एसीएमओ ने बाढ़ पर विभाग की तैयारियों का लिया जायजा/रिपोर्ट नासीम रब्बानी
एसीएमओ ने बाढ़ पर विभाग की तैयारियों का लिया जायजा/रिपोर्ट नासीम रब्बानी
– चमकी प्रभावित रुन्नी सैदपुर का भी किया मुआयना
– प्रत्येक पीएचसी/सीएचसी को बाढ़ के लिए प्रखंड सूचना केंद्र बनाने का निर्देश
सीतामढ़ी। 8 जुलाई
सीतमढ़ी के नव पदस्थापित अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ जर्नादन प्रसाद यादव ने अपने पदभार के अगले दिन ही बाढ़ से उतपन्न स्थिति से निपटने की तैयारियों के लिए विभाग के कार्यों का मुआयना किया। एसीएमओ ने सभी प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारियों को एक विभागीय पत्र भी निर्गत किया, जिसमें बाढ़ जनित दवाओं के उचित भंडारण की बात कही गयी थी। वहीं दवाओं की कमी पर मांग पत्र भी मांगा।
उन्होंने सभी चिकित्सा पदाधिकारी को निर्देश दिया कि अपने क्षेत्र को क्षेत्र वार बांट कर बाढ़ जनित रोगों की रोकथाम के लिए तत्पर रहें, ताकि उसकी रिपोर्टिंग आसानी से हो सके। वहीं चौबीसौ घंटे काम करने वाली एक प्रखंड सूचना केंद्र की स्थापना का भी आदेश दिया।
चमकी की स्थिति के बारे में जाना
जिला भि बी डी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ रविन्द्र कुमार यादव ने बताया कि एसीएमओ ने पदभार के दूसरे दिन ही भी बी डी नियंत्रण कार्यालय जाकर 15 जुलाई से प्रस्तावित कालाजार नियंत्रणार्थ द्वितीय चक्र छिड़काव के तैयारी की समीक्षा की एवं कार्ययोजना का अवलोकन किया । वहीं वह चमकी प्रभावित रुन्नी सैदपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी गए। जहां उन्होंने चमकी वार्ड की स्थिति और दवाओं के प्रबंधन और भंडारण पर संतोष जताया। एसीएमओ द्वारा रुन्नी सैदपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के भ्रमण के दौरान डॉ यादव ने एसीएमओ को बताया कि जिले में चमकी के लिए चार विशेष तरह के एम्बुलेंस की तैनाती की गयी है। जिसमें से एक रुन्नी सैदपुर, एक नानपुर, पुपरी और एक अन्य प्रखंड में मौजूद है। वहीं प्राइवेट तौर पर चमकी के लिए 1172 वाहनों को टैग किया गया है। जिसमें चमकी से संबंधित आइईसी मेटेरियल भी मौजूद है। वहीं, रुन्नी सैदपुर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि बाढ़ की संभावना को देखते हुए 50 बोरा चूना की मौजूदगी सीएचसी में पहले से है. वहीं कमी होने पर जिला को इंडेंट भेजा गया है।
रुन्नी सैदपुर में अन्य सुविधाओं का लिया जायजा
डॉ यादव ने बताया कि एसीएमओ ने अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं का भी जायजा लिया और चिकित्सा पदाधिकारी को निर्देशित किया कि बाढ़ के समय में भी अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जाय।