शिक्षक समाज में हमेशा पुजनीय रहा है, रंजीत कुमार सिन्हा
1 min readशिक्षक समाज में हमेशा पुजनीय रहा है, रंजीत कुमार सिन्हा
रिपोर्ट :अशरफ वैशालवी, महनार वैशाली
मुजफ्फरपुर। जिला सकरा प्रखंड अंतर्गत चंदनपट्टी पंचायत में अवस्थित गिरींद्र नारायण उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति तथा दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्म दिवस पर स्मार्ट क्लास में शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया गया। और प्रधानाध्यापिका श्रीमती रेणु आंनद की अध्यक्षता और विज्ञान के शिक्षक श्री लालबाबू प्रसाद की बेहतरीन संचालन में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में पहुँचे पंचायत समिति सदस्य वह भुमि दाता के वंशज श्री रंजीत कुमार सिन्हा जिन्हें विधालय परिवार की ओर से कलम देकर सम्मानित किया गया कार्यक्रम से सम्बोधित करते हुए रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि शिक्षक समाज में उच्च आदर्श स्थापित करने वाला व्यक्तित्व होता है। किसी भी देश या समाज के निर्माण में शिक्षा की अहम् भूमिका होती है। कहा जाए तो शिक्षक ही समाज का आईना होता है। हिन्दू धर्म में शिक्षक के लिए कहा गया है कि ‘आचार्य देवो भव:’ यानी कि शिक्षक या आचार्य ईश्वर के समान होता है। यह दर्जा एक शिक्षक को उसके द्वारा समाज में दिए गए योगदानों के बदले स्वरूप दिया जाता है। गणित के शिक्षक श्री कामेश्वर साह ने कहा कि शिक्षक का दर्जा समाज में हमेशा से ही पूज्यनीय रहा है। कोई उसे ‘गुरु’ कहता है, कोई ‘शिक्षक’ कहता है, कोई ‘आचार्य’ कहता है, तो कोई ‘अध्यापक’ या ‘टीचर’ कहता है। ये सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को चित्रित करते हैं, जो सभी को ज्ञान देता है, सिखाता है। जिसका योगदान किसी भी देश या राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करना है। सही मायनों में कहा जाए तो एक शिक्षक ही अपने विद्यार्थी का जीवन गढ़ता है और शिक्षक ही समाज की आधारशिला है। एक शिक्षक अपने जीवन के अंत तक मार्गदर्शक की भूमिका अदा करता है और समाज को राह दिखाता रहता है, तभी शिक्षक को समाज में उच्च दर्जा दिया जाता है। उर्दू के शिक्षक डॉ मोहम्मद कलीम अशरफ ने कहा कि माता-पिता बच्चे को जन्म देते हैं। उनका स्थान कोई नहीं ले सकता, उनका कर्ज हम किसी भी रूप में नहीं उतार सकते, लेकिन एक शिक्षक ही है जिसे हमारी भारतीय संस्कृति में माता-पिता के बराबर दर्जा दिया जाता है, क्योंकि शिक्षक ही हमें समाज में रहने योग्य बनाता है इसलिए ही शिक्षक को ‘समाज का शिल्पकार कहा जाता है इन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि गुरु या शिक्षक का संबंध केवल विद्यार्थी को शिक्षा देने से ही नहीं होता बल्कि वह अपने विद्यार्थी को हर मोड़ पर राह दिखाता है और उसका हाथ थामने के लिए हमेशा तैयार रहता है। विद्यार्थी के मन में उमड़े हर सवाल का जवाब देता है और विद्यार्थी को सही सुझाव देता है और जीवन में आगे बढ़ने के लिए सदा प्रेरित करता है।इन्होंने ये भी कहा कि एक शिक्षक या गुरु द्वारा अपने विद्यार्थियों को स्कूल में जो सिखाया जाता है या जैसा वे सीखते हैं, वे वैसा ही व्यवहार करते हैं। उनकी मानसिकता भी कुछ वैसी ही बन जाती है, जैसा कि वे अपने आसपास होता देखते हैं इसलिए एक शिक्षक या गुरु ही अपने विद्यार्थी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। प्रधानाध्यापिका श्रीमती रेणु आंनद और , लालाबाबू प्रसाद ने कहा कि सफल जीवन के लिए शिक्षा बहुत उपयोगी है, जो हमें गुरु द्वारा प्रदान की जाती है। विश्व में केवल भारत ही ऐसा देश है, जहां पर कि शिक्षक अपने शिक्षार्थी को ज्ञान देने के साथ-साथ गुणवत्तायुक्त शिक्षा भी देते हैं, जो कि एक विद्यार्थी में उच्च मूल्य स्थापित करने में बहुत उपयोगी है। आज भी बहुत से शिक्षक, शिक्षकीय उपराष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन जी के आदर्शों पर चलकर एक आदर्श मानव समाज की स्थापना में अपनी महती भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। इस मौके पर छात्र छात्राओं ने सभी शिक्षक व शिक्षिका, और शिक्षकेतर कर्मचारियों कलम देकर सम्मानित किया गया। संगीत के शिक्षक सुरेंद्र कुमार ने गुरु के शान में गीत संगीत प्रस्तुत किया और कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में पुर्व प्रभारी प्रधानाध्यापक विजय कुमार, डॉ गोविंद भुषण,श्याम नन्दन कुमार, रानी कुमारी,शम्भु शरण सिंह, विष्णु शंकर झा, अरविंद कुमार, अजित कुमार , सुरेंद्र कुमार, लिपिक अमर कुमार, विनोद कुमार, सरयू पासवान, पुष्पा कुमारी समेत अन्य शरीक थे