सिलसिला तेगिया के महान पीर कारी इमाम बख्श तेगी ब्राहिमी हजारों नम आंखों के साथ सुपुर्द ए खाक।
1 min readसिलसिला तेगिया के महान पीर कारी इमाम बख्श तेगी ब्राहिमी हजारों नम आंखों के साथ सुपुर्द ए खाक।
क्षेत्र एक महान सुफी संत के साय रहमत से महरूम हो गया / इम्तियाज नदवी
नसीम रब्बानी
आदिल शाहपुरी
वैशाली संवाददाता सूत्र महुआ विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत सिलसिला तेगिया के महान सुफी पीरे तरीकत कायदे अहले सुन्नत शागिर्द बदरे मिल्लत व मुरीद पीर ए कामिल शैखुल मशाएख दादा सरकार अलहाज आशशाह सरकारे सुरकांरी हुजूर मोहम्मद तेग अली कादरी मुंगेरी मुजीबी जलाली र० अ० सुरकांही शरीफ मुजफ्फरपुर व ” ख़लीफा ” कुतबुल इरशाद पीरे तरीकत सुफी अशशहा मोहम्मद इब्राहिम शाह र० अ० मुजफ्फरपुर एवं सरबराहे आला एवं संस्थापक मदरसा तेगिया फैजुर रसुल महुआ वैशाली पीरे तरीकत सुफी अशशहा कारी इमाम बख्श कादरी तेगी बराहीमी र० अ० थोरी सी अलालत के बाद फजर की नमाज के बाद जुमा की नमाज़ की तैयारी के दरमियान वजु के बाद जुमा की नमाज़ के अजान को दुहराते हुए आख़री कलमा लाए ला ह इललाह के साथ गत दिनों 12 बजकर 20 मिनट पर इस दारे फानी से कूच कर गए इन्ना लिलाहे व ” इन्ना इलैहे राजे ऊन ” जिनकी जनाजे की नमाज हजरत के बड़े पुत्र हजरत मौलाना अब्दुल अली फरीदी इमामी साहब ने 29 जनवरी 2023 दिन इतवार को प्रातः 10:00 बजे मदरसा तेगिया फैजुर रसुल से पूरब खुले मैदान के बीच में पढ़ाई ज्ञात हो कि हजरत को जनाजे के बाद दफन के लिए कोई कब्रिस्तान में नहीं ले जाया गया बल्कि मदरसा के सेहन में पूरब की तरफ पोखता कब्र बना कर दफ़न किया गया जहां हजरत के मुरी दीन, मोतवससेलीन, मोतके दीन , मोमेनीन , मुखलेसीन , मोहिबबीन , के साथ ग़ैर मोमेनीन ने मिलकर हजारों की संख्या से अधिक लोगों ने नम आंखों के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया ज्ञात हो कि हजरत ने 95 वर्ष की आयु पायी हजरत शिक्षा प्राप्त करने के जमाने से ही दीन परस्त थे हज़रत हाफिज भी थे कारी भी थे सूफ़ी भी थे पीर भी थे फ़कीर भी थे मालूम हो कि हजारों की संख्या में हिंदुस्तान के कई राज्यों में इनकी मुरी दीन की एक लंबी फेहरिस्त पाई जाती है जो इस समय बताना बड़े कठिन की बात है हज़रत की जिंदगी साफ़ सुथरी जिंदगी थी खाक सारी क़दम चूमती थी इमानदारी की जीती-जागती मिसाल कायम की हुई थी मामुली किस्म का सुफैद कुरता पाजामा लुंगी से ढका हुआ शरीर यूं समझिए कि खाना से लेकर पोशाक तक सरी जिंदगी फकीराना लिबास में गुजारदी फितरत के एतबार से कम बोलना , मद्धम आवाज़ , नज़र नीची संजिदा मिजाज जहां सब कुछ रहते हुए नफसे अममारा अमीरी के साथ दम तोड़ती हुई नजर आ रही थी और फकीरी फकीरी पर फखर करती हुई नजर आ रही थी इन्होंने एक सबक अमोज मिसाली जिंदगी दुनिया वालों के सामने गुजारी जिस पर सिलसिला तेगिया को फखर हासिल है इनकी फकीरी दौड़े हाजिर में मिसाल पेश करती हुई नजर आ रही है बकौल हिंदुस्तान के महान कवि डॉ० इकबाल
