ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस ने मनायी लाल बहादुर शास्त्री की जयंती
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असाधारण इच्छाशक्ति वाले एक शानदार विचारक थे शास्त्री जी : राजीव रंजन प्रसाद
शास्त्री जी अपना जीवन मातृभूमि के सेवा के लिए समर्पित किया : राजीव रंजन प्रसाद
पटना, 02 अक्टूबर ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री को आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता के लिए देश के एक उत्कृष्ट राजनेता के रूप में माना जाता है। वह असाधारण इच्छाशक्ति वाले एक शानदार विचारक थे। शास्त्री जी बहुत ही क्षमतावान और प्रसिद्ध व्यक्ति थे, उन्होंने सदैव अपना जीवन सादगी से जीते हुए, इसे अपनी मातृभूमि के सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
जीकेसी युवा प्रकोष्ट बिहार ने लालबहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर माटी के लाल ‘लाल बहादुर शास्त्री पर परिचर्चा ’ का आयोजन किया। इस अवसर पर लोगों ने लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया। परिचर्चा को संबोधित करते हुये ग्लोबल अध्यक्ष राजीव प्रसाद ने कहा कि 1962 के भारत चीन युद्ध में हिंदुस्तान की शर्मनाक हार से हर भारतीय मायूस था, लेकिन 1965 में भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह से परास्त किया। देश ने तीन वर्षों के अंदर भारतीय सेना का बढ़ता हुआ आत्मविश्वास देखा। कारण था कि छोटे कद के बड़े नेता और सशक्त युद्ध नायक देश की अगुवाई कर रहे थे। लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में भारतीय सेनाओं का अदम्य पराक्रम दिखा।भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने कहा कि वह ऐसा भारत बनायेंगे जहां लोगों के स्वतंत्रता और खुशी से कोई समझौता नहीं होगा।
श्री प्रसाद ने कहा, भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान शास्त्री जी ने नारा दिया था जय जवान जय किसान। उस समय भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर नहीं था। हमें दूसरे देशों से अनाज का आयात करना पड़ता था। भारत पाक युद्ध के समय अमेरिका ने भारत को अनाज निर्यात करने से मना कर दिया था और समय समय पर सूखे की वजह से देश के भंडार में कमी आ गई थी। इसी को देखते हुए लाल बहादुर शास्त्री ने अनाज उत्पादन पर जोर देने तथा भारतीय सेना का मनोबल ऊंचा करने के लिए जय जवान जय किसान का नारा दिया था।
इस अवसर पर जीकेसी बिहार के प्रदेश अध्यक्ष दीपक कुमार अभिषेक ने कहा, अभूतपूर्व खाद्यान संकट से जब देश जूझ रहा था,वहीं 1962 की हार से बुझे मनोबल को एक चुनौती के रूप में शास्त्री जी ने लिया और उनके एक नारे ‘जय जवान जय किसान ‘ ने देश की तक़दीर बदल दी। भारत ने पाकिस्तानी सेना का कचूमर निकाल दिया था। एक अपराजेय जीत के बाद ,ताशकंद में स्व शास्त्री की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत ने एक सुनहरे अध्याय पर विराम लगा दिया।
जीकेसी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. नम्रता आनंद ने कहा, स्व. शास्त्री अद्भुत रणनीतिकार, लोकप्रिय राजनेता एवं सादगी का प्रतीक थे।उनके अनमोल विचार जिन्होंने लोगों को हमेशा प्रेरणा और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। लाल बहादुर शास्त्री जी ने सादगी , सरलता और ईमानदारी का पाठ पढ़ाया।
उनका एक मात्र लक्ष्य हमारे देश को धर्मनिरपेक्ष और मिश्रित अर्थव्यवस्था के साथ एक लोकतांत्रिक व्यवस्था बनाना था, जिसके लिए किये गये प्रयासों के लिये लोग उन्हें आज भी याद करते हैं।
जीकेसी युवा विभाग के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक शंकर ने कहा, “लाल बहादुर शास्त्री जी की उनकी सादगी तथा निर्णय क्षमता के लिए पूरे भारत में प्रशंसा की जाती है। हमारे इतिहास के बेहद अहम मौके पर उनके मजबूत नेतृत्व को हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि।’
जीकेसी युवा विभाग पटना के अध्यक्ष पीयूष श्रीवास्तव ने कहा, शास्त्री जी ने अपने विनम्र स्वाभाव, मृदुभाषी व्यवहार और आम लोगों से जुड़ने की क्षमता से भारत की राजनीति पर अमिट छाप छोड़ी थी।
इस अवसर पर जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम कुमार, कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय उपाध्क्ष अनिल कुमार दास, बिहार-झारखंड के सह प्रभारी अनुराग समरूप, राष्ट्रीय सचिव राजेश कुमार संजू,संगठन मंत्री बलिराम जी, जीकेसी महिला संभाग बिहार की प्रदेश अध्यक्ष नंदा कुमारी, वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष नीलेश रंजन, पटना जिला महासचिव धनंजय कुमार, जिला सचिव युवा सौरभ श्रीवास्तव, जिला सचिव युवा आदित्य कुमार,जिला सचिव युवा
रौशन कुमार, जिला सचिव युवा अनिरूद्ध सिन्हा, महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश उपाध्यक्ष पुष्पमाला कुमारी , कार्यालय सचिव प्रसून श्रीवास्तव, ने भी अपने विचार व्यक्त किये।