रमजान के पाक महीने के अंतिम जुमे को हजारों रोजेदारों ने अलविदा की नमाज अदा की।
रमजान के पाक महीने के अंतिम जुमे को हजारों रोजेदारों ने अलविदा की नमाज अदा की।
रिपोर्ट : नसीम रब्बानी, वैशाली बिहार
महुआ, वैशाली । रमजान के पाक महीने के अंतिम जुमे को हजारों रोजेदारों ने अलविदा की नमाज अदा की। तपती धूप में अकीदतमंदों ने भीषण गर्मी में मस्जिदों और मदरसों के सेहन में नमाज पढ़ी।अलविदा की नमाज महुआ शाही मस्जिद पर अदा की गई। नमाज अदा करने महुआ और आसपास के ग्रामीण अंचलों से हजारों नमाजी आए। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजामात रहे। शुक्रवार को मगफिरत और रहमत के पाक महीने में आखिरी जुमा यानी अलविदा की नमाज अदा करने के लिए नमाजियों की भीड़ उमड़ी। शहर की शाही मस्जिद सहित तमाम मस्जिदें खचाखच भरी हुईं थीं।
इमाम के पीछे पहली लाइन में जगह पाने को हर नमाजी उत्साहित दिखा। मुस्लिम इलाकों में सुबह से अलविदा की तैयारी शुरू हो गईं थीं। शाही मस्जिद, तेगिया फैजुर रसूल मस्जिद, चमजाहिद मस्जिद, हिदायत पुर मस्जिद, डोगरा मस्जिद, अलीपुर मसजिद , हसनपुर भदवास मस्जिद, गोबिंदपुर मसजिद , डगरु मस्जिद, मधौल मस्जिद, जलालपुर गंगटी मस्जिद, करहटिया मस्जिद के साथ दर्जनों मस्जिदों में जुमा की नमाज हुई।
शाही मस्जिद महुआ में शाही इमाम साहब ने नमाज अदा कराने के बाद देश और मुल्क में अमन चैन और भाईचारा कायम रहे, इसके लिए दुआ मांगी। शाही इमाम ने बताया कि ये जुमा अलविदा इसलिए कहा जाता है कि ये रमजान का आखिरी जुमा होता है। जुमे के बाद रमजान समाप्त हो जाते हैं। उसकेे बाद ईद मनाई जाती है। उन्होंने बताया गया कि अल्लाह ताला ने रमजान के इनाम के बदले में ये तोहफा दिया है। जिसमें घर में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हर किसी के शरीर पर नया लिबास होता है। यह भी है की ईद की अहमियत रोजदार के लिए है।