महनार :ख़ाकी बाबा का सालाना उर्स व मेला17 मार्च को ।
ख़ाकी बाबा का सालाना उर्स व मेला17 मार्च को । रिपोर्ट अशरफ वैशालवी
महनार वैशाली। महान सूफी संत बाबा खाकी शाह रहमतुल्ला अलैह की 66वीं सालाना उर्स 17 मार्च 2022 को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा जिसकी तैयारी चल रही है इस उर्स , मेला में देश ही नहीं देश के पडोसी मुल्कों के अकीदत मंद महनार नगर स्थित थाना मोड़ पर हाजी नेमत अली उर्फ खाकी बाबा के मजार पर चादरपोशी और अकीदत के पुष्प निछावर कर अमन शांति और रहमत की दुआ मांगते हैं और विशाल मेले में खरीदारी करते हैं यहां न सिर्फ मनोरंजन के सामान बल्कि हर किस्म के सामान खेलोने बिकते है वर्ष 2020 और 2021 में कोरोना संक्रमण को लेकर सरकारी पाबंदी के कारण उर्स मेला नहीं लगा लेकिन अकीदत मंदो ने मजार पर चादरपोशी गुलपोशी की और मन्नत वह मुरादें मांगे कोई
अपनी मुराद पूरी की और अपने व समाज मुल्क राज्य की तरक्की खुशहाली अम्न शांति के लिए दुआ मांगी थी । कोरोना काल मे उर्स मेला में भीड़ नियंत्रित करने और हुड़दंग मचाने वाले हुडदंगियों को खदेड़ने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा था। इस वर्ष उर्स मेला और रंगों का त्योहार होली भी साथ साथ हैं और जिस रात्रि में उर्स व मेला है उसी रात्रि में होलिका दहन भी है इस पर प्रशासन का विषेश तवज्जो की जरूरत है एक खास बात यह है कि उर्स मेला के मौके पर थाना मोड़ से मजार पर जाने वाली सड़क के दोनों किनारे ठेला खोंचा वाले दुकान लगा देते हैं जिससे अकीदत मंदो समेत अन्य लोगों को आने जाने में बाधा उत्पन्न होती है ऐसे में सारी दुकानें उच्च विद्यालय बालक के मैदान में लगे इससे भीड़ पर नियंत्रण रहेगा हालांकि मीना बाजार से लेकर झूला खेल तमाशा वाले उधर ही रहा करते हैं ये व्यवस्था दाता खाकी शाह उर्स कमिटी को करने की जरूरत है और दुकानदारों से बैठकी के नाम पर मुंह मांगी शुल्क से परहेज भी करने की जरूरत है चुके ज़बरदस्ती मनमानी टैक्स वसूली से दुकानदारों को दिल पर ठेस पहुंचती है किसी सुफी संत के आस्ताने पर ठेस नहीं पहुंचे इसका खास ख्याल रखा जाए। ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी पाक दिल से बाबा के मजार पर पहुंच दुआ मांगता है बाबा उसकी दुआ कबूल कर उसकी मन्नतें पूरी करते है। इस उत्सव में न सिर्फ देश से ही बल्कि विदेशों से भी विभिन्न समुदायों के श्रद्धालु शामिल होकर दुआएं मंगाते है। इस मौके पर सर्वप्रथम मजार पर उनके हुजरे कमरे जहां ठहरें थे वहां की चादरें चढ़ने की परम्परा था वह अब नहीं रहा। अब चार बजे से चादरपोशी गुलपोशी का सिलसिला शुरू हो कर देर रात्रि तक खत्म हो जाता है । कुछ लोगों कहते हैं उर्स का किया अर्थ है वह जेहन में रखें उर्स का अर्थ पुण्यतिथि का उत्सव या मेला आमतौर पर मुसलमानों में किसी सूफी संत की पुण्यतिथि पर उसके दरगाह पर वार्षिक रुप से आयोजित किए जाने वाले उत्सव को उर्स कहते हैं।