एनआरसी में लौट आई सोनाक्षी की हंसी /रिपोर्ट नसीम रब्बानी
1 min readएनआरसी में लौट आई सोनाक्षी की हंसी /रिपोर्ट नसीम रब्बानी
– सदर अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में आकर कुपोषण की शिकार सोनाक्षी के जीवन में आयी सेहत की बहार
शिवहर, 13 जुलाई।
सोनाक्षी के चेहरे पर बीच-बीच में दिखाई-देने वाली हंसी यह बताने के लिए काफी है कि अब वह पहले से काफी अच्छी हो गई है। वह अपने नन्हें पैरों के सहारे खड़े होकर चलने-फिरने की कोशिश दिन में कई बार करने लगी है। सोनाक्षी की मुस्कान के साथ ही उसकी मां पिंकी देवी की खुशी भी झलक रही है। आखिर मां खुश क्यूं न हो। सदर अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में आकर कुपोषण की शिकार उसकी लाडली की सेहत जो बन रही है। 21 जून को भर्ती 16 महीने की सोनाक्षी का वजन एक किलो बढ़ गया है। यहां कुछ दिन के इलाज, खान-पान, नियमित चिकित्सकीय जांच से सोनाक्षी स्वस्थ हो रही है। अब पिंकी देवी को पूरा भरोसा है कि उसकी लाडली जल्द स्वस्थ हो जाएगी और हंसते मुस्कराते घर चली जाएगी। वहीं सोनाक्षी की तरह हीं मन्नत खातून, तरन्नुम खातून, रूसी कुमारी, लवकुश कुमार के जीवन में भी सेहत की बहार आयी है।
दी जाती है मिक्स डाइट की दवा
पोषण पुनर्वास केंद्र की एफडी चित्रा मिश्रा कहती हैं कि यहां बच्चों को तैयार खुराक (डाइट) के अनुसार खाना दिया जाता है। डाइट प्लान तैयार किया गया है। बच्चों को मिक्स डाइट की दवा दी जाती है। एनआरसी में भर्ती बच्चों को आहार में खिचड़ी, दलिया, सेब , चुकंदर, अंडा, हलवा, दूध आदि दिया जाता है।
मां को भी रखने का प्रावधान
सरोजा सीताराम सदर अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र पर कुपोषित बच्चों के साथ माताओं को भी आवासीय सुविधा प्रदान किया जाता है। जहां बच्चे के साथ मां के लिए भी पौष्टिक आहार की व्यवस्था है। यहां कुपोषित बच्चों व उनकी माताओं को 7 से 21 दिन तक रखने का प्रावधान है। मार्गदर्शिका के अनुसार जब बच्चे के वजन में बढ़ोतरी होना आरंभ होने लगता है और वह स्वस्थ हो जाता तो उसे 21 दिन के पूर्व ही छोड़ दिया जाता है।
तीन स्तर पर कुपोषित बच्चों की होती है पहचान
पोषण पुनर्वास केंद्र में 5 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को ही भर्ती किया जाता है। कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए तीन स्तर पर उनकी जांच की जाती है। तीनों जांच के बाद ही बच्चे को कुपोषण की श्रेणी में रखा जाता है। सर्वप्रथम बच्चे की लम्बाई (हाइट) के अनुसार वजन देखा जाता है। दूसरे स्तर पर एमयूएसी जांच में बच्चे की बाजू की माप 11.5 से कम होना तथा बच्चे का इडिमा से ग्रसित होना शामिल हैं ।
मां को दी जाती है प्रोत्साहन राशि
एनआरसी केंद्र में भर्ती बच्चों की माता को प्रोत्साहन राशि दी जाती है। 14 दिन के हिसाब से उन्हें 3558 रुपये दिये जाते हैं। वहीं कुपोषित बच्चों की पहचान करने वाली आगंनबाड़ी सेविका व आशा कार्यकर्ताओं को भी प्रोत्साहन राशि दी जाती है। आगंनबाड़ी सेविका व आशा कार्यकर्ता ही कुपोषित बच्चों की पहचान कर बेहतर उपचार के लिए एनआरसी लाती हैं। आशा एवं सेविकाओं को 250 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है ताकि वह गांव से कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें एनआरसी में भर्ती करवा सकें।
20 बेड का है केंद्र
एनआरसी केंद्र में कुल 20 बेड लगे हुए हैं । इस वार्ड में एक साथ 20 बच्चों को भर्ती कर उनको सही उपचार के साथ पौष्टिक आहार भी निःशुल्क उपलब्ध कराया जाता है। यहां भर्ती किए जाने के बाद बच्चे पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने घर को वापस जाते हैं।