उर्स हाफ़िज़ी अपनी पारंपरिक भव्यता के साथ शुभ समापन
1 min readउर्स हाफ़िज़ी अपनी पारंपरिक भव्यता के साथ शुभ समापन
रपोट :नसीम रब्बानी, बिहार
उर्स हाफ़िज़ी की अध्यक्षता और संरक्षण प्रोफेसर हज़रत अल्लामा अलहाज अब्दुल समी साहब किबला सज्जादा नशिन खानकाह तेगिया हाफ़िज़िया नेउरा शरीफ़ व नकाबत अदिबेशहिर कफिल अंबर अशरफी ने अंजाम दिया इस पवित्र उर्स के अवसर पर एक विशेष संबोधन में औलादे गौस आज़म खतीबूल हिन्द सैयद सबाहत मियां कादरी ने कहा कि अपनी बेटियों को पढ़ाएं और खुद धार्मिक शिक्षा से लैस करें और मोबाइल फोन से दूर रखें।
किंयुकि मुस्लिम लड़कियाँ मोबाइल के वजह कर धर्म परिवर्तन के दलदल में फंस कर अपना दीन व दुनिया दोनों बर्बाद करती जा रही हैं
इस्लाम धर्म ने मुस्लिम औरतों को वो हक दिलाया है जो कि बाकी धर्मों में नहीं इस्लाम में जिन के कई तरीके बताए हैं। ऐसा नहीं है कि इस सभ्य धर्म ने लड़कियों को कारावास की कठिनाइयों से पीड़ित किया है, बल्कि इसने इस्लाम की सीमाओं के भीतर रहकर हर वैध कार्य की अनुमति दी है। जिसका मन दुनिया के रंगीनियों में उलझा दिया और इस्लामी सीमाओं के उनके लिए बहुत भारी होने की अवधारणा को अमान्य कर दिया, और मन के उन दोषों ने प्रकृति को शरिया पर हावी कर दिया और इस्लाम धर्म को अपना दुश्मन माना और मगरबई चलन को अपना लिया वह बर्बाद हो गया। उस समय बहुत दुःख होता है कि जब यह समाचार मिलता है कि एक ऐसी मुस्लिम लड़की धर्म परिवर्तन करके गैर मुस्लिम के साथ में चली गई और गैर मुस्लिम के साथ सात फेरे लेकर उसकी पत्नी बन गई, उस समय हृदय खून के आँसू रोता है।
आज हर किसी इंसान की यह दिली इच्छा है कि उनके बच्चे, चाहे वह लड़का हो या लड़की, शिक्षा से वंचित न रहें और ऐसा होना भी चाहिए। मगर अपनी लड़कियों को बुरा रास्ता न दिखाएं,
और परायों की बाँहों का शोभा न बनने दें।
कुछ लोगों को इस बात का बुरा भी लग सकता है और वे कह सकते हैं कि ये दकियानूसी विचारों वाले लोग न तो आगे बढ़ते हैं और न ही आगे बढ़ने देते हैं। मेरा उनसे अनुरोध है कि आपके पास क्या कमी है? आपको अपने यहां लड़कियों के लिए स्कूल बनाने का चाहत क्यों नहीं होता गाँव, कस्बों में कॉलेज और शहरों में विश्वविद्यालय ताकि आपकी बेटी दूसरों का शिकार न बने, इस बात पर तो कोई कहेगा कि यह कोई मामूली काम नहीं है। हर कोई क्या कर सकता है, मैं कहता हूँ, अवैध और वर्जित खर्चों पर रोक लगाओ विवाह में कम खर्च करो। यदि गाँव के सभी बुद्धिमान लोग इस मार्ग पर चलें, तो दो साल में आप एक स्कूल और एक कॉलेज बना सकते हैं।
ईमानदारी से यदि आप एक कदम बढ़ाएंगे तो सर्वशक्तिमान ख़ालिक़ आपके कार्य पर कृपा करेंगे, सहजता प्रदान करेंगे, कठिनाइयां दूर करेंगे और आपके सभी कार्य पूर्ण होते नजर आएंगे, क्योंकि एक कदम आत्म-सुधार के लक्ष्य को चूमता है।
अगर मुसाफिर हिम्मत न हारे तो ईमानदारी से आगे बढ़ना चाहिए या आगे बढ़ने वालों का साथ देना चाहिए।सरकार नेउरा की दुआओं से लाभान्वित हुए, शायर इंकलाब दिलबर शाही, शायर फितरत कारी मोहम्मद अली फैजी, यूवा शायर सगे बारगाह सरकार सुरकांही मकबूल अहमद शाहबाजपुरी वैशालवी, अकमल वैशालवी, कमर शाही, आबशार जफर के अलावा सैंकड़ों विद्वानों ने सरकार नेउरा के दर पर हाजरी लगवाई और नात व मनकबत पेश कर महफिल में चार चांद लगा दिये।