November 29, 2022

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सदगुरू का लक्ष्य, मातृ उद्बोधन आध्यात्मिक केन्द्र (ट्रस्ट) का लक्ष्य है,प्रत्येक प्राणी सुखी रहे , हर घर में मों का दीप जले

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:मातृ उद्बोधन आध्यात्मिक केन्द्र (ट्रस्ट) की स्थापना 09 अप्रैल, 2021 को हुआ है, जिसका निबंधन संख्या – 493/ 2021 है। इसका कार्यालय रामकृष्णानगर, पटना, बाईपास से 500 मीटर अन्दर खोला गया है। इस ट्रस्ट का संचालन द्वारिका कॉलेज, अशोक नगर, कंकड़बाग, पटना-20 से होता है हमारे सद्गुरू श्री श्री बलराम सिंह महाराज हुए।

सनोवर खान ब्यूरो रिपोर्ट के साथ रोहित कुमार की रिपोर्ट।

 

पटना:मातृ उद्बोधन आध्यात्मिक केन्द्र (ट्रस्ट) की स्थापना 09 अप्रैल, 2021 को हुआ है, जिसका निबंधन संख्या – 493/ 2021 है। इसका कार्यालय रामकृष्णानगर, पटना, बाईपास से 500 मीटर अन्दर खोला गया है। इस ट्रस्ट का संचालन द्वारिका कॉलेज, अशोक नगर, कंकड़बाग, पटना-20 से होता है हमारे सद्गुरू श्री श्री बलराम सिंह महाराज हुए। ये ब्रह्मलीन 16 जुलाई, 2017 को हुए परन्तु यहाँ कहना यतोशक्ति नहीं होगी कि “सदगुरु नश्वर है”, कभी मरता नहीं। सदैव अपने शिष्य के पास रहते हैं। हमारे सदगुरू का निम्नवत लक्ष्य रहा है जिसे हम शिष्यगण उक्त ट्रस्ट के सानिध्य में कार्य कर रहे हैं। कहा गया है कि “कर्म ही धर्म है” (Work is Worship) हमारे सदगुरु “माँ काली” के असीम भक्त है। उन्होंने रामकृष्ण परमहंस जी की तरह “माँ काली” से साक्षात साक्षात्कार किये है और सेवा करने का अशीम आर्शीवाद प्राप्त किये है। तभी तो सदगुरू कहते हैं “माता न कुमाता हो सकती पुत्र कपुत्र भले कठोर सब देवता एक ओर माँ तू एक ओर”।

सदगुरू का लक्ष्य, मातृ उद्बोधन आध्यात्मिक केन्द्र (ट्रस्ट) का लक्ष्य है।

1. प्रत्येक प्राणी सुखी रहे / हर घर में मों का दीप जले।

2. लोगों के लिये (बच्चों के लिए) अच्छी शिक्षा की व्यवस्था की जाय ताकि गाँव, शहर, प्रदेश, देश और विश्व में ज्ञान का प्रकाश फैलें और सुखमय हो।

3. लोगों के लिये अच्छी चिकित्सा की व्यवस्था हो ताकि लोग स्वस्थ्य रहें। 4. लोगों में आध्यात्मिक ज्ञान का विकास हो आप जानते हैं कि मनुष्य को तन को स्वस्थ्य रखने के लिये भोजन (प्रसाद) की जरूरत होती है परन्तु मन अर्थात् चित के लिए आध्यात्मिक ज्ञान की आवश्यकता होती है ताकि आपको अनुभव हो कि “आप इस पृथ्वी पर किसलिए आयें है।”

4. शान्ति के लिए अपने प्रभु के प्रति, सदगुरू के प्रति अपने ईष्ट के प्रति समर्पित होना ही पड़ेगा, तभी आप लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते है। यह सभी सदगुरु की कृपा से ही संभव है। अतः अपने सदगुरु का संगत, अनुशंसा या उनके बनाये रास्ते पर अवश्य अनुकरण करना चाहिए। सदगुरू कहते है कि क्या मजा है पागलपन में पागल हो कर देख लो, क्या मजा है हरि गजन में भजन गा कर देख लो।

जय गुरूब! जय माँ काली ।

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