बेटी “रहमत ” है इसलिए नौजवान लड़के अपनी शादी बिना दहेज के करें / महुआ एस डी ओ
नसीम रब्बानी/आदिल शाहपुरी
वैशाली : हिन्दू धर्म में समाज में कहीं भी किसी के यहां बेटी जन्म लेती है तो समाज के लोग पुकार उठते हैं कि बेटी के रुप में घर में लक्ष्मी जन्म ली है बस इसी तरह जब मजहबे इसलाम के मानने वालों के यहां उनके घर में जब बेटी पैदा लेती है तो लोग घर वाले को कहते है कि घर में बेटी की शक्ल में रहमत आई है यह बात सत्य है । मगर अफ़सोस की बात है कि शिक्षित होने के बाद भी इस लक्ष्मी को हिन्दू समाज भी अब कुलक्षणी के नाम दे दिया और मुस्लिम समाज इस रहमत को जहमत में बदल लिया और अल्लाह की रहमत से महरूम होगया इसका कारण आप सब जानते है कि जबतक समाज से दहेज़ प्रथा का प्रचलन समाप्त नहीं होगा ये बेटियां यूंही समाज में घुट घुट कर मरती रहेगी ये बातें महुआ अनुमंडल पदाधिकारी वैशाली श्री लल्लू प्रसाद एवं डाक्टर शमीम अंसारी आसमा अस्पताल देसरी रोड महुआ ने आकिब रजा पिता स्वर्गीय मोहम्मद अयाज़ ग्राम बीरभान जलालपुर वैशाली की शादी प्रोग्राम में महुआ होटल उत्सव में सुतरों से बात करते हुए सामूहिक रूप से कहा इन्होंने समाज के नौजवान लड़के से अपील की के आप अपनी शादी बिना दहेज के करें और इस लक्ष्मी और रहमत घर की ज़ीनत बनाइए इस लिए कि बेटी के बिना दुनिया अधूरी है ।