March 9, 2022

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महुआ के गावों में आम के बगानों में झूमकर आए हैं मंजर पेड़ों पर मंजर को देख किसानों के चेहरे खिले

महुआ के गावों में आम के बगानों में झूमकर आए हैं मंजर
पेड़ों पर मंजर को देख किसानों के चेहरे खिले, मौसम के साथ दी तो अच्छी उत्पादन की उम्मीद
महुआ। रेणु सिंह
महुआ के गांवों में आम के बगानों में इस बार मंजर झूम कर आए हैं। इसे देखकर किसान गदगद हैं। उन्हें अच्छे उत्पादन होने की उम्मीद जगी है और वे उसे गीत व्याधि से बचाव के लिए छिड़काव करने में लगे हैं।
यहां किसानों ने आम के पेड़ों पर छाय मंजरों को दिखाते हुए बताया कि इस बार फलन वर्ष है। इसके कारण आम के अच्छे उत्पादन होने की उम्मीद है। मौसम साथ दिया तो आम के अच्छे उत्पादन होंगे। किसानों का कहना है कि आम के पेड़ों पर एक वर्ष बीच करके मंजर आती है। पिछले वर्ष आम का फलन ना के बराबर हुआ था। इस बार फलन वर्ष होने के कारण पेड़ों पर मंजर झूम कर आए हैं। उसे बचाव के लिए छिड़काव कर रहे हैं। अभी आम की फसल को मौसम साथ दे रही है। किसानों का कहना है कि मंजर के लिए मधुआ हानिकारक होती है। पूरवा हवा चलने से महुआ का प्रकोप होता है। पिछले दिनों पूरवैया हवा चलने और आकाश में बादल छाने के कारण मधुआ का प्रकोप हुआ था। हालांकि फिर पछुया हवा चलने से मधुआ का असर कम हुआ है। मंजर को मधुआ से बचाव को लेकर छिड़काव भी किया गया है। किसानों का कहना है कि कीटनाशक और मधुआ रोधक दवा का छिड़काव किया जा रहा है। मंजर के लिए मधुआ कहर के समान होता है। मधुआ लगने से मंजर जल जाते हैं और उसमें टीकोले नहीं लगते। इसके अलावा आकाशीय बिजली मंजर को भारी नुकसान पहुंचाता है। पछुआ हवा फसल के लिए फायदेमंद है। पुरवा हवा से मधुआ रोग पनपता है और आकाश में बादल छाने से बिजली चमकती है। जिससे मंजर जल जाते हैं। इस बार प्रकृति ने साथ दिया तो आम के अच्छे उत्पादन होने की उम्मीद है।
आगात होती है जर्दालू और बंबईया आम:
ऐसे तो आम के दर्जनों किस्म है लेकिन अगात फसल में जर्दालू और बंबई आते हैं। किसान बताते हैं कि जर्दालू और बंबईया आम के अगात किस्म में है। यह दोनों स्वाद से भरपुर होता है। हालांकि सफेद मालदह और दूधिया मालदह का तो जवाब नहीं होता। यह आम में राजा माना गया है। इसके अलावा कृष्णभोग, मिठुआ, चौसा, लड़ुई, केलवा, सेनुरिया, लाल मालदह, जेठू, बरबरिया, सीपीया, शुकुल आदि आम यहां के प्रमुख हैं। अंत में शुकुल रसदार आमों में होता है। जबकि अन्य आम गुद्देदार होते हैं। यहां किसान आम की फसल को बेचकर नगदी आमदनी करते हैं।
आम का नगरी माना गया है महुआ का सुक्की गांव:
महुआ अनुमंडल के सुक्की गांव आम का नगरी माना गया है। वैशाली जिले में सबसे अधिक आम का उत्पादन सुक्की गांव में होता है। इस गांव में 80 फीसद भूमि पर आम के बगीचे हैं। जहां किसान अधिकतर दूधिया मालदह के बगीचे लगाए हैं। यहां का दूधिया मालदह का तो जवाब नहीं। इसके स्वाद के लोग कायल हैं। इसके छिलके कागज के समान होते हैं यहां के दूधिया मालदा आम की मांग दूसरे प्रदेशों में अधिक है। जैसे ही सुक्की का नाम आता है लोग आम की खरीदारी चाव से करते हैं। सुक्की गांव की भूमि आम उत्पादन के लिए उपयुक्त मानी गई है। इस गांव में अधिकतर आम के बागान होने के कारण यहां हरा भरा दिखता है।
सीपिया आम लगातार सूखने से किसान चिंतित:
आमों के किस्म में अपने आप पर गर्व करने वाला सीपिया समापन की ओर है। इस किस्म के पेड़ सुखते चले गए। जिसके कारण इसकी संख्या कम गई। सीपिया आम यहां मिलना मुश्किल होता है। किसानों ने बताया कि पेड़ों को सूखने का रोग सबसे ज्यादा सीपिया में होता है। बगीचों में लगी सीपिया आम सुखकर समाप्त हो गई। यहां अब सीपीया के बगीचे नाम मात्र के ही रह गए हैं। किसान बताते हैं कि सीपीया का स्वाद अपने में एक अलग महत्व रखता है। यह गुद्देदार होता है और इसके स्वाद से लोग कायल हो जाते हैं। इधर कृषि विभाग का भी कहना है कि रोग लगने के कारण सीपिया आम के पेड़ सूखते चले गए। इस बार तो बाढ़ और बारिश से आम के काफी क्षति पहुंची है। लंबे समय तक जलजमाव के कारण आम के काफी पेड़ सूख गए हैं।
आम उत्पादन में वैशाली अगले पायदान पर:
आप उत्पादन में वैशाली राज्य का अगले पैदान पर माना जाता है। हालांकि दरभंगा आम के उत्पादन में पूर्व से ही आगे रहा है। जबकि उसे पछाड़कर वैशाली आम उत्पादन में आगे बढ़ रहा है। यहां आम के अच्छे बागान हैं। यहां से कई प्रदेशों में आम भेजे जाते हैं। जिले में व्यापारी अधिकतर किसानों से आम के बगीचे पहले ही खरीद लेते हैं और उसे अच्छे उत्पादन के लिए सींचते हैं। इस बार आम के बगानों में झूमकर आए मंजरों को देखकर किसान ही नहीं व्यापारी भी खुश है और वे अच्छे उत्पादन को लेकर हर संभव प्रयास में लगे हैं।
कहते हैं विशेषज्ञ
आम के बगानों के विशेषज्ञ जितेंद्र प्रसाद सिंह बताते हैं कि यह एक साल बीच करके आती है। पिछले वर्ष आम का फलन नहीं हुआ था। इस बार फलन वर्ष होने से मंजर झूम कर आए हैं। पछुआ हवा से मंजर को फायदा मिलती है। अभी पछुआ हवा आम के लिए लाभदायक है। मंजर को रोक से बचाव के लिए छिड़काव किया जा रहा है।

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