आत्मज्ञान को जीवन में उतारना ही जीवन जीने की कला सीखना है- बीके सोनिका बहन
1 min read*आत्मज्ञान को जीवन में उतारना ही जीवन जीने की कला सीखना है- बीके सोनिका बहन*
विभूतिपुर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, समस्तीपुर द्वारा सिंघिया घाट के दुर्गा स्थान में आयोजित स्वर्णिम भारत नवनिर्माण आध्यात्मिक प्रदर्शनी के दूसरे दिन प्रखंड वासियों ने बड़ी संख्या में आकर परमात्मा द्वारा दिये जा रहे सत्य ज्ञान का लाभ उठाया।
शिविर के प्रथम दिन बीके सोनिका बहन ने बताया कि स्वयं का स्वयं की सत्य पहचान से दूर होना ही हमारे अंदर तनाव, चिंता, दुःख एवं अन्य सभी नकारात्मक भावनाओं के घर करने का मूल कारण है। इन सारे नकारात्मक भावनाओं से वशीभूत होने पर हम जो भी तात्कालिक उपाय अपनाते हैं, वे सभी दर्द निवारक दवाओं की भांति ही होते हैं, चाहे वह पिकनिक या सैर-सपाटे हों, व्यसन आदि का सेवन हो या मनोरंजन के कोई अन्य साधन हों। यह सब करने से थोड़ी देर के लिए तो हम तनाव मुक्त हो सकते हैं लेकिन हम विपरीत परिस्थितियों में भी तनाव मुक्त और खुशनुम: रह सकें, इसके लिए स्वयं को आत्मिक ऊर्जा से भरपूर करना होगा। यह तभी हो सकता है जब हम स्वयं के सत्य स्वरूप आत्मिक स्वरूप में स्थित होकर कार्य-व्यवहार में आयें। आंखों से देखने वाली, कानों से सुनने वाली मुख से बोलने वाली एवं अन्य सभी कर्मेंद्रियों से कम करने वाली मैं चैतन्य शक्ति आत्मा हूं- यह स्मृति रखने से आत्मा कर्म करते हुए कर्म के परिणाम के प्रभाव से स्वयं को बहुत हद तक मुक्त रख सकती है। साथ ही साथ इससे कर्म की गुणवत्ता भी उच्च दर्जे की होती है। ऐसे कर्म हमें व औरों को संतुष्टता व खुशी की अनुभूति कराते हैं। इससे हमारी कार्यक्षमता और कार्य कुशलता में इजाफा होता है। हमारे आत्मबल, मनोबल एवं इच्छा शक्ति में उत्तरोत्तर बढ़ोतरी होती जाती है। आत्मबल की कमी के कारण ही हम गलत मार्ग की ओर अग्रसर होते हैं। आत्मज्ञान को जीवन में उतारना ही जीवन जीने की कला सीखना है। यह कला अभी परमपिता परमात्मा शिव बाबा बड़े ही सहज और सुलभ तरीके से सिखला रहे हैं। प्रखंडवासियों के लिए आयोजित की गई यह नि:शुल्क प्रदर्शनी एवं शिविर उसी दिशा में एक सार्थक प्रयास है।
25 दिसंबर तक यह प्रदर्शनी चलती रहेगी एवं सात दिवसीय राजयोग मेडिटेशन शिविर प्रतिदिन दोपहर 2:00 से 3:30 बजे तक चलता रहेगा।