June 30, 2021

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डीएमसीएच के शिशु रोग विभाग में सुरक्षित गर्भपात पर हुई बैठक/रिपोर्ट नसीम रब्बानी

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डीएमसीएच के शिशु रोग विभाग में सुरक्षित गर्भपात पर हुई बैठक/रिपोर्ट नसीम रब्बानी

• विभागाध्यक्ष ने असुरक्षित गर्भपात के चिकित्सकीय समाधान की दी जानकारी
• कोरोना काल मे सुरक्षित गर्भसमापन कराने में हुई समस्या
• एमटीपी एक्ट के अनुसार 20 सप्ताह तक ही कराया जा सकता है गर्भ का समापन

दरभंगा. 30 जून: कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं को कई तरह के समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसमें सुरक्षित गर्भपात करना भी एक चुनौती रहा. इसको लेकर डीएमसीएच के स्त्री रोग विभाग में सुरक्षित गर्भपात विषय पर विभागाध्यक्ष डॉक्टर कुमुदिनी झा की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें सही तरीके से गर्भपात को लेकर चर्चा की गई।
इस अवसर पर डॉ कुमुदिनी ने बताया कोरोना के समय में लोगों को कई विषम परिस्थितियों से गुजरना पड़ा। इस दौरान कई ऐसी महिलाएं है जो अनचाहे रूप से गर्भवती हो गई। संक्रमण के मद्देनजर वह अपना सुरक्षित रूप से गर्भपात भी नहीं करा सकी। सरकारी अस्पतालों में व्याप्त चिकित्सकीय सुविधा का लाभ से वह वंचित रह गई। लिहाजा उन महिलाओं का गर्भ अब 2 से 3 माह का हो चुका है। इसलिए उनका सुरक्षित रूप से चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक है। ताकि उनका सुरक्षित रूप से गर्भ समापन किया जा सके। इसे लेकर सभी को प्रयास करने की आवश्यकता है। खासकर सामाजिक स्थिति में इसे लेकर जागरूकता लानी होगी।

असुरक्षित गर्भपात से 8 प्रतिशत महिलाओं की हो जाती मौत

डॉक्टर कुमुदनी ने बताया भारत में असुरक्षित गर्भपात के कारण 8% महिलाओं की मौत हो जाती है। आज के सामाजिक परिदृश्य में महिलाओं के निज़ी स्त्री रोग के समाधान को लेकर जागरूकता जरूरी है। खासकर सुदूर गांव में महिला स्त्री रोग से संबंधित किसी भी बात को कहने से परहेज करती है। यहां तक कि वह अपने परिवार के सदस्यों से भी कभी-कभी सही बात को छुपा लेती है। इस दौरान वह गलत तरीके से गर्भ समापन कराने के चक्कर में फंस जाती है। इससे उनकी जान पर बन जाती है। और सही तरीके से चिकित्सा नहीं होने पर उनकी मौत भी हो सकती है। इस विषय पर लोगों में अधिक जागृति आवश्यक है, ताकि इस समस्या के समाधान को लेकर सामाजिक स्तर पर एक बदलाव लाया जा सके।

20 सप्ताह तक के गर्भ को कानूनी रूप से समाप्त करने की है इजाज़त
डॉ. कुमुदिनी ने कहा एमटीपी( मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेगनेंसी) एक्ट 1971 के तहत कोई भी महिला 20 सप्ताह तक के गर्भ को कानूनी रूप से हटा सकती है। इसे लेकर जरूरी दस्तावेज होनी चाहिए। लेकिन इस दरमियान ख्याल रखना होगा कि उनका सुरक्षित रूप से गर्भपात हो सके। इसके लिए उनके परिजनों को खास ध्यान रखने की आवश्यकता है। किसी भी बिचौलियों के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। इन तरह की समस्या होने पर निकट के सरकारी अस्पताल में संपर्क करना चाहिए। सभी सरकारी अस्पतालों में निशुल्क रूप से कानूनी रूप से गर्भपात कराने की सुविधा उपलब्ध है। इस दौरान विशेष परिस्थिति होने पर एंबुलेंस की मदद से महिला मरीज को निशुल्क रूप से हायर सेंटर भेजने की सरकारी सुविधा उपलब्ध है। लोगों को इसका लाभ लेना चाहिए।

जूनियर चिकित्सकों को दी जाएगी प्रशिक्षण
डॉ कुमुदिनी ने कहा डीएमसीएच के स्त्री रोग विभाग में जूनियर चिकित्सकों को सुरक्षित गर्भपात के विषय में प्रशिक्षित किया जाएगा, जिसमें उन्हें दूर-दराज से आए महिलाओं का किस तरीके से सही परामर्श व उपचार किया जाए, इसके विषय में जानकारी दी जाएगी। खासकर इसमें ध्यान रखना पड़ेगा कि महिला मरीज का समय से चिकित्सा शुरू हो सके। इस दौरान विषम परिस्थिति होने पर जूनियर डॉक्टरों के साथ वरीय चिकित्सकों का होना जरूरी है। इस प्रकार सही तरीके से गर्भपात को लेकर तकनीकी एवं अन्य जानकारी जूनियर चिकित्सकों को दी जाएगी। परिणामस्वरूप हम असुरक्षित तरीके से गर्भपात से होने वाली मातृ मौत को कम कर सकते हैं। इसे लेकर सरकार की ओर से लगातार दिशा निर्देश दिए जाते हैं। इस पर अमल करते हुए सही कार्यान्वयन से मातृ मौत के आंकड़ा में कमी लाई जा सकती है।
इस दौरान डॉ. सीमा, डॉ. शशिबाला प्रसाद, डॉ. माया ठाकुर, डॉ. प्रसान्ता कृष्णा, सुनील कुमार, शंकर दयाल सिंह, विकास कुमार, रंजीत एवं कमल उपाध्याय उपस्थित थे।

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