होटल कासा पिकोला में निर्मल काया फिजियोथेरेपी सेंटर द्वारा स्पोट्र्स इंज्यूरी पर एक सेमिनार सह सम्मान समारोह का आयोजन
1 min readहोटल कासा पिकोला में निर्मल काया फिजियोथेरेपी सेंटर द्वारा स्पोट्र्स इंज्यूरी पर एक सेमिनार सह सम्मान समारोह का आयोजन
पटना , बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. कुंदन कारविवार को होटल कासा पिकोला में निर्मल काया फिजियोथेरेपी सेंटर द्वारा स्पोट्र्स इंज्यूरी पर एक सेमिनार सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. सेमिनार में स्पोटर्स फिजियों की महत्ता के बारे में विस्तृत रूप से फिजियोथेरेपी के छात्रों को बताया गया. सेमिनार में पटना समेत विभिन्न जिलों के करीब 300 से अधिक स्टूडेंटस शामिल हुए.
सेमिनार का विधिवत उद्घाटन डिप्टी मेयर रेशमी चंद्रवंशी व डॉ. इंद्रदीप चंद्रवंशी ने किया. सेमीनार समाप्ति उपरांत मेयर सीता साहू ने सभी फिजियो प्रशिक्षुओं को सर्टिफिकेट व मोमेंटो देकर सम्मानित किया. मंच का संचालन मृत्युंजय झा ने जबकि सबके प्रति आभार सरदार पटेल स्पोटर्स फाउंडेशन के महानिदेशक संतोष तिवारी ने व्यक्त किया.
उन्होंने कहा अक्सर देखा जाता है हॉकी, फुटबॉल, बैडमिंटन आदि खेलते वक्त खिलाड़ी गिर जाता है. इसे क्विक इंज्यूरी कहते है. यहां पर एक फिजियोथेरेपिस्ट का रोल यह होता है कि उसे कुछ ऐसा ट्रीटमेंट थे ताकि खिलाड़ी तुरंत खेलने के योग्य हो जाए. यदि छोटी इंज्यूरी होतो आईस थेरेपी ट्रीटमेंट दी जाती है.
या स्टेपिंग या नीडिलिंग की भी सुविधा होती है. इससे आप प्लेयर को ग्राउंड में ठीक कर सकते हैं. लेकिन इंज्यूरी बड़ी हो जाए तो उसे ग्राउंड में ठीक नहीं किया जा सकता. उसे स्पेशल ट्रीटमेंट के लिए ड्रेसिंग रूम में लाना पड़ जाता है.
वहीं बिहार रणजी टीम के फिजियो डॉ. हिमेंदु ने स्पोटर्स फिजियों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लिगामेंट की सामान्य चोट का उपचार फिजियो से किया जा सकता है. लिगामेंट इंज्युरी के पेशेंट को सही समय पर सही उपचार मिल जाए तो रिकवरी तेज हो सकती है, नहीं तो कई बार यंग पेशेंट्स के भी जोड़ बदलने की नौबत आ जाती है.
वहीं बहुत से खेल के ऐसे आयोजन होते हैं जहां फिजियों की व्यवस्था नहीं होती. ऐसे में यदि कोई खिलाड़ी चोटिल होता है तो उसे आइस थेरेपी देना कामगार होगा. क्योंकि आइस 60 से 70 प्रतिशत तक चोट को रिकवर करते हुए दर्द में आराम देता है.
डॉ. देवव्रत ने कहा कि खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के होते हैं. उन्हें अक्सर खेल के दौरान चोट लग जाती है. फुटबॉल, क्रिकेट, हॉकी, बैडमिंटन के दौरान हाथ-पैरों में खिंचाव, मांसपेशियों में तनाव और मोच हो जाते हैं. अगर बार-बार चोट लगती रही तो भविष्य में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
बेहतर होगा कि समय रहते इनका इलाज करवाएं.
इस मौके पर डॉ. मनीष, डॉ. रवि गोस्वामी, गुरुदेव पारा मेडिकल कॉलेज के निदेशक ओम प्रकारश, इंपैक्ट कॉलेज के डॉ. दिवाकर,डॉ मनीष, डॉ बब्लू ,महुआ . डॉ. बीके नीरज, डॉ.सचिन कुमार आदि मौजूद थे .