देश के 400 जिलों में काम कर रहे 180 नागरिक समाज संगठनों के गठबंधन ‘न्याय तक पहुंच कार्यक्रम का सहयोगी संगठन है
देश के 400 जिलों में काम कर रहे 180 नागरिक समाज संगठनों के गठबंधन ‘न्याय तक पहुंच कार्यक्रम का सहयोगी संगठन है
स्व० कन्हाई शुक्ल सामाजिक सेवा संस्थान ने उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए एक समग्र एंटी ट्रैफिकिंग कानून की मांग की
विश्व मानव दुर्व्यापार (ट्रैफिकिंग) विरोधी दिवस पर जहां वैश्विक समुदाय मनुष्यों के दुर्व्यापार के खिलाफ एकजुट होकर अपनी लड़ाई को विस्तार देने की शपथ ले रहा है वहीं, बिहार के वैशाली के गैरसरकारी संगठन स्व० कन्हाई शुक्ल सामाजिक सेवा संस्थान ने इस मौके पर जारी एक बयान में ट्रैफिकिंग के उभरते तौरतरीकों की रोकथाम के लिए एक समग्र और मजबूत एंटी ट्रैफिकिंग कानून की मांग करते हुए कहा कि स्व० कन्हाई शुक्ल सामाजिक सेवा संस्थान ‘न्याय तक पहुंच’कार्यक्रम के गठबंधन सहयोगी के तौर पर वैशाली में बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए कार्य कर रहा है। ‘न्याय तक पहुंच’ कानूनी हस्तक्षेपों के माध्यम से बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम है जिसके 180 से भी ज्यादा राष्ट्रीय और स्थानीय सहयोगी गैरसरकारी संगठन 400 से ज्यादा जिलों में जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। बताते चलें कि मादक पदार्थों और हथियारों की तस्करी के बाद मानव दुर्व्यापार दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है और इसके सबसे ज्यादा पीड़ित बच्चे होते हैं।
संगठन ने बताया कि मुक्त कराए गए बच्चों में सबसे ज्यादा संख्या बिहार जहां से सबसे ज्यादा बच्चे ट्रैफिकिंग के शिकार हुए) की है जहां से बच्चों की ट्रैफिकिंग की गई। इस दौरान संगठन ने कानूनी हस्तक्षेपों के माध्यम से एफआईआर दर्ज कराए और छापामार अभियानों के दौरान दुर्व्यापारियों को गिरफ्तार किया गया।
ट्रैफिकिंग के खिलाफ अभियान में आने वाली चुनौतियों की चर्चा करते हुए स्व० कन्हाई शुक्ल सामाजिक सेवा संस्थान के सचिव सुधीर कुमार शुक्ला ने कहा, “पिछले एक वर्ष के दौरान हमने विभिन्न स्तरों पर प्रशासन और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की मदद और उनकी कार्रवाइयों के नतीजे में ट्रैफिकिंग के पीड़ित बच्चों को मुक्त कराया है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान काफी बदलाव देखने को मिले हैं और यह सुखद है कि प्रत्येक बच्चे को सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने की इस लड़ाई में राज्य और जिला स्तर के सरकारी अधिकारी हर कदम पर हमारे साथ हैं। भारतीय न्याय संहिता के नए खंड में ट्रैफिकिंग को एक अपराध के रूप में शामिल करना स्वागत योग्य है। इसके बावजूद देश को एक सख्त ट्रैफिकिंग विरोधी कानून की जरूरत है ताकि ट्रैफिकिंग गिरोहों के खिलाफ अंतरराज्यीय समन्वय और ट्रैफिकिंग के पीड़ितों का पुनर्वास सुनिश्चित किया जा सके।“
स्व० कन्हाई शुक्ल सामाजिक सेवा संस्थान का नाम जमीनी स्तर पर काम कर रहे 180 गैरसरकारी संगठनों के गठबंधन ‘न्याय तक पहुंच’ कार्यक्रम का सहयोगी संगठन है। इन संगठनों ने अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक मिलकर बाल दुर्व्यापारियों के खिलाफ 16,084 मामले दर्ज कराए और 29,224 बच्चों को मुक्त कराया।
बच्चों की ट्रैफिकिंग के खिलाफ लड़ाई में मिली सफलताओं और मौजूदा स्थिति पर पर ‘एक्सेस टू जस्टिस’ के कंट्री हेड रवि कांत ने कहा, “ हालांकि हम लोग दुर्व्यापारियों के चंगुल से बच्चों को मुक्त कराने के लिए सामूहिक रूप से और सफलतापूर्वक केंद्र एवं राज्य सरकारों के साथ काम कर रहे हैं, लेकिन अब हमारी रणनीतियों में सुधार की आवश्यकता है। ट्रैफिकिंग पर नवीनतम रिपोर्ट बताती है कि किस तरह ट्रैफिकर (दुर्व्यापारी) रोजाना नए और आधुनिक तरीके अपना रहे हैं। अपनी आपराधिक गतिविधियों को जाम देने के लिए वे हर चरण में नए तौरतरीकों और तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं और यहां तक कि लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए इंटरनेट का भी उपयोग कर रहे हैं। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि बच्चों की ट्रैफिकिंग के खिलाफ लड़ाई में शामिल सभी हितधारक दुर्व्यापारियों की धरपकड़ के लिए नए तौरतरीके अपनाएं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बंधुआ मजदूरी, जबरन विवाह, यौन शोषण, बच्चों से घरेलू सहायक का काम लेने या अन्य किसी भी तरह के उनके शोषण और उत्पीड़न पर रोक लगाई जा सके।”
न्याय तक पहुंच’ कार्यक्रम देश के उन 400 जिलों में काम कर रहा है जहां बच्चों के खिलाफ अपराध और शोषण की दर ज्यादा है।