परमात्मा का सत्य ज्ञान मिलने से जो आत्मा अज्ञान निद्रा से जाग जाती है
1 min readपरमात्मा का सत्य ज्ञान मिलने से जो आत्मा अज्ञान निद्रा से जाग जाती है
रिपोर्ट :नसीम रब्बानी, बिहार
शिवाजीनगर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा दुर्गा मंदिर परिसर में आयोजित सात दिवसीय राजयोग मेडिटेशन शिविर के चौथे दिन सृष्टि चक्र के बारे में विस्तार से बताते हुए रोसड़ा से आई ब्रह्माकुमारी कुंदन बहन ने कहा कि समय चक्रीय गति से निरंतर चलता ही रहता है। जैसे 24 घंटे के चक्र को एक दिन कहा जाता है, 7 दिन को सप्ताह, 365 दिन को वर्ष। ऐसे ही समय का सबसे बड़ा चक्र 5000 वर्ष का है, जिसे सृष्टि चक्र कहा जाता है। दिन के चार प्रहर की भांति सृष्टि चक्र में चार युग सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग 1250 – 1250 वर्ष के होते हैं। सतयुग और त्रेतायुग मिलकर स्वर्ग कहलाता है, वहीं द्वापरयुग और कलियुग मिलकर नर्क। वर्तमान समय दिन के चौथे प्रहर की भांति घोर अंधकार कलियुग का समय चल रहा है। जब पापाचार, भ्रष्टाचार, व्यभिचार का सर्वत्र बोलबाला है। ऐसे समय पर निराकार परमपिता परमात्मा शिव अति धर्मग्लानि के समय पर भारत भूमि पर अवतरित होते हैं। जो समय कलियुग अंत और सतयुग आदि के मध्य का होता है, जिसे संगमयुग कहा जाता है। यह समय सृष्टि के ब्रह्ममुहूर्त की भांति बड़ी ही अनुपम और विलक्षण वेला है। जैसे ब्रह्म मुहूर्त के समय जो सोया रहे उसके लिए रात और जो जाग गया, वह समय का सबसे अच्छा लाभ लेता है। ऐसे ही सृष्टि चक्र के ब्रह्ममुहूर्त पुरुषोत्तम संगमयुग की वेला में परमात्म-मिलन का मेला लगता है। परमात्मा का सत्य ज्ञान मिलने से जो आत्मा अज्ञान निद्रा से जाग जाती है, वह परमात्मा मिलन के अतींद्रिय सुख का अनुभव करती है और सतयुग में देव पद का अधिकारी बनती है। लीप वर्ष की भांति यह लीप युग बस कुछ ही समय का मेहमान है। अतः इस धर्माऊ युग में अपने परमात्मा पिता से मिलने एवं उनसे वर्सा लेने का सत् धर्म अवश्य निभायें।
सभी उपस्थित श्रद्धालुओं ने बड़ी उत्सुकता और तत्परता से परमात्म-ज्ञान का रसास्वादन किया।
दुर्गा मंदिर परिसर में सात दिवसीय नि:शुल्क शिविर प्रतिदिन की भांति आगामी दो दिनों तक दोपहर 2 से 3:30 बजे तक चलता रहेगा।