परिवार और समाज के विरोध के बावजूद सुनीता ने कराया टीकाकरण – युवाओं ने भी लिया महत्वपूर्ण हिस्सा – 40 लोगों का कराया टीकाकरण
परिवार और समाज के विरोध के बावजूद सुनीता ने कराया टीकाकरण
– युवाओं ने भी लिया महत्वपूर्ण हिस्सा
– 40 लोगों का कराया टीकाकरण
मुजफ्फरपुर। 21 जून
मुन्नी बेंगरी पंचायत बांद्रा जहाँ अधिकांश व्यक्ति कोविड टीकाकरण से भयभीत हैं, लाख समझाने के बाद भी विभिन्न अफवाहों को दिमाग मे समेटे टीकाकरण के खिलाफ खड़े हैं। वही सुनीता देवी जैसी समूह की दीदी ने अपनी निडरता का परिचय दिया है। परिवार और समाज के विरोध के बावजूद हिंदुस्तान बागमती जीविका समुह की सुनीता देवी ने स्वयं का टीकाकरण कराकर अपने समूह व समाज को कर्तव्य पालन का ठोस सन्देश दिया है। सुनीता ने कहा कि मेरे परिवार में टीके को लेकर कुछ भ्रांतियां थी जो मेरे लेने के बाद नही रही। हालांकि इसके लिए मुझे काफी विरोध सहन करना पड़ा।
पूरी जीविका लगी रही जागरूकता में
इस कार्य मे जीविका की जिला टीम स्वयं जिला परियोजना प्रबंधक अनिशा , प्रशिक्षण अधिकारी रश्मि रंजन, जीविकोपार्जन विशेषज्ञ कौशलेंद्र प्रसाद, जीविका प्रखंड परियोजना प्रबंधक धीरेंद्र कुमार, क्षेत्रीय समन्वयक राजीव रंजन, सामुदायिक समन्वयक रीना कुमारी, लेखपाल संतोष कुमार, जीविका मित्र अर्चना कुमारी, रंजन कुमारी ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया।
युवाओं ने पेश की मिसाल
जीविका जिला परियोजना प्रबन्धक के नेतृत्व में आशा कार्यकर्ता, ए.एन.एम. उर्मिला कुमारी, जीविका कैडर, पी.ङी.एस. डीलर के पुत्र नील मणिकुमार, ग्रामीण युवाबल चन्द्रमणि कुमार, राहुल कुमार तथा अन्य युवकों ने मोबिलाइजेशन का अप्रतिम उदाहरण पेश किया। सुबह तक इस पंचायत में एक भी सदस्य टीकाकरण के लिए सहमत नही प्रतीत हो रहे थे, परन्तु सभी के अथक प्रयास से 40 लोगों ने टीकाकरण कराया साथ ही अगले दिन सभी ने दो अन्य सदस्यों को टीकाकरण कराने का संकल्प लिया।
भ्रांतियों पर नहीं दे ध्यान
टिकाकरण के मेगा कैम्प के दौरान डीपीओ अनिशा ने लोगों और समाज में टीकाकरण के प्रति मिथक और उनके तथ्यों से भी अवगत कराया। जिसमें एक बार कोरोना हो गया तो टीकाकरण कराने की जरुरत, टीका की सुरक्षा, टीकाकरण के दोनों डोजों के बीच लंबे समय और टीकाकरण के बाद कोविड अनुरुप पालन के प्रति समाज में फैले मिथकों के सही और स्पष्ट तथ्यों को सामने रखा। अनिशा ने बताया कि किसी भी प्रकार के टीके के लिए हल्के बुखार, इंजेक्शन की जगह पर दर्द, शरीर में दर्द जैसे लक्षण दिख सकते हैं। यह प्रभाव या तो स्वत: खत्म हो जाते हैं या लक्षण आधारित दवाओं के सेवन से यह तुरंत ही खत्म हो जाते हैं। एक बार वैक्सीन देने पर 12 हफ्तों तक इम्यून सिस्टम बना रहता है। इसलिए दोनों ही डोजों के बीच इतने दिन का अंतर रखा गया है।