चमकी बुखार से बचाव के लिए पकड़ीदयाल में चौपाल का आयोजन
1 min readचमकी बुखार से बचाव के लिए पकड़ीदयाल में चौपाल का आयोजन
– ग्रामीणों में फैल रही है चमकी के प्रति जागरूकता
– छोटे बच्चों को धूप में न खेलने की सलाह
मोतिहारी, 07 अप्रैल
चमकी को हराने के लिये स्वास्थ्य कर्मियों का सबसे बड़ा हथियार है जागरूकता । इसको चरितार्थ कर रहे हैं पकड़ीदयाल के केयर और स्वास्थ्यकर्मी । अनुमंडलीय अस्पताल पकड़ीदयाल क्षेत्र के बड़का गाँव पंचायत वार्ड नं 3, वार्ड नं 1 ढेकहा में बुधवार को चौपाल का आयोजन किया गया । जिसमें लोगों को ए ई एस/जे ई के के बारे में व उससे बचने की जानकारी दी जा रही है ।
लक्षणों की पहचान करने एवम उससे सतर्क रहने की जानकारी दी गई-
ए ईएस /चमकी बुखार से बच्चों व कोरोना से ग्रामीणों को बचाने के लिए गांव में चौपाल लगाकर लोगों को चमकी बुखार के लक्षणों की पहचान करने एवम उससे सतर्क रहने की जानकारी दी गई । इस चौपाल के मुख्य बिंदुओं पर चर्चा प्रभारी चिकित्सा प्रभारी वीणा दास, एवम बाल विकास परियोजना पदाधिकारी रेखा कुमारी व केयर इंडिया के सतीश कुमार के द्वारा की गई । स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा बताया गया कि जानकारी ही बचाव है। वहीं चमकी बुखार के लक्षण,व बचाव,सावधानियां, एम्बुलेंस का नम्बर के बारे में विस्तार से बताया गया । स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया बच्चों को रात में खाली पेट ना सुलाएं और किसी प्रकार की दिक्कत होने पर सीधे सरकारी अस्पतालों में लेकर जाएं । किसी प्रकार की ऐसी परेशानी होने पर देर ना करें । चमकी के लक्षण दिखाई पड़ने पर तुरंत इलाज कराएं ।
जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों में फैलाएं-
चौपाल में उपस्थित जनप्रतिनिधियों से भी अनुरोध किया गया कि वह अपने आसपास के बच्चों पर ध्यान दें तथा चौपाल में मिली जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों में फैलाएं । स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि एईएस की रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक करने को लेकर दलित, महादलित टोला में चौपाल लगातार कराने का निर्देश दिया गया है । सभी आंगनबाड़ी सेविका, जीविका दीदी , अपने क्षेत्र में सभी लोगों के बीच एईएस व जेई के बारे में लगातार जानकारी उपलब्ध करा रही हैं । पूर्वी चम्पारण जिले के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार चमकी से बचने के लिए चौपाल का आयोजन हो रहा है ।
ज्यादा गर्मी पड़ने पर औऱ ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत-
केयर के ब्लॉक मैनेजर सतीश कुमार ने बताया ज्यादा गर्मी पड़ने पर औऱ ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है । बच्चे बेवजह धूप में घर से न निकलें , गन्दगी से बचें , कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें , ताकि चमकी के साथ साथ अन्य मौसमी बीमारियों पर भी रोक लग सके । जिले में कुछ वर्षों से चमकी बुखार नामक महामारी से मुजफ्फरपुर, पूर्वी चम्पारण जैसे जिले प्रभावित रहे हैं। जिसमें चमकी बुखार के कारण कई बच्चों को अपनी जान गवानी पड़ी है। इस बार ऐसी कोई घटना न हो इसके लिए जिले के तमाम मेडिकल टीमों को जन जागरूकता व मेडिकल व्यवस्था के साथ एईएस से लड़ने के लिए तैयार किया गया है। इसके लिए मेहसी, चकिया, मधुबन, तेतरिया सहित अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में तैयारियां की गई हैं। एईएस से बचाव के लिए महादलित टोलों के साथ जगह जगह स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा चौपाल का आयोजन किया जा रहा है। चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि आशा, जीविका दीदियों, आशा फैसिलिटेटरों, नर्सो को समय समय पर एईएस से सम्बंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। माइकिंग की जा रही है। कीटनाशकों का निरंतर छिड़काव किया जा रहा है। बच्चों को एईएस से बचाने के लिए माता-पिता को शिशु के स्वास्थ्य के लिए अलर्ट रहना चाहिए। समय-समय पर देखभाल करते रहना चाहिए। बच्चों को संतुलित भोजन देना चाहिए। स्वस्थ बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए। साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को मां का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है।
मुसहर टोला में आयोजित एईएस/ जेई चौपाल में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ वीणा कुमारी दास, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी रेखा कुमारी, चिकित्सा पदाधिकारी डॉ हामिद हुसैन, प्रखण्ड स्वास्थ्य प्रबंधक अवनीश कुमार, प्रखण्ड सामुदायिक उत्प्रेरक अनिल मंडल महिला पर्यवेक्षिका प्रिया, केयर इंडिया के प्रखण्ड प्रबंधक सतीश कुमार सिंह , जेडएलपीपी की फिमेल फैसिलिटेटर ऋचिका कुमारी और मेल फैसिलिटेटर निलेश कुमार, एएनएम मंजू कुमारी, सेविका , सहायिका, जीविका और गाँव के अन्य लोग चौपाल में उपस्थित थे ।
एईएस के लक्षण
– बच्चों को बहुत ही तेज बुखार होता है।
-बुखार के साथ चमकी आना शुरू होता है।
– मुंह से भी झाग आता है।
– भ्रम की स्थिति होना।
– पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना।
– हाथ पैर का अकड़ना।
– बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन का ठीक नहीं रहना।
– बेहोश होने जैसी स्थिति भी हो जाती है।
एईएस से बचने हेतु सावधानियां
– बच्चों को धूप से बचायें।
– ओ आर एस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
– रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
– बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
– पैरासिटामोल की गोली या सीरप दें।