओआरएस का दो पैकेट एवं 14 जिंक टैबलेट दिया जाएगा l आशा एवं आंगनबाड़ी के द्वारा डायरिया नियंत्रण के ऊपर जागरूक भी किया जाएगा एवं एमआर और रोटावायरस के टीके समय पर लेने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
अंतर्विभागीय समन्वय से काम करने का निर्देश :
डॉ एके झा ने बताया कि कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आवश्यक है कि कार्यक्रम के अंतर्गत की जाने वाली गतिविधियों का सूक्ष्म कार्यान्वयन व अनुश्रवण किया जाये। डायरिया से होने वाले मृत्यु का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना है। ओआरएस व जिंक के प्रयोग की समझ द्वारा डायरिया से होने वाली मृत्यु को टाला जा सकता है। सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े के दौरान अंतर्विभागीय समन्वय द्वारा डायरिया की रोकथाम के उपायों, डायरिया होने पर ओआरएस जिंक के प्रयोग, उचित पोषण व समुचित इलाज के पहलुओं पर क्रियान्वयन किया जायेगा।
झुग्गी-झोंपड़ियों वाले इलाकों पर होगा ज्यादा जोर :
सघन दस्त नियंत्रण पखवा खवाड़े के दौरान शहरी, झुग्गी-झोंपड़ी, कठिन पहुंच वाले क्षेत्र, बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट भट्टे वाले क्षेत्र, अनाथालय व ऐसा चिह्नित क्षेत्र जहां दो-तीन वर्ष पूर्व तक दस्त के मामले अधिक संख्या में पाये गये हों, उन जगहों पर ज्यादा फ़ोकस रखना है। छोटे गांव, टोला, बस्ती, कस्बे जहां साफ-सफाई, साफ पानी की आपूर्ति एवं व्यवस्था की सुविधाओं की कमी हो, वहां सघन अभियान चलाना है। उपकेंद्र जहां पर एएनएम न हो अथवा लंबी दूरी पर हो, सफाई की कमी वाले स्थानों पर निवास करने वाली जनसंख्या क्षेत्र अति संवेदनशील श्रेणी में होंगे। मौके पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर धनंजय कुमार, बीएचएम निरंजन कुमार एसएमओ डॉक्टर नरेंद्र, पिरामल स्वास्थ्य से डीटीएम रवि रंजन कुमार एवं विजय शंकर पाठक बीटीओ विकेश कुमार, यूनिसेफ से एसएमसी नवीन श्रीवास्तव बीएमसी रामप्रवेश एवं जितेंद्र कुमार उपस्थित
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बच्चों में ये लक्षण दिखें तो अनदेखी ना करें :
-बच्चा सामान्य से अधिक बार मल कर रहा हो
-मल बहुत पतला एवं बदबूदार हो
-शिशु को बुखार हो और उसका वजन कम होता जा रहा हो
शिशु चिड़चिड़ा हो गया हो और भूख में भी कमी आ गयी हो
-शरीर में पानी की कमी होने के लक्षण जैसे कि धँसी हुई आँखें, सूखा मुँह, गहरे पीले रंग का मूत्र और रोने पर कोई आँसू नहीं आने के लक्षण हों
-बुखार और उल्टी का होना