दारा व सिकंदर से वह मरदे फकीर उला ।
हो जिसकी फकीरी में बू ए असद उल्लाही ।
अफसोस सद अफसोस कि ये महान सुफी संत पीर हम सब को साय रहमत से महरूम कर गये लेकिन हज़रत ने अपने जिंदगी में बड़े पैमाने पर दीन की आबयारी के लिए एक बड़ा मदरसा को क़ायम किया जहां सैंकरो की संख्या में इमानी व इस्लामी बच्चे और बच्चियां दीन की तालीम से फैजयाब हो रहे हैं अल्लाह इस मेहनत को कबूल फरमाए और अपने आगोशे रहमत जगह इनायत फरमाए आमीन और हम सबको को भी दीने मोहम्मद पर चलने की तौफीक अता फरमाए हजरत ने एक बेटा और एक बेटी और विधवा के साथ पोता पोती से हरा भरा खानदान छोड़ कर गए हजरत के जनाजे में मौलाना , हाफिज , कारी , मुफ्ती , इमाम , खतीब , सुफी , पीर , फकीर , शाएर , पदाधिकारी , शिक्षक , छात्र के साथ जनप्रतिनिधि , सामाजी , सियासी कयी हजार लोग जनाजा में उपस्थित थे जिन में मुख्य रूप से राज्य स्तरीय उर्दू एवं हिंदी पत्रकार नसीम रब्बानी , मुफ्ती अली रजा मिस्बाही , पत्रकार एवं उर्दू कवि एजाज आदिल शाहपुरी , अर्शद अंसारी जलालपुर , सेठ जुबैर अंसारी जलालपुर , मास्टर इम्तियाज अंसारी ,मास्टर सिराज अंसारी ,मास्टर दिलशेर अंसारी, कारी जावेद अख्तर फैजी ,मास्टर आशिक अली ,हाफिज तौकीर सैफी , मौलाना अबू नसर मिस्बाही ,मौलाना हाशिम रजा मिस्बाही ,मौलाना नूरे नबी यूसुफी, डॉक्टर शमीम अंसारी आसमा अस्पताल महुआ , समाज सेवी डाक्टर हुसैन अंसार , पूर्व मुखिया आरिफ हसन शाहपुर , पूर्व सरपंच कलाम अंसारी शाहपुर , हाजी अताउल्लाह शाहपुर , आसमोहमद आजाद मोबाइल महुआ , गुलजार साहब महुआ इत्यादि के नाम शामिल हैं इनके अलावा बजरिया फुन इंजिनियर खुर्शीद अहमद जलसंसाधन विभाग बिहार सरकार , डाक्टर प्रोफेसर ज़फ़र अंसारी ज़फ़र सेंट्रल यूनिवर्सिटी इलाहाबाद , अब्दुल कैयूम अंसारी उर्दू लाइब्रेरी एवं मुफ्त दीनी मोनजजम क्लास के संस्थापक एवं महासचिव एवं जनता दल यूनाइटेड पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव मौलाना इम्तियाज आदिल नदवी शाहपुरी वैशाली ने भी हज़रत के इंतकाल पर अफसोस करते हुए खिराजे अकीदत पेश की और सामूहिक रूप से कहा कि पीरे तरीकत हजरत मौलाना अलहाज आशशाह कारी इमाम बख्श कादरी साहब क्षेत्र के महान सूफी थे इन के इंतकाल से क्षेत्र एक महान सुफी संत से ख़ाली हो गया जो फिलहाल भरपाई होना कठिन सा मालूम होता है आंखों के दूर दूर तक फिलहाल दिखाई नहीं देता है इन का जीवन हम सबके लिए आदरणीय एवं प्रेरणा पूर्ण रहा है अल्लाह हम सब को इन की सुफियाना जीवन नसीब अता फरमाए आमीन