फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को सफल बनाने में जुटे हैं स्वास्थ्यकर्मी, घर-घर दवा खिला रहे
1 min readफाइलेरिया उन्मूलन अभियान को सफल बनाने में जुटे हैं स्वास्थ्यकर्मी, घर-घर दवा खिला रहे
– जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल अधिकारी ने लोगों से फाइलेरिया की दवा खाने की अपील की
हाजीपुर, 31 मार्च।
जिले में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत लोगों को घर-घर जाकर स्वास्थ्य विभाग की टीम फाइलेरिया रोधी दवा खिला रही है। एक भी व्यक्ति दवा खाने से वंचित न रह जाये इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल अधिकारी डॉ सत्येन्द्र प्रसाद सिंह ने लोगों से फाइलेरिया की दवा खाने की अपील की, जिससे इस रोग से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया रोग से मनुष्य में अपंगता हो जाती है और वह इससे उबर नहीं पाता। इसलिए यह दवा सभी को खानी चाहिए। दवा खाना ही मात्र इस रोग का एक बचाव है। उन्होंने कहा कि अभियान में लोगों को दवा देकर टीम नहीं आएगी बल्कि अपने समक्ष दवा खुद खिलाएगी, जिससे शत प्रतिशत लोगों को दवा खिलाई जा सके।
विषम परिस्थिति से निपटने के लिए रैपिड रिस्पॉन्स टीम है गठित-
डॉ सत्येन्द्र प्रसाद सिंह ने बताया कि किसी भी विषम परिस्थितियों से निबटने के लिए पीएचसी स्तर पर रेपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया है। कुछ इलाकों में लोगों को दवा खाने के बाद उल्टी और बुखार और चक्कर जैसी मामूली समस्या आयी , इससे उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। फाइलेरिया दवा का सेवन पूरी तरह सुरक्षित है। जिसमें बीमारी के लक्षण होंगे उन्हें थोड़ा सा बुखार, उल्टी और हल्का चक्कर आएगा। इसमें चिन्ता की कोई बात नहीं है। ये लक्षण कुछ समय बाद समाप्त हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि माइक्रो-प्लान के अनुसार कार्य को संपादित किया जा रहा है। जिससे अभियान को सफल बनाया जा सके।
185 सुपरवाइजर कर रहे निगरानी-
जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल अधिकारी डॉ सिंह ने बताया कि मास ड्रग एडमिनिसट्रेशन (आईडीए) अभियान के दौरान जिले में 40,70,668 लोगों को ग्रामीण, जबकि 3,02,101 लोगों को शहरी क्षेत्र में दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र में 1729 और शहरी में 121 टीम को लगाया गया है। 185 सुपरवाइजर अभियान के लिए तैनात किए गए हैं। अभियान के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में 5,94,801 घरों और शहरी क्षेत्र के 44,143 घरों तक कर्मी भ्रमण करेंगे। इस दौरान वे अपनी निगरानी में दवा खिलाएंगे। दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोग से ग्रस्त लोगों को दवा नहीं खिलाई जायेगी।