जीउतिया को लेकर पंडितों का अलग-अलग मत होने से माताएं संसय में
1 min readजीउतिया को लेकर पंडितों का अलग-अलग मत होने से माताएं संसय में
मिथिला पंचांग के अनुसार 24 को महाउपवास कर 25 सितंबर को संध्या 5:05 बजे के बाद पारण, बनारसी पंचांग के अनुसार 25 को जितिया व्रत का उपवास कर 26 सितंबर को सुबह में होगा पारण
महुआ। रेणु सिंह
माताओं द्वारा पुत्रों को दीर्घायु होने के लिए की जाने वाली जीवित्पुत्रिका (जीउतिया) व्रत पर मिथिला और बनारसी पंचांग का अलग-अलग मत हैं। जिसके कारण माताएं असमंजस में है। मिथिला पंचांग के अनुसार महाव्रत का 23 सितंबर को नहाय खाय, 24 को महाउपवास कर 25 की संध्या 5:05 बजे बाद पारण होगा। जबकि बनारसी पंचांग के अनुसार 24 को नहाय खाय के साथ 25 को महाउपवास और 26 सितंबर की सुबह पारन होगा।
शुक्रवार को यहां मिथिला पंचांग से जुड़े पंडितों की बैठक आचार्य देवेंद्र झा की अध्यक्षता में हुई। जिसमें नंदकिशोर झा, बृजभूषण मिश्र, कृष्ण कुमार झा, शशि भूषण झा, विनोद झा, संजय मिश्र, रमाकांत मिश्र, रविंद्र झा, परशुराम झा, दीपक झा आदि शामिल हुए। पंडितों द्वारा निर्णय लिया गया कि मिथिला पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 24 की संध्या 6:06 से शुरू होकर 25 की संध्या 5: 05 बजे समाप्त होगी। इस कारण जीवित्पुत्रिका व्रत का नहाए खाए 23 सितंबर को होगा। वही 24 की भोर में ओठगन के साथ माताएं महाउपवास रख शाम में कुश के जीमूतवाहन बनाकर पूजन करेंगी। जबकि 25 सितंबर की संध्या 5:05 बजे अष्टमी समाप्त होने पर व्रत का पारन करेंगी। पंडितों ने कहा कि अष्टमी तिथि प्रदोष काल में है जिससे व्रत करना शुभकर होगा। इधर पंडितों द्वारा यह भी बताया गया कि 36 घंटे तक महाउपवास होने के कारण व्रतियों को समस्याएं आएंगी। जिस कारण वह मीठा जल (सरबत)पी सकती हैं। क्योंकि मीठा जल पीने से उपवास भंग नहीं नहीं होता है।
इधर बनारसी पंचांग के अनुसार 24 सितंबर को नहाए खाए, 25 को महाउपवास और 26 सितंबर की सुबह व्रत का पारन बताया गया है। महुआ के उत्तर पूर्व इलाके को छोड़कर अधिकतर लोग बनारसी पंचांग के अनुसार ही शुभ कार्य के साथ व्रत त्यौहार संपन्न करते हैं।
इस कारण यहां के लोग 24 सितंबर को नहाय खाय, 25 को महाउपवास और 26 की सुबह पारण करेंगे।