April 5, 2021

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‌‌‌जिला प्रशासन, स्वास्थ्य और मीडिया के समेकित प्रयास से चमकी पर आएगी जागरूकता : जिलाधिकारी – लोगों तक पहुंचने की अपनी क्षमता का भरपूर उपयोग करे मीडिया – चमकी के हॉट स्पॉट क्षेत्रों में अलग से 16 एम्बुलेंस की व्यवस्था –

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‌‌‌जिला प्रशासन, स्वास्थ्य और मीडिया के समेकित प्रयास से चमकी पर आएगी जागरूकता : जिलाधिकारी

– लोगों तक पहुंचने की अपनी क्षमता का भरपूर उपयोग करे मीडिया
– चमकी के हॉट स्पॉट क्षेत्रों में अलग से 16 एम्बुलेंस की व्यवस्था

मुजफ्फरपुर, 5 अप्रैल
जिला प्रशासन और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च(सीफार ) के सहयोग से सोमवार को समाहरणालय सभाकक्ष में मीडिया उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन हुआ। जिसका विधिवत उद्घाटन जिलाधिकारी प्रणव कुमार, एडीएम अजय कुमार, डीपीआरओ कमल सिंह तथा सिविल सर्जन डॉ एसके चौधरी ने किया। उक्त कार्यशाला के दौरान जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने कहा कि चमकी के प्रचार प्रसार में मीडिया की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। एईएस कोई रोग नहीं यह अनेक रोगों के लक्षणों का समावेश है। पिछले 10 -12 वर्षों मे जो मत बना है वह यह कि एईएस का जुड़ाव गर्मी और नमी से जरूर है। हमें एईएस से निपटने के लिए त्वरित गति से काम करना होगा ताकि असर कम किया जा सके। इसके लिए हम विभिन्न स्तरों पर कार्य रह रहे हैं। गांवों मे चमकी पर चर्चा कर रहे हैं। मीडिया से भी अपील है कि चमकी पर क्या करें और क्या न करें, चमकी के लक्षणों को अपने खबरो में तरजीह दें। ध्यान रखना है कि किसी की भी जान की कीमत बहुत ज्यादा होती है। जिला प्रशासन प्रयास कर रहा है कि जिले में जीरो से छह साल तक के जितने भी बच्चे हैं उनके अभिभावकों के मोबाइल में आंगनबाड़ी, गाड़ी के ड्राइवर, एएनएम का नंबर अवश्य हो ताकि सही समय पर बच्चे को उचित इलाज मिल सके। जिलाधिकारी ने मीडियाकर्मियों से आग्रह किया कि लोगों तक पहुंचने की अपनी क्षमता का चमकी के लिए वह भरपूर उपयोग करें। वहीं एडीएम अजय कुमार ने मीडिया से तीन संदेशों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने को कहा। उन संदेशों में शाम के वक्त सुस्ती होने पर पीएचसी जाना, रात में खाना खिलाकर ही बच्चों को सुलाना और एम्बुलेंस या टैग वाहन का इंतजार न करते हुए किसी भी वाहन से तुरंत ही नजदीकी पीएचसी ले जाना। उन्मुखीकरण के दौरान केयर इंडिया के डीटीएल सौरभ तिवारी ने पीपीटी के माध्यम से बताया कोरोना के समय में चमकी चुनौती के साथ अवसर भी है। चमकी को लेकर निगरानी, स्वास्थ्यकर्मियों का क्षमतावर्धन , अस्पताल की तैयारी और बच्चों को ससमय अस्पताल ले जाना ये ऐसे फैक्टर हैं जिससे चमकी के प्रभाव पर नियंत्रण पाया जा सकता है। चमकी पर तैयारी के संदर्भ में सौरभ तिवारी ने कहा सभी डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों का क्षमतावर्धन किया जा चुका है। इसके साथ ही सभी एम्बुलेंस के ईएमटी का भी प्रशिक्षण हो चुका है। इस बार की खास बात यह है कि चमकी प्रभावित क्षेत्रों में जो हॉट स्पॉट हैं वहां 16 एम्बुलेंसों की व्यवस्था की गई है।

प्रशासन और मीडिया एक दूसरे के पूरक –
कार्यक्रम की शुरुआत में जिला सूचना एवं जनसपंर्क पदाधिकारी कमल सिंह ने मीडिया और प्रशासन के संबंधों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं। मीडिया की बातें पूरे जनमानस को प्रभावित करती हैं। इसलिए मीडिया का कर्तव्य है कि संबंधित तथ्यों और खबरों की पुष्टि एक बार प्रशासन या संबंधित विभाग से अवश्य कर लें ताकि भ्रामक खबरें समाज में न जा पाएं। डीपीआरओ ने कहा कि इस बार भी चमकी के आंकड़ों में किसी तरह के भ्रम की स्थिति न बने इसलिए सेंट्रलाइज रिर्पोटिंग सिस्टम ही रहेगा। जिसमें एसकेएमसीएच तथा अन्य पीएचसी से संबंधित आंकड़े भी रहेंगे ।
15 लाख ओआरएस बटेंगे
कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि जिले में अभी डेढ़ लाख ओआरएस घोल का वितरण प्रत्येक 15 दिन के अंतराल पर किया जा रहा है। वहीं कुछ समय पहले ही प्रधान सचिव से 15 लाख ओआरएस के पैकेट की मांग रखी गयी है। जो जल्द ही उपलब्ध हो जाएगी। इसे भी 15 दिनों के अंतराल पर बांटा जाएगा। इसके रोटेशन में वितरण की मंशा यह है कि जब भी कोई इस पैकेट को देने जाएगा बच्चों के अभिभावकों को चमकी पर जानकारी देगा। जिले में अभी 5 लाख परिवार हैं जिनको तीन टर्म में ओआरएस का घोल दिया जाना है। अगर किसी के पास ओआरएस का घोल उपलब्ध नहीं है तो वह पानी,नमक और चीनी का घोल भी बच्चों को दे सकता है जिसे जीवन रक्षक घोल भी कहते हैं। यह घोल शरीर को हाइड्रेट रखेगा।
स्वास्थ्य विभाग भी है सजग और सतर्क-
उन्मुखीकरण के दौरान जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार ने कहा स्वास्थ्य विभाग चमकी पर पूरी तरह सजग और सतर्क है। पीएचसी स्तर तक सुविधाएं संपूर्ण हैं। हरेक पीएचसी में वातानुकूलित दो बेड का वार्ड चमकी के लिए रिजर्व है। वहीं ऑक्सीमीटर और ग्लूकोमीटर जैसे छोटे और उपयोगी उपकरणों सहित आवश्यक दवाओं की भी व्यवस्था है। हर पीएचसी में रैपिड रेस्पांस टीम और कंट्रोल रूम है। प्रत्येक पंचयतों में वाहनों को टैग किया जा रहा है। अगर किसी बच्चे में चमकी के लक्षण पाए जाते हैं तो पीएचसी से प्राथमिक उपचार के बाद ही उसे कहीं रेफर किया जाएगा। रात में भी लोगों को समुचित उपचार की व्यवस्था हो, डॉक्टर और पारा मेडिकल स्टॉफ की व्हाट्सएप ग्रुप से मॉनिटरिंग होगी। चमकी मरीजों को पंचायत स्तर पर वाहन की सुविधा देने के लिए प्रत्येक पंचायत पर दो वाहन की टैगिंग भी की जा रही है। पिछले बार इसकी संख्या 1408 थी। 2020 में चमकी में मृत्युदर जहां 9 प्रतिशत थी वहीं इससे पहले यह 13 प्रतिशत थी। मौके पर जिलाधिकारी प्रणव कुमार, एडीएम अजय कुमार, डीपीआरओ कमल सिंह, सिविल सर्जन डॉ एसके चौधरी, जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी सतीश कुमार, केयर डीटीएल सौरभ तिवारी सहित अन्य लोग मौजूद थे।

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