खरमास समाप्त होते ही शुभ कार्यों का सिलसिला शुरू
1 min readखरमास समाप्त होते ही शुभ कार्यों का सिलसिला शुरू
मंगल गान के साथ गुंजने लगी शुभ लग्न की शहनाई, ग्रीष्म काल में बहुत काम लग्न होने के कारण पंडित और नाई की मारामारी, इस बार शुक्रास्त दोष होने के कारण मई और जून में लग्न नहीं
महुआ। रेणु सिंह
मेष की संक्रांति होने के साथ खरमास की समापन हो गई और शुभ कार्यों में लगी विराम में पंख लग गए। इधर खरमास समाप्त होने के साथ मंगल गान के साथ शुभ लग्न की शहनाई गूंजने लगी है। ग्रीष्म काल में बहुत कम लग्न में अधिक शादियां होने के कारण पुरोहित और नाई की कमी पर रही है। इधर लग्न शुरू होते ही शुभ सामानों के साथ डाला दउरा आदि की मांग बढ़ गई है। रविवार को शुभ लग्न पर खरीदारों की भीड़ से महुआ बाजार गुलजार हो उठा।
पंडितों के अनुसार ग्रीष्म काल का अप्रैल में मात्र 9 लग्न है। जिसमें परिणय संस्कार हो सकते हैं। वहीं इस बार शुक्रास्त दोष के कारण मई और जून में लग्न का अभाव है। शनिवार को खरमास समापन होने के बावजूद पंचांग के अनुसार 18 अप्रैल को शुभ लग्न शुरू हो रहा है। वही 26 अप्रैल को शुक्रास्त दोष हो जाने के कारण दो महीने लग्न पर विराम भी लग जाएगी। हालांकि खरमास समाप्त होने के साथ लोग शादी विवाह करना शुरू कर दिए हैं। जिससे पुरोहित-नाई के साथ शुभ सामान, डाला, दउरा आदि की मांग बढ़ गई है। साथ ही बैंड, आर्केस्ट्रा ट्रॉली, टेंट समियाना संचालकों, हलवाई, कारीगर, पार्लर आदि को काम मिलने शुरू हो गए हैं। महादलित बस्तियों में शिल्पकार रंग बिरंगी और आकर्षक डाला दउरा बनाने में लगे हैं और वह इसकी कीमत नहीं बल्कि इसकी बख्शीश लेकर दे रहे हैं। शुभ लग्न को लेकर इस समय उनके दरवाजे तक लग्जरी गाड़ियां पहुंच रही है। आचार्य नंदकिशोर झा बताते हैं कि ग्रीष्मकल मई और जून में शुभ लग्न नहीं होने के कारण गृहस्थ और मजदूर परिवार को काफी दिक्कत आ रही है। गृहस्थ और मजदूर परिवार खेती गृहस्ती का काम संपन्न कर अपने बेटे बेटियों के हाथ पीले करते हैं। जबकि इस बार ग्रीष्मकल का लग्न उन्हें धोखा दे रही है। लग्न शुरू होने के साथ नगर से लेकर गांव तक चहल-पहल बढ़ गई है।