शिक्षा व्यवस्था के साथ कि जा रही राजनीति मकबूल अहमद शहवाजपुरी*
1 min read*शिक्षा व्यवस्था के साथ कि जा रही राजनीति मकबूल अहमद शहवाजपुरी*
हाजीपुर वैशाली, पातेपुर राजद प्रखंड अध्यक्ष मकबूल अहमद शहवाजपुरी ने प्रेस बयान जारी कर सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि लॉकडाउन व्यवस्था के लागू होने के बाद से अगर किसी चीज को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है तो वह है शिक्षा। बच्चों की जिंदगी को सरकार अन्धकार में ढकेलना चाह रही है सरकार कि निती है के लोगों को अनपढ़ बना दिया जाए ताकि हम मनमानी कर सकें और लोग हमसे सवाल न करे। नई पीढ़ी को शिक्षा से हटाकर अंधभक्त बनाने की सरकार की मंशा है। शिक्षा के नाम पर बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। करोना काल में चुनाव हो सकता है, नेता की रैली हो सकती है, मॉल, बाजार, सिनेमा, क्रिकेट, सभी मनोरंजन स्थल खुल सकते हैं। इन जगहों पर करोना नहीं है। सरकार के रहस्य का खुल सकता है इस क्रोना के खेल में बहुत सारे खेल खेले जारहे हैं और एक बात यह भी है कि यह केवल सरकार की ही गलती नहीं है। हम अपने बच्चों की शिक्षा के बारे में भी संवेदनशील नहीं हैं। इमाम मुहम्मद अब्दुल रऊफ मुनावी शाफई लिखते हैं, एक राजा शिकार के लिए निकला तो देखा के एक बूढ़े आदमी जैतून का पौधा लगा रहा है, राजा ने उस से कहा ऐ शख्स तू तो बहुत बूढ़ा है जबकि जैतून का पौधा तीस साल बाद फल देता है फिर आप इस पेड़ को क्यों लगा रहे हो बूढ़े आदमी ने उत्तर दिया, राजा साहब हम से पिछले लोगों ने जो पौधा लगाए थे तो उनका फ़ल हमने खाएं तो अब हम अपने बाद वालो के लिए पौधा लगा रहे हैं । राजा प्रसन्न हुआ और कहा, “ज़ह” ईरान के राजाओं की यह प्रथा थी कि जब कोई राजा किसी व्यक्ति से यह बात कहता है, तो उसे एक हजार दीनार (यानी सोने के सिक्के) दिए जाते हैं। उस व्यक्ति को एक हजार दीनार दिए, तो उसने राजा से पूछा: जैतून का पेड़ तीस साल बाद फलता है, लेकिन यह पेड़ तुरंत फल दे दिया है। बूढ़े के इस बात को सुनकर राजा बहुत खुश हुआ और फिर दुसरी बार कहा ,,जह,, फिर दुसरी बार उसे एक हजार दिनार दिया गया, उस बुजुर्ग ने तीसरी बार राजा की सेवा में प्रार्थना की। और कहा राजा तुम्हें शांति मिले। जैतून का पेड़ साल में एक बार फल देता है। और इस पौधे ने तो दो बार फल दे दिया तब राजा ने “ज़ह” कहा और बूढ़े को तीसरी बार एक हज़ार दीनार और दिए गए। यह दृश्य देखकर वे राजा के साथ कारवां वहां से जल्दी निकल पड़े और बोले, “यदि हम इस व्यक्ति के साथ रहे, तो राजा का सारा खजाना खाली हो जाएगा।” राजद अध्यक्ष ने यह भी कहा है कि हमें इस बात से सबक सीखने की जरूरत है, सदियों पहले हमारे बुजुर्गों ने जो ज्ञान का फल बोया था, उसका लाभ हमें आज भी मिल रहा है. मदरसों, मस्जिदों, स्कूलों, स्कूलों, कॉलेजों, और उनकी पुस्तकों जैसे हमारे पूर्वजों द्वारा लगाए गए पौधों की रक्षा करनी चाहिए और साथ-साथ ज्ञान के नए पौधे लगाने की जिम्मेदारी अब हमारी है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए फायदेमंद बनें,
ऐसा करने से न केवल दूसरों को फायदा होगा, बल्कि जिस तरह पौधा लगाने वाले बूढ़े को फायदा हुआ, उसी तरह इंशाअल्लाह, जो ईमानदारी से ज्ञान की सेवा करता है, उसे दुनिया में किसी की ज़रूरत नहीं पड़ती।