April 14, 2024

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महुआ के गांवों में अधिकतर जलाशय सूखे होने से व्रतियां घर पर ही करेंगी पर्व की रस्म अदायगी

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महुआ के गांवों में अधिकतर जलाशय सूखे होने से व्रतियां घर पर ही करेंगी पर्व की रस्म अदायगी
लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व के दूसरे दिन व्रतियों ने किया खरना
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य आज
महुआ। रेणु सिंह
लोक आस्था का महापर्व चैती छठ पर अर्ध्यदान को लेकर व्रतियां पेशोपेश में है। गांव में अधिकतर जलाशय सुखे हैं और कुछ में थोड़ा बहुत पानी भी है तो वह काफी गंदे हैं। जिसके कारण व्रतियों को महापर्व की अर्ध्य के लिए जगह तलाशनी पड़ रही है। जलाशयों को सुखे होने के करण वे घर पर ही व्रत पर अर्ध्यदान की रस्म अदायगी करेंगी। इसके लिए पर्व वाले परिवार में पोखर जैसा गड्ढे खोदकर उसमें अर्ध्य के लिए तैयार किया जा रहा है। रविवार को व्रतियां महापर्व के तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य देंगी।
चार दिवसीय महापर्व चैती छठ पर दूसरे दिन शनिवार को व्रतियों द्वारा खरना किया गया। उन्होंने मिट्टी की बनी नए चूल्हे पर आम के जलावन से गुड़ की खीर और रोटी बनाकर नेवच काढे।महाप्रसाद परिजनों को खिलाकर स्वयं भी ग्रहण किया और पूरे 36 घंटे की महावास पर चली गईं। इस दौरान व्रतियों ने बताया कि गांव के सभी जलाशय पोखर, तालाब, पइन, नहर आदि सुखे हैं। जिससे व्रत करने में परेशानी आ रही है। जलाशयों को सुख होने के कारण उन्हें पर्व की अनुष्ठान करने में दिक्कतें आ रही है। यही एक पर्व है, जिस पर गांव टोले के व्रती और श्रद्धालु इकट्ठे होते हैं। जिससे अच्छे और खुशनुमा माहौल में एक साथ पूजन करते हैं। जबकि जलाशयों को सुखे होने के कारण वे लोग घर पर ही गड्ढे खोदकर उसमें पानी भरकर व्रत का अनुष्ठान करेंगी। महुआ से होकर गुजरने वाली वाया नदी में भी पानी नहीं है। जहां-तहां थोड़ा बहुत पानी जमा भी है तो वह काफी गंदे हैं। गांव के जलाशय भी सूखे हैं। ऐसे में पर्व के अर्ध्यदान करने में कठिनाइयां खड़ी हो रही है। नतीजतन पर्व घर पर ही करना मजबूरी बन रहा है
घाटों की साफ सफाई नहीं होने का दिखा मलाल:
ऐसे तो अधिकतर जलाशय सुखे हैं। वही कुछ जगहों पर नदी, तालाब, पोखर में पानी जमा है। जहां पर आसपास की व्रतियां पर्व की अनुष्ठान करेंगी। पर्व पर प्रशासन द्वारा कहीं भी घाटों की साफ सफाई नहीं कराई गई है। जिसका मलाल व्रतियों में है। उन्होंने बताया कि जहां जलाशय में पानी है और महापर्व होगा, वहां घाटों की साफ सफाई होनी चाहिए। अब चैती छठ का अनुष्ठान भी ज्यादातर परिवारों में होने लगा है। यह पर्व लोक आस्था और विशेष भक्ति से जुड़ा है। जहां पर्व हो रहा है वहां स्वच्छता का पूरा ख्याल लोग रख रहे हैं।
स्वच्छता और बेटी बचाओ का देती है संदेश:
यह पर्व हमें भक्ति, आस्था, भाईचारा, अपनत्व के साथ-साथ स्वच्छता के साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ व जल संचय को संदेश देती है। यह पर्व उन लोगों के लिए बड़ी संदेश है जो बेटे की चाहत में मादा भ्रूण हत्या कर रहे हैं। पर्व पर महिलाएं गीत भी गाती हैं, रुनकी झूनकी की बेटी मांगीला पढल पंडितबा दामाद ए छठी मैया कृपा करहू अपार। यह पर्व हमें जल संचय की ओर भी इशारा कर रही है। पर्व में पानी का विशेष महत्व बताया गया है। व्रती जल में ही खड़ा होकर अर्ध्य करती है। पर्व को लेकर चारों ओर छठी मैया के गीत गूंज रहे हैं। हर ओर भक्ति और आस्था लोगों में सिर चढ़कर बोल रही है। महंगाई के बावजूद पर्व वाले परिवार में एक-एक पूजन सामग्रियों की खरीदारी की है।

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