नहीं रही स्वर कोकिला शारदा सिन्हा ।
1 min readनहीं रही स्वर कोकिला शारदा सिन्हा ।
छठ महापर्व में सुनी हुई मिथिलांचल की आंगन। रिपोर्ट सुधीर मालाकार । हाजीपुर( वैशाली) बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा अब दुनिया में नहीं रही । वे 72 वर्ष की उम्र में दिल्ली स्थित एम्स में आखिरी सांस ली ।उनके निधन से पूरा संगीत जगत ,बिहार के साथ-साथ विश्व में उनके चाहने वाले शोक में डूब गए। मिथिलांचल के आंगन सुनी हो गई ।छठी मैया पर उनके गाए हुए दर्जनों गीत आज ही गांव-गांव में गूंज रहे और इस बीच अपने भक्त को छठी मैया अपने पास बुला लिया ।जिसकी खबर पाकर सभी के चेहरे पर उदासी छा गई है ।बताते चले की बिहार कोकिला शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले के हिलसा ग्राम में हुआ था। बी एड तक शिक्षा प्राप्त की तथा यूपी से म्यूजिक में एम ए किया ।पिता सुखदेव ठाकुर शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी थे ।उनका विवाह ब्रज किशोर सिन्हा से हुई थी तथा उनके बच्चे और अंशुमान सिन्हा और वंदना है। 1974 में पहली बार भोजपुरी गीत में गाना शुरू किया था। 1978 में उग हो सूरज देव का रिकॉर्डिंग किया था। बॉलीवुड में 1989 में सलमान खान की फिल्म मैंने प्यार किया में कहे तोसे सजना ये तोहरी सजनिया गाने हिट हुई थी। साथ ही साथ कई फिल्मों में उन्होंने अपने सदाबहार यादगार गीत दी थी ।उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री एवं पद्म विभूषण से सम्मानित भी किया था।वह समस्तीपुर विमेंस कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में भी कार्य किया ।बिहार के लिए उनका जाना बड़ा ही दुखदाई है, क्योंकि छठ हो ,विवाह ,मुंडन, जनेऊ ,विदाई या अन्य अवसरों पर शारदा सिन्हा जी की गीत लोग बड़े ही आनंदपूर्वक सुना करते थे ।वैसा कोई असर ना हो जिसमें शारदा सिन्हा जी के गीत ना बजे हो। उनके चाहने वाले चाहे वह आम हो या खास सबके चेहरे पर एक खामोश उदासी झलक रही है। इस महान लोक गायिका को कोटि-कोटि नमन।