मतदाताओं को पार्टी या दल की परवाह किए बिना चरित्रवान उम्मीदवारों को वोट देना चाहिए।इरफ़ान जामिया वाला
1 min readमतदाताओं को पार्टी या दल की परवाह किए बिना चरित्रवान उम्मीदवारों को वोट देना चाहिए।इरफ़ान जामिया वाला
कहते है की विश्व में पहला लोकतंत्र की शुरुआत भारत से हुई थी, बिहार के वैशाली ज़िला से लोकतंत्र की कार्य प्रणाली शुरू हुआ और धीरे धीरे सारे विश्व ने अपने अपने देश में लोकतंत्र की की प्रक्रिया शुरू किया और एक मजबूत लोकतंत्रीक देश बनता गया पर बहुत ही अफसोस के साथ लिखना पड़ रहा है की अब धीरे धीरे भारत में लोकतंत्र खत्म हो रहा है, इसकी शुरुआत तो कांग्रेस ने 10 अगस्त 1950 को ही पसमंदा दलित मुसलमानों के आरक्षण छिन के कर दिया था, जहाँ हिंदू धोबी, चमार, नाई, पासी को आरक्षण बरकरार रखा और उसी सामाजिक स्तिथि और जाति के मुस्लिम नाई, चमार, नट, बक्खो को उनका एस सी आरक्षण छिन लिया गया, आजादी के 76 साल में राजनीति में अपराध बढ़ता जा रहा है. यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है. यह कहना गलत नहीं होगा कि राजनीति में बढ़ते अपराध के लिए हम मतदाता भी जिम्मेदार हैं। मेरा वोट उन लाखों लोगों के सपने के लिए है जिन्होंने आजादी के लिए बलिदान दिया। मतदाता यह नहीं सोचते कि मेरे वोट से इस राज्य, राष्ट्र, समाज में सुधार होने वाला है, पत्नी उस उम्मीदवार को वोट देती है क्योंकि पति उससे कहता है या पति वोट देता है क्योंकि पत्नी उससे कहती है, वह वोट देती है क्योंकि उसकी सहेली उससे कहती है, उस परिवार के अन्य मतदाता वोट करते हैं क्योंकि परिवार की मुखिया उनसे कहती है, साड़ी के साथ, शराब की बोतल के साथ, पांच सौ रुपये के साथ और कई अन्य प्रलोभनों के साथ वोट करना लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा है। हम ही हैं जो भ्रष्टाचारियों, गुंडों, व्यभिचारियों, लुटेरों, आतंकवादियों के लिए विधानसभा का रास्ता बनाते हैं और फिर सरकार के नाम पर बैठकर अपनी उंगलियां फोड़ते हैं। स्वराज्य को सुराज्य में बदलने की ताकत हर मतदाता के वोट में है। इसलिए मतदाता को निर्भीक होकर चरित्रवान प्रत्याशी को वोट देना चाहिए।
आज तक किसी गलत उम्मीदवार को वोट देने से राज्य पर हिमालय जैसा कर्ज का पहाड़ चढ़ गया है।
चूँकि लिए गए ऋण का ब्याज चुकाने के लिए पैसे नहीं होते इसलिए दोबारा ऋण लेकर ब्याज चुकाना पड़ता है। राज्य के हर परिवार में हर बच्चा अपने सिर पर 60 से 65 हजार रुपये का कर्ज लेकर पैदा होता है। उन्हें यह कर्ज चुकाना होगा. उन बच्चों का क्या दोष? यह हमारे द्वारा गलत आदमी को वोट देने का दुष्परिणाम है। जहां तक चुनाव में मतदान का सवाल है, जो लोकतांत्रिक चिंता का विषय है, कुल मतदान प्रतिशत 50% से बढ़कर 55% हो गया है। यदि केवल 22% से 25% वोटों के साथ चुने गए उम्मीदवार हमारे 100% लोगों पर शासन कर रहे हैं तो इसे सही अर्थों में लोकतंत्र नहीं कहा जा सकता है। कुछ उम्मीदवार 22 से 25% वोट पाने के लिए धन आवंटित करते हैं। शराब, साड़ी चोली. यह लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है कि लोग समय-समय पर अन्य चीजों को प्रलोभन देकर, आतंक पैदा करके चुने जाते हैं।
मतदाताओं को पार्टी या दल की परवाह किए बिना चरित्रवान उम्मीदवारों को वोट देना चाहिए। जो उम्मीदवार अपना बहुमूल्य वोट देना चाहता है, वह निर्वाचित होने के बाद सत्ता पक्ष या विपक्ष में बैठ सकता है, लेकिन निर्वाचित
अच्छे चरित्र वाला उम्मीदवार विधानसभा की पवित्रता बनाए रखने में मदद कर सकता है। आजकल ऐसे चरित्र वाला उम्मीदवार ढूंढना मुश्किल हो गया है, लेकिन ऐसा उम्मीदवार जो अच्छी सोच वाला हो उनको अपने विधान सभा व लोक सभा में ढूढे और उनको वोट करे।।
आपका अपना
इरफान जामियावाला
राष्ट्रीय पर्वक्ता: आल इंडिया पसमंदा मुस्लिम महाज